विज्ञान

अंतरिक्ष और पृथ्वी को करते हैं प्रभावित, जानें क्या हैं NASA का कहना

Triveni
10 Jun 2021 10:43 AM GMT
अंतरिक्ष और पृथ्वी को करते हैं प्रभावित, जानें क्या हैं  NASA का कहना
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वैसे तो सूर्य (Sun) का अध्ययन बहुत ही लंबे समय से हमारे वैज्ञानिकों के अध्ययन का प्रिय विषय रहा है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| वैसे तो सूर्य (Sun) का अध्ययन बहुत ही लंबे समय से हमारे वैज्ञानिकों के अध्ययन का प्रिय विषय रहा है. लेकिन हाल के ही कुछ सालों में सूर्य के बारे में हमें बहुत सारी नई जानकारी मिलने लगी है. इनमें से सबसे ज्यादा दिलचस्पी जगाने वाली घटना है सूर्य की सतह का मौसम (Weather of Solar Surface) जिसके कारण सूर्य की सतह पर तमाम तरह की घटनाएं हो रही है. यहां पर हो रहे नए नए बहु चरणीय प्रस्फुटन (Multi Staged Eruption) सूर्य की कई गतविधियों के बारे में गहराई से जानकारी दे सकते हैं जो पृथ्वी तक के मौसम या जलवायु में बदलाव ला देती है. नासा ने इस घटना को "अ सोलर रोसेटा स्टोन" करार दिया है.

कब देखे गए थे ये प्रस्फुटन
यह बहु चरणीय प्रस्फुटन सबसे पहले नासा के सोलर डायनामिक्स ऑबजर्वेटिरी और यूरोपीय स्पेस एजेंसी और नासा के सोलर एंड हेलियोस्फियरिक ऑबजर्वेटरी ने 12 और 13 मार्च को साल 2016 में अलोकित किए थे. इन प्रस्फोट में तीन अलग तरह के प्रस्फुटन शामिल थे जिससे वैज्ञानिकों को उन्हें एक साथ अध्ययन करने का मौका मिला.
एक साथ दे सकते हैं कई जानकारी
अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी मीटिंग में इस अध्ययन को एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटर्स में प्रकाशन के लिए स्वीकर कर लिया गया है. इसकी प्रमुख लेखिका एमिली मेसन ने बताया कि यह घटन एक तरह से गैरहाजिर कड़ी की तरह है जहां हम अलग अलग प्रकार के प्रस्फुटनों के सभी पहलुओं को एक ही साथ देख सकते हैं.
अंतरिक्ष और पृथ्वी को करते हैं प्रभावित
सौर प्रस्फोट बहुत प्रभावशाली घटना होती है जो अंतरिक्ष के मौसम के साथ पृथ्वी तक को प्रभावित कर सकती हैं. ये पृथ्वी के विद्युत उपकरण और तरंगों को खराब कर सकती हैं और उन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विनाशकारी हो सकती हैं जो हमारे ग्रह की कक्षा के बाहर हैं. इसमें सबसे अधिक दुनिया का जीपीएस सिस्टम प्रभावित हो सकता है.
क्यों लगाना चाहते हैं पूर्वानुमान
वैज्ञानिक सौर प्रस्फोटों का अध्ययन कर रहे हैं जिससे वे इनका पूर्वानुमान लगा सकें जिससे वे अंतरिक्ष के मौसामी हालात के लिए बेहतर तरह से तैयार रह सकें. सौर प्रस्फोट तीन तरह के होते हैं. कोरोनल मास इजेक्शन (CME) जिसे कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण भी कहते हैं, एक जेट और एक आंशिक प्रस्फुटन.
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सीएमई और जेट
नासा का कहना है कि दोनों कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण और जेट एक विस्फोटक प्रस्फोट हैं जो अंतरिक्ष में बहुत सी ऊर्जा और कणों को छोड़ते हैं लेकिन दोनों ही अलग दिखाई देते हैं. जहां जेट एक संकरे स्तंभ की तरह सौर पदार्थ को अंतरिक्ष में छोड़ते हैं, वहीं कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण या सीएमई एक फूलते हुए बुलबुले की तरह होता है जो सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड के द्वारा बाहर की ओर धकेला जाता है.
और आंशिक प्रस्फुटन
वहीं आंशिक प्रस्फुटन में ज्यादा ऊर्जा नहीं होती हैं जिससे वे सूर्य को छोड़ सकें और इसके अधिकांश कण उसकी सतह पर वापस गिर जाते हैं. रोसेटा स्टोप प्रस्फुटन 2016 में अवलोकित किए गए जब वैज्ञानिकों ने सूर्य के चुंबकीय रूप से सक्रिय क्षेत्र के ऊपर सौर पदार्थों की गर्म परत का उत्क्षेपण देखा. शोधकर्ताओं ने बताया कि यह प्रस्फुटन बहुत बड़ा था जो एक जेट नहीं हो सकता था लेकिन यह इतन संकरा था कि इसे सीएमई भी नहीं कहा जा सकता था.
इस खास गामा विकिरण प्रस्फोट ने वैज्ञानिकों को दी कुछ चौंकाने वाली जानकारी
इस घटना के के आधे घंटे बाद सतह के पादर्थ का एक और प्रस्फुटन हुआ जिससे पदार्थ तो निकला, लेकिन वह वापस सतह पर चला गया जिससे उसे आंशिक प्रस्फुटन कहा गया. नासा ने कहा कि इस घटना ने वैज्ञानिकों को यह भी बताया कि आंशिक प्रस्फुटन उसी स्पैक्ट्रम में हुआ जब ऊर्जा सीमित रहती है और सूर्य से बाहर नहीं निकलती है. इनप्रस्फोट के समझ कर खगोलविद अलग अंतरिक्ष मौसम का अनुमान लगा सकते हैं.


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