विज्ञान

जल्दी ही मिलेंगे पृथ्वी के बाहर जीवन के संकेत, नए तरह के ग्रहों से उम्मीद

Rani Sahu
27 Aug 2021 3:14 PM GMT
जल्दी ही मिलेंगे पृथ्वी के बाहर जीवन के संकेत, नए तरह के ग्रहों से उम्मीद
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पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई इसकी खोज हमारे वैज्ञानिकों के लिए अहम विषयों में से एक है

पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई इसकी खोज हमारे वैज्ञानिकों के लिए अहम विषयों में से एक है. इसके लिए हमारे खगोलविद सौरमंडल (Solar System) से दूर ऐसे ग्रहों की तलाश में रहते हैं जहां पृथ्वी (Earth) जैसी ही स्थितियां हों. ऐसे बाह्यग्रहों (Exoplanet) की तलाश करना आसान काम नहीं होता है. अब इस दिशा में अहम कदम बढ़ाते हुए हमारे खगोलविदों ने पृथ्वी से अलग ही प्रकार के बाह्यग्रहों की पहचान की है. यह ग्रह हमारे सौरमंडल के बाहर जीवन की खोज को तेज गति दे सकते है. अभी तक खगोलविद ऐसे ग्रहों की तलाश करते थे जिसका आकार, भार, तापमान, और वायुमंडलीय स्थितियां पृथ्वी की तरह हो, लकिन अब वे इस दायरे से बाहर और अधिक उम्मीदों वाली संभावनाओं को खंगालेंगे.

