विज्ञान

अध्ययन का दावा- किडनी की बीमारी में फायदेमंद है व्यायाम

Gulabi
11 March 2021 4:07 PM GMT
अध्ययन का दावा- किडनी की बीमारी में फायदेमंद है व्यायाम
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नियमित व्यायाम करने के कई फायदे गिनाए जाते हैं। लेकिन

नियमित व्यायाम करने के कई फायदे गिनाए जाते हैं। लेकिन बीमारियों को दूर रखने वाली इस गतिविधि को लेकर सचेत भी किया जाता रहा है कि कुछ गंभीर किस्म के रोगों से पीड़ित लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए। अब एक ताजा अध्ययन में बताया गया है कि व्यायाम किडनी की बीमारी में भी फायदेमंद है।


अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग किडनी के साथ ही दिल की बीमारी से भी पीड़ित हैं, उनके शारीरिक तौर पर सक्रिय रहने से किडनी का रोग कम बढ़ता है और जीवन बेहतर होता है। किडनी की बीमारी से ग्रस्त लोगों में उचित शारीरिक सक्रियता से होने वाले फायदे के संबंध में यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में पहली रिपोर्ट विश्व किडनी दिवस के मौके पर प्रकाशित हुई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का भी कहना है कि एक वयस्क के लिए सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का टहलने जैसा सामान्य व्यायाम या कम से कम 75 मिनट तक जॉगिंग जैसे ज्यादा श्रम वाली शारीरिक गतिविधियां स्वास्थ्यवर्धक है।

शारीरिक सक्रियता स्वास्थ्य के लिए साबित हुई महत्वपूर्ण
ताजा अध्ययन में पाया गया है कि किडनी रोग से ग्रस्त जिन लोगों ने डब्ल्यूएचओ द्वारा बताए गए व्यायाम की अवधि से लगभग दोगुना समय तक व्यायाम किया, उनके स्वास्थ्य में दो साल में उल्लेखनीय सुधार हुआ। मतलब उनकी शारीरिक सक्रियता स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई।
शोध अध्ययन के लेखक ताइवान के ताइपै वेटरंस जनरल हॉस्पिटल तथा नेशनल यांग-मिंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेर-चेरंग टार्ंग कहते हैं, हमारे अध्ययन के निष्कर्ष का निहितार्थ यह है कि किडनी रोगियों की देखभाल में क्लिनिकल प्रक्रिया के साथ ही शारीरिक गतिविधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
दुनियाभर में करीब 70 करोड़ लोग क्रानिक किडनी रोग से पीड़ित हैं। इनमें मांस पेशियों के नुकसान से शारीरिक सक्रियता कम होती है और इससे दिल संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ता है, जो अधिकांश मामलों में मौत का कारण भी बनता है।

दिल की सेहत तथा लंबी उम्र के लिए है काफी अहम
यह भी पाया गया है कि लंबे समय से किडनी संबंधी रोग से ग्रस्त लोगों में जब यह बीमारी बढ़कर आखिरी चरण में होती है तो मौत का जोखिम आम लोगों की तुलना में 10-20 फीसद ज्यादा होता है। इसका मतलब यह है कि रोग के बढ़ने की गति को कम करना दिल की सेहत तथा लंबी उम्र के लिए काफी अहम है।
शोधकर्ता का दावा है कि किडनी की बीमारी बढ़ने का शारीरिक गतिविधियों से संबंध के बारे में यह पहला व्यापक अध्ययन है। इस अध्ययन में व्यायाम तथा मौत के कारणों, किडनी की अंतिम चरण की बीमारी और कार्डियोवास्कुलर संबंधी समस्याओं के परीक्षण पर खास ध्यान दिया गया।

अध्ययन का दायरा

वर्ष 2004 से 2017 के बीच किए गए इस अध्ययन में क्रानिक किडनी बीमारी से पीड़ित 4,508 लोगों को शामिल किया गया। ये रोगी डायलिसिस पर निर्भर नहीं थे। रोगियों को साप्ताहिक शारीरिक गतिविधियों के आधार पर तीन श्रेणियों- अति सक्रिय (डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित या उससे अधिक व्यायाम), कम सक्रिय (डब्ल्यूएचओ की अनुशंसा से कम) तथा निष्क्रिय (कोई गतिविधि नहीं) में बांटा गया।

ये मिले परिणाम

इनमें से 1,915 रोगी अति सक्रिय, 879 कम सक्रिय और 1,714 निष्क्रिय समूह के थे। मध्यमान अंतराल में 686 दिन के बाद पाया गया कि 739 रोगियों की मौत हो गई, 1,059 में रोग बढ़कर अंतिम चरण में पहुंच गया और 521 को हार्ट अटैक, स्ट्रोक तथा अस्पताल में भर्ती होने जैसी परेशानियां हुईं। लेकिन अति सक्रिय लोगों में विपरीत असर या जोखिम सबसे कम पाया गया और कम सक्रिय व निष्क्रिय समूह के लोगों में क्रमश: ज्यादा प्रभावित हुए


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