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अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) पर हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि अंतरिक्ष में यात्रा (Spaceflight) करने के कारण उनमें म्यूटेशन पैदा हो जाता है. इस वजह से उनमें जीवन भर कैंसर और दिल की बीमारी (Cancer and Heart Disease) होने का जोखिम कायम रहता है. इस शोध में संभावना जताई गई है कि ये म्यूटेसन अंतरिक्ष यात्रा की ही वजह से आसकते हैं और इस जरूरत को भी रेखांकित करती है कि अंतरिक्ष यात्रियों को जीवन भर, यानि करियर के दौरान और रिटायर होने के बाद भी,अपनी सेहत पर नजर रखने के लिए अपने खून की नियमित जांच करवाते रहनी चाहिए.
यह शोधकार्य माउंट सिनाई के कान स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने किया है जिसमें उन्होंने नासा के 1998 से 2001 के बीच स्पेस शटल अभियान में गए अंतरिक्ष यात्रियों (Astronauts) के खून के नमूनों का अध्ययन (Blood Test) किया था. इस अध्ययन में सभी 14 अंतरिक्ष यात्रियों के खून बनाने वाले तंत्र या हीमोटोपोएंटिक स्टेम सेल्स के डीएनए में बदलाव या कायिक उत्परिवर्तन (Somatic Mutations) पाया गया था. यह अध्ययन करंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
कायिक उत्परिवर्तन (Somatic Mutations) ऐसे म्यूटेशन होते हैं जो अनुवांशिकी के जरिए अगली पीढ़ी में यानि बच्चों में नहीं जाते हैं. इस अध्ययन में जिन म्यूटेशन का खुलासा हुआ था वे क्लोनल हीमैटोपिइसस या सीएच (clonal hematopoiesis CH) प्रक्रिया के जरिए खून में अतिरिक्त कोशिकाओं बनाने लगते हैं. ये रेडियोधर्मी विकिरण, कुछ रसायन, या कीमोथेरैपी या विकिरण उपचार आदि जैसे पर्यावरणीय कारकों की वजह से आ जाते हैं. सीएच किसी बीमारी का सीधा संकेत नहीं है, लेकिन यह ब्लड कैंसर और हृदय एवं रक्तवाहिनी रोगों का अधिक जोखिम का संकेत जरूर है. अंतरिक्षयात्री (Astronauts) ऐसे वातावरण में रहते हैं जिसकी वजह से कायिक उत्परिवर्तन हो सकता है.
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ डेविड गौकैसियन का कहना है कि दुनिया में व्यवासायिक अंतरिक्ष उड़ानों (Spaceflights) और सुदूर अंतरिक्ष यात्राओं के प्रति रुझान बढ़ने से यात्रियों में सेहत संबंधी हानिकारक जोखिम को देखते हैं उनकी टीम ने 14 अंतरिक्ष यात्रियों में (Atronauts) हुए कायिक उत्परिवर्तन (Somatic Mutations) का अध्ययन करने का फैसला किया. ये यात्री तीन साल के अंतराल में 12 दिन की छोटी यात्राओं पर गए थे. जिनकी औसत आयु 42 साल थी, उनमें से 85 प्रतिशत पुरुष थे, और इनमें से छह के पहले अभियान थे. शोधकर्ताओं ने यात्रियों के अंतरिक्ष यात्रा दस दिन पहले और लौटने के दिन खून के नमूने लिए थे जिन्हें -80 डिग्री सेंटीग्रेट पर 20 साल के लिए संरक्षित रखा गया था.
शोधकर्ताओं ने 17 सीएच प्रेरण जीन्स में 34 म्यूटेशन (Mutation) की पहचान की. इसमें सबसे ज्यादा टीपी53 जीन में म्यूटेशन था जो ट्यूमर दबाने वाला प्रोटीन पैदा करता है. वहीं ल्यूकेमिया में सबसे ज्यादा म्यूटेट होने वाला DNMT3A जीन में भी ज्यादा म्यूटेशन पाया गया. हालांकि इनके म्यूटेशन की मात्रा दो प्रतिशत से कम ही थी, तकनीकी रूप से इनका खतरे का स्तर क्लोनल हीमैटोपोइसिस ऑफ इंटरमीडिएट पोटेंशल (clonal hematopoiesis of indeterminate potential ,CHIP) माना जाता है. सीएचआईपी या चिप बूढ़े लोगों में ज्यादा दिखता हैऔर इससे दिल की बीमारियों और कैंसर (Cancer and Heart disease) होने का जोखिम ज्यादा हो जाता है.