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अब तक रहस्यमयी है 'दुनिया का पहला कंप्यूटर', प्राचीन विज्ञान समझने के करीब वैज्ञानिक

Gulabi
20 March 2021 1:33 PM GMT
अब तक रहस्यमयी है दुनिया का पहला कंप्यूटर, प्राचीन विज्ञान समझने के करीब वैज्ञानिक
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'दुनिया का पहला कंप्यूटर'

करीब 100 साल ऐंटीकायथेरा मेकनिजम खोजा गया जो प्राचीन दुनिया का न सिर्फ बेहतरीन कैलकुलेटर है बल्कि ऐसी पहेली है, जिसे सुलझाना अभी तक बड़ी चुनौती बनी रही है। हाथ से चलने वाली यह 2000 साल पुरानी डिवाइस ब्रह्मांड की चाल दिखाती थी और उस वक्त तक खोजे गए पांच ग्रहों की चाल, चांद का बढ़ना-घटना और सूर्य-चंद्र ग्रहण भी लेकिन इसे कैसे बनाया गया, यह समझना मुश्किल रह है। अब UCL के रिसर्चर्स का मानना है कि इस रहस्य का कुछ हिस्सा सुलझा लिया गया है। इस डिवाइस को बनाकर तैयार किया जा रहा है और देखा जाएगा कि यह काम करती है या नहीं। अगर आधुनिक मशीनरी से इसका रेप्लिका तैयार कर लिया गया, तो प्राचीन तकनीक से इसे दोहराने की कोशिश की जाएगी। (सभी तस्वीरें: नेचर)

क्या कहता है इतिहास
UCL में मटीरियल साइंटिस्ट ऐडम वोजिक का कहना है, 'हमें लगता है कि हमारे इसे दोबारा बनाने से हर वह सबूत साबित होता है जो वैज्ञानिकों ने इसके बचे हुए हिस्सों से पाए हैं।' एक ओर जहां दूसरे स्कॉलर्स ने इसे पहले भी बनाया है, दो-तिहाई मेकनिजम न मिलने से इसके काम करने का तरीका नहीं पता चल सका। इसे कई बार पहला ऐनलॉग कम्प्यूटर कहा जाता है। स्पंज डाइवर्स ने इसे 1901 में खोजा था। एक मर्चेंट जहाज से यह मिला था जो ग्रीक टापू ऐंटीकायथेरा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। माना जाता है कि यह जहाज पहली सदी ईसा पूर्व में तूफान में फंस गया था।
कई साल चली रिसर्च



पहले तो पीतल के टुकड़े ज्यादा नोटिस नहीं किए जा सके लेकिन कई साल तक रिसर्च के बाद पता चला कि यह मकैनिकल इंजिनियरिंग का मास्टरपीस रहा होगा। एक फुट के लकड़ी के केस में बंद इस डिवाइस पर यूजर मैन्युअल की तरह निर्देश लिखे थे और डायल-पॉइंटर्स के साथ कांस्य के 30 गीