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विज्ञान
दुनिया का सबसे बड़ा रॉकेट स्पेसएक्स, पहली परीक्षण उड़ान के दौरान फटा
Shantanu Roy
20 April 2023 1:59 PM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आज तक
दूसरा प्रयास भी हुआ फेल
नई दिल्ली। स्पेसएक्स (SpaceX) इतिहास रचते-रचते रह गया. मंगल पर इंसानों को ले जाने वाले रॉकेट स्टारशिप (Starship) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है. लेकिन लॉन्चिंग भारतीय समयानुसार 20 अप्रैल 2023 की शाम करीब सात बजे के आसपास की गई. रॉकेट को दक्षिणी टेक्सास में बोका चिका (Boca Chica) स्थित स्टारेबस (Starbase) से छोड़ा गया. लॉन्च के चार मिनट बाद करीब 33 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट फट गया. अब जांच के बाद ही पता चलेगा कि वहां क्या हुआ?
SpaceX's Starship, world's biggest rocket, experienced a rapid unscheduled "disassembly" during the first test flight pic.twitter.com/38n4AUsx3W
— ANI (@ANI) April 20, 2023
स्टारशिप दुनिया का सबसे बड़ा रॉकेट है. इसकी ऊंचाई 394 फीट है. व्यास 29.5 फीट है. यह रॉकेट दो हिस्से में बंटा है. ऊपर वाला हिस्सा जिसे स्टारशिप कहते हैं. यह अंतरिक्ष में यात्रियों को लेकर मंगल तक जाएगा. इसकी ऊंचाई 164 फीट है. इसके अंदर 1200 टन ईंधन आता है. यह रॉकेट इतना ताकतवर है कि पृथ्वी पर एक कोने से दूसरे तक मात्र एक घंटे के अंदर पहुंचा देगा. यानी इंटरनेशनल ट्रिप 30 मिनट या उससे थोड़े ज्यादा समय में पूरी.
दूसरा हिस्सा है सुपर हैवी (Super Heavy). यह 226 फीट ऊंचा रॉकेट है. जो रीयूजेबल है. यानी यह स्टारशिप को एक ऊंचाई तक ले जाकर वापस आ जाएगा. इसके अंदर 3400 टन ईंधन आता है. इसे 33 रैप्टर इंजन ऊर्जा प्रदान करते हैं. यह स्टारशिप को अंतरिक्ष में छोड़कर वायुमंडल पार करते हुए वापस समुद्र में गिरने वाला था.
सुपर हैवी रॉकेट से अलग होने के बाद स्टारशिप अपनी बदौलत धरती से 241 किलोमीटर ऊपर धरती का लगभग एक चक्कर पूरा करेगा. लॉन्च के 90 मिनट बाद वह प्रशांत महासागर में गिर जाएगा. अगर यह इस दौरान धरती की निचली कक्षा में चला जाता है, तो यह एक बड़ी सफलता होगी. इस रॉकेट में फिलहाल कोई पेलोड नहीं है.
रॉकेट के साथ जाने वाले पेलोड की जगह सिर्फ जानकारियां जमा की जाएंगी. यानी रॉकेट के उड़ान, टेलिमेट्री, नेविगेशन, टेकऑफ-लैंडिंग आदि की जानकारी हासिल की जाएगी. ताकि भविष्य में होने वाले जरूरी बदलावों को पूरा किया जा सके. स्टारशिप नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) से भी बड़ा है.
बोका चिका से लॉन्च होने के बाद स्टारशिप पूर्व की ओर बढ़ते हुए अंटलांटिक महासागर पार करेगा. हिंद महासागर पार करेगा. इसके बाद प्रशांत महासागर में हवाई द्वीप के पास समुद्र में गिर जाएगा. भविष्य में इसे जब चांद या मंगल की यात्रा करनी होगी, तब इसे धरती की निचली कक्षा में रीफ्यूलिंग की जरुरत पड़ेगी. स्पेसएक्स इसके लिए धरती की कक्षा में चक्कर लगाने वाला फ्यूल डिपो भी बनाएगा.
स्टारशिप मानवता के इतिहास में बनाया गया सबसे बड़ा लॉन्च सिस्टम यानी रॉकेट है. यह इतना बड़ा है कि इसमें 100 लोग बैठकर अंतरिक्ष में लंबी दूरी की यात्रा कर सकते हैं. यहां तक एक ग्रह से दूसरे ग्रह तक जा सकते हैं. इसीलिए इस रॉकेट को चंद्रमा और मंगल मिशन के लिए चुना गया है. ताकि इंसानों को वहां पर ले जाया जा सके. इसमें छह इंजन लगे हैं.
स्टारशिप की बनावट ऐसी है कि इसमें एक साथ कई सैटेलाइट्स ले जा सकते हैं. स्पेसएक्स के फॉल्कन-9 रॉकेट की तरह ही इसे भी इस्तेमाल कर सकते हैं. या फिर इसमें बड़ा स्पेस टेलिस्कोप ले जा सकते हैं. या फिर धरती से चंद्रमा पर या फिर मंगल तक ज्यादा मात्रा में कार्गो ले जा सकते हैं. भविष्य में इसके आगे की यात्रा भी इसी में संभव है.
जब चंद्रमा पर इंसानी बस्ती बनेगी, तब यही स्टारशिप मदद करेगा. भारी सामान और अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा पर ले जाएगा. धरती से भारी मात्रा में कार्गो ले जाकर चांद की सतह पर उतार सकता है. यहां तक कि स्टारशिप के जरिए इमारतों को बनाने वाले मटेरियल को चांद की सतह तक पहुंचा सकते हैं. इसके साथ ही ह्यूमन स्पेसफ्लाइट भी होगा.
स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने कहा कि यह एक बेहद जटिल रॉकेट की पहली उड़ान है. इसकी सफलता को लेकर 50-50 चांस है. फेल भी हो सकता है. फेल होने की लाखों वजहें हो सकती हैं. अगर जरा सी भी गलती या कमी कहीं लगती है, तो हम इसकी लॉन्चिंग टाल देंगे. क्योंकि सिर्फ लॉन्चिंग से काम नहीं चलेगा. इसकी सफलता इसमें है कि ये ऑर्बिट में पहुंचे. नहीं पहुंचा तब भी हम फेल ही माने जाएंगे.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने अर्टेमिस-3 (Artemis-III) के लिए स्पेसएक्स को चुना था. ताकि इंसानों को 2025 के अंत तक चंद्रमा पर पहुंचाया जा सके. सुपर हैवी रॉकेट और स्टारशिप आज तक एकसाथ नहीं उड़े हैं. ऐसा पहली बार होगा जब दोनों एकसाथ टेकऑफ करेंगे. सुपर हैवी स्टारशिप को तीन मिनट तक धकेलता रहेगा. उसके बाद मेक्सिको की खाड़ी में गिर जाएगा.
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Shantanu Roy
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