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साल 2020 खगोलीय नजारों और दुर्लभ घटनाओं के लिहाज बेहद खास रहा और नए साल की शुरुआत भी कुछ ऐसी ही होने जा रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| लंदन: साल 2020 खगोलीय नजारों और दुर्लभ घटनाओं के लिहाज बेहद खास रहा और नए साल की शुरुआत भी कुछ ऐसी ही होने जा रही है। नए साल के जश्न में पटाखे फोड़ने घर से निकल सके हों तो मायूस न हों क्योंकि पहले ही वीकेंड पर आसमान में आतिशबाजी नजर आने वाली है। हर साल 28 दिसंबर से 12 जनवरी के बीच होने वाले Quadrantid Meteor Shower को उसके चरम पर 2 और 3 जनवरी के बीच देखा जा सकेगा।
क्यों खास है ये बारिश?
Quadrantid को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक साल की सबसे खूबसूरत उल्कापिंडों की बारिश के तौर पर जाना जाता है। वजह है हर घंटे में 50 से 200 के बीच टूटते तारों का दिखना। आसमान साफ हो तो ये नजारा आराम से देखा जा सकता है। यही नहीं, आम उल्कापिंडों से अलग इनकी चमक और रंग काफी तेज होते हैं। ये आग के गोले जैसे दिखते हैं। जिन दो दिनों में ये अपने चरम पर होंगे उनके बीच भी 6 घंटे का वक्त ऐसा होगा जब ये सबसे ज्यादा दिखाई देंगे।
इस रविवार यानी 13 दिसंबर की रात Geminid Meteor Shower अपने चरम पर होगा। जैसा कि नाम से जाहिर है, ये उल्कापिंड Gemini, the Twins तारामंडल से आते हैं। रविवार की रात ये Castor नाम के सितारे की ओर से निकलेंगे और आसमान को रोशन करेंगे। Castor और Pollux को ही Twin यानी जुड़वां कहते हैं। Geminid Meteor Shower को अगस्त में गुजरे Perseid Meteor Shower से भी बेहतरीन माना जा रहा है।
सबसे खास बात यह है कि दूसरे टूटते तारों की बारिश से उलट, Geminids काफी नए हैं। बाकी सबके बारे में इतिहास में जानकारी कई सौ या हजारों साल पहले भी मिल जाती है जबकि Geminids के बारे में सबसे पुरानी जानकारी दिसंबर 1862 में मिली थी। ये उल्कापिंड हर साल दिखाई देते हैं और समय के साथ इनकी संख्या और चमक, दोनों तेज होते जा रहे हैं। (Image credit and copyright Jeff Dai)
ये आमतौर पर धरती के करीब से 22 मील प्रति सेकंड की रफ्तार से गुजरते है जिसे काफी धीमा माना जाता है। इसकी वजह से इन्हें दूसरे उल्कापिंडों की तुलना में काफी आराम से देखा जा सकता है। ये पीले, लाल, नारंगी, नीले और हरे रंग के भी हो सकते हैं। इस बार 13 दिसंबर को अपने चरम पर रहने के बाद ये 16 दिसंबर तक पूरी तरह गायब हो जाएंगे। खास बात यह है कि इस साल चांद की रोशनी आसमान में कम होगी, जिससे इन्हें देखना आसान हो जाएगा।
किसी भी उल्कापिंड को देखने के लिए सबसे जरूरी होता है आसपास की रोशनी का बेहद कम होना। शहरों में इमारतों और ट्रैफिक की रोशनी की वजह से आसमान कम अंधेरा दिखता है और टूटते सितारे देखना मुश्किल होता है। इसके लिए जरूरी है कि किसी ऐसी जगह पर रहें जहां आसपास कम से कम रोशनी हो। इसे देखने के लिए सबसे सही वक्त रात के दो वक्त के करीब है। इस दौरान आसमान के ज्यादा से ज्यादा बड़े क्षेत्र पर नजरें घुमाते रहें। कुछ वक्त में जब आंखों का ध्यान आसमान के अंधेरे पर टिकने लगेगा, टूटते सितारे देखना आसान हो जाएगा।
भारत में कब दिखेंगे?
भारत में इन्हें रविवार रात 8 बजे देखा जा सकेगा। हालांकि, सर्दी के मौसम में कोहरा होने की वजह से इन्हें देखना मुश्किल भी हो सकता है। वहीं, चांद की रोशनी भी इन्हें देखने में बाधा बन सकती है। उल्कापिंड को सबसे साफ-साफ आधी रात के बाद और सूर्योदय से पहले भोर में देखा जा सकता है जब आसमान में अंधेरा ज्यादा हो और आर्टिफिशल लाइट बंद हों। Quadrantid ऐसी बारिश है जिसके समय का सटीकता से दावा नहीं किया जा सका है।
कैसे देख सकते हैं टूटते तारे?
खगोलविदों के मुताबिक किसी भी उल्कापिंड को देखने के लिए सबसे जरूरी होता है आसपास की रोशनी का बेहद कम होना। शहरों में इमारतों और ट्रैफिक की रोशनी की वजह से आसमान कम अंधेरा दिखता है और टूटते सितारे देखना मुश्किल होता है। इसके लिए जरूरी है कि किसी ऐसी जगह पर रहें जहां आसपास कम से कम रोशनी हो। इस दौरान आसमान के ज्यादा से ज्यादा बड़े क्षेत्र पर नजरें घुमाते रहें। कुछ वक्त में जब आंखों का ध्यान आसमान के अंधेरे पर टिकने लगेगा, टूटते सितारे देखना आसान हो जाएगा।
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