विज्ञान

सौर तूफानों ने तेज रफ्तार से मारी टक्कर, इतने देर बाद सूर्य के 'प्रकोप' से आजाद हुई पृथ्वी

Gulabi
5 Nov 2021 10:14 AM GMT
सौर तूफानों ने तेज रफ्तार से मारी टक्कर, इतने देर बाद सूर्य के प्रकोप से आजाद हुई पृथ्वी
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सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से पृथ्वी को 20 घंटे तक भू-चुंबकीय तूफानों को झेलना पड़ा है

सूर्य (Sun) के कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal mass ejection) की वजह से पृथ्वी (Earth) को 20 घंटे तक भू-चुंबकीय तूफानों को झेलना पड़ा है. हालांकि, अब धीरे-धीरे पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) शांत हो रहा है.सूर्य में हो रहे विस्फोटों ने ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र पर हमला किया. इसकी वजह से पृथ्वी के निचले हिस्से में अरोरा (Auroras) भी देखने को मिले.सूर्य के 'प्रकोप' से आजाद हुई पृथ्वी 583 किलोमीटर प्रति सेकेंड की घातक रफ्तार से पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर से टकराईं. मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ सोलर विंड (Solar wind) के मिलन से बनता है.

Spaceweather.com के अनुसार, एक मजबूत (G3) भू-चुंबकीय तूफान की चमक लॉस एंजिल्स तक फैल गई. एजेंसी ने बताया कि जिस कोरोनल मास्क इजेक्शन का पृथ्वी से टक्कर हुआ, वो एक विशेष कैनिबल कोरोनल मास्क इजेक्शन था, जो एक बार में पृथ्वी से टकराने वाले कई सौर तूफानों से मिलकर बनता है.
सूरज से निकलने वाली लपटों को ही कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है. कोरोनल मास इजेक्शन वो घटना है, जिसमें सूर्य के कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा बाहर निकलता है. सूर्य अरबों टन कोरोनल सामग्री को बाहर निकाल सकता है.
कोरोनल मास इजेक्शन (What is Coronal mass ejection) सूर्य से बाहर की ओर 250 किलोमीटर प्रति सेकेंड की धीमी रफ्तार से लेकर लगभग 3000 किमी प्रति सेकेंड की तेज रफ्तार से यात्रा कर सकते हैं. पृथ्वी की तरफ आने वाला सूर्य की लपटें कम से कम 15-18 घंटों में पहुंच सकती हैं.
इस बार सूर्य से निकलने वाला कैनिबल कोरोनल मास इजेक्शन उलझे हुए चुंबकीय क्षेत्र और कंप्रैस्ड प्लाज्मा थे, जिनकी वजह से अरोरा देखने को मिले. सूर्य पिछले एक हफ्ते से अधिक एक्टिव है. इस वजह से ये सौरमंडल (Solar System) के आंतरिक ग्रहों की ओर खतरनाक तूफानों को भेज रहा है.
अभी सौर तूफान की वजह से नुकसान का आकलन किया जाना बाकी है. लेकिन चेतावनी दी गई थी कि इससे इलेक्ट्रिक पावर ग्रिड में वोल्टेड की अनियमितताएं हो सकती हैं. सुरक्षा उपकरण और सैटेलाइटों को नुकसान पहुंच सकता है. NASA ने अभी तक नुकसान की किसी तरह की जानकारी नहीं दी है.
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