शोधकर्ताओं ने इस दिशा में आवसयोग्य ग्रहों का एक नए ही वर्ग की पहचान की है. जिसे उन्होंने हाइसीन ग्रह (Hycean) नाम दिया है. ये ग्रह गर्म होने के साथ महासागरों से ढके होते हैं जिनके वायुमंडल में प्रचुर मात्रा में हाइड्रोजन होता है. ये ग्रह संख्या में पृथ्वी (Earth) के जैसे ग्रहों की तुलना में कहीं ज्यादा होते हैं और इनका अवलोकन भी किया जा सकता है. एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके नतीजे बताते हैं कि अगले दो से तीन सालों में हमारे सौरमंडल (Solar System) के बाहर वाले ग्रहों (Exoplanet) में जैविकसंकेतों को खोजना वास्तव में संभव हो जाएगा. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और कैम्ब्रिज के इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी के डॉ निक्कू मधूसूधन का कहना है कि इन ग्रहों से जीवन की खोज के नए आयाम खुलेंगे. . (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
हाइसीन (Hycean) के कई उम्मीदवार शोधकर्ताओं ने पहचान भी लिए हैं जो पृथ्वी (Earth) से ज्यादा बड़े और गर्म हैं, लेकिन फिर भी उनमें विशाल महासागरों के होने की विशेषताएं हैं जहां वैसा ही सूक्ष्मजीवन हो सकता है जैसा पृथ्वी की महासागरों की कई जगहों में चरम वातावरण होता है. इन ग्रहों में चौड़ा आवासीय क्षेत्र होता है जिसे पृथ्वी के जैसे ग्रहों के लिए 'गोल्डीलॉक जोन' (Goldilocks Zone) कहा जाता है. ये ग्रह उस दायरे के बाहर भी जीवन पनपने की संभावना रखते हैं जिसके बाहर पृथ्वी जैसे ग्रहों में जीवन पनपना संभव नहीं हो सकता है. तीस साल पहले पहला बाह्यग्रह खोजने के बाद खोजे गए हजारों ग्रहों में से अधिकांश पृथ्वी और नेप्च्यून ग्रह के बीच के आकार के हैं जिससे उन्हें सुपर अर्थ या मिनी नेप्च्यून कहा जाता है. ये पथरीले या बर्फीले प्रचुर हाइड्रोजन वाले वायुमंडल वाले ग्रह तक हो सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
अधिकांश मिनी नेप्च्यून का आकर पृथ्वी (Earth) से 1.6 गुना से अधिक, लेकिन नेप्च्यून (Neptune) से कम होता है. फिर भी येइतने बड़े होते हैं कि पृथ्वी की तरह पथरीली आंतरिक संरचना नहीं होती . इसके अलावा इनके हाइड्रोन समृद्ध वायुमंडल में तापमान और दबाव भी जीवन के अनुकूल नहीं होता है. लेकिन मिनी नेप्च्यून K2-18b के अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ मामलों में ये ग्रह जीवन पनपा सकते हैं. इसी अध्ययन के नतीजों के आधार पर ग्रहों और तारों की विशेषताओं का अध्ययन किया गया जिनसे ऐसे हालात उस ग्रह पर पैदा हुए, ऐसे हालात किन ज्ञात बाह्यग्रहों (Exoplanet) में हो सकते हैं और क्या वहां जैविक संकेतों का अवलोकन किया जा सकता है या नहीं. इसी पड़तला से वैज्ञानिकों ने नई श्रेणी के ग्रहों की पहचान की जिन्हें हाइसीन कहा गया है. ये पृथ्वी से 2.6 गुना तक बड़े हो सकते हैं, तापम्न 200 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है, लेकिन महासागरों में सूक्ष्मजीवन हो सकता है या पनप सकता है.
ऐसे आकार ग्रह, बाह्यग्रहों (Exoplanet) की जनसंख्या में सबसे ज्यादा होते हैं. इनका सुपरअर्थ (Super Earth) की तरह उतने विस्तार से अध्ययन नहीं किया गया होगा. ऐसे ग्रहों में जीवन के पाए जाने की संभावना भी ज्यादा होगी. लकिन कोई ग्रह केवल आकार से ही हाइसीन (Hycean) ग्रह नहीं हो जाता . इसके साथ इसके भार, तापमान और वायुमंडलीय विशेषताओं का भी मेल खाना जरूरी है. ऐसे हालात के लिए जरूरी है कि ग्रह तारे के आवासीय दायरे में हो, वहां के वायुमंडल में आणविक संकेत हों जिससे ग्रह के वायुमडंल का पता चल सके, और उसमें महासागरों की उपस्थिति जैसे लक्षण हो.
खगोलविद इनके अलावा ग्रहों कुछ जैविकसंकेतों की भी खोज करेंगे जिससे वहां जीवन की संभावना बन सके. प्रायः इनमें ऑक्सीजन, ओजोन, मीथेन, और नाइट्रस ऑक्साइड जैसे तत्वों की उपस्थिति खोजी जाती है. इसके अलावा मिथाइल क्लोराइड और डाइमिथाइल सल्फाइड जैसे बायोमार्कर्स भी देखे जा सकते हैं जो पृथ्वी (Earth) पर तो कम मात्रा में हैं, लेकिन हाइड्रोजन संपन्न वायुमडंल मे जीवन की संभावना के बड़े संकेतक माने जाते हैं जहां ऑक्सीजन और ओजोन नहीं होती है.शोधकर्ताओं का मानना है कि पृथ्वी पर मौजूद जैविकसंकेतों के अलावा भी बहुत से जैवसंकेत हो सकते हैं. दूसरे ग्रहों में पृथ्वी से अलग तरह के हालात भी जीवन पनपा सकते हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया है कि हाइसीन (Hycean) ग्रहों के वायुमंडल में बहुत से बायोमार्कर के संकेत मिल सकते हैं जिन्हें आने वाले निकट भविष्य में स्पैक्ट्रोस्कोपिक अवलोकनों से पहचाना भी जा सकता है. बड़ा आकार, उच्च तापमान, हाइड्रोजन समृद्ध वायुमंडल की वजह से इन ग्रहों में पृथ्वी (Earth) जैसेग्रहों के मुकाबले ज्यादा आसानी से जैविकसंकेत (Biosignatures) पहचाने जा सकते हैं. शोधकर्ताओं ने कुछ हाइसीन ग्रह के उम्मीदवारों की पहचान भी कर ली है जिन्हें इस साल प्रक्षेपित होने वाले जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से अवलोकित किया जाएगा. इनमें K2-18b से काफी आशाएं हैं


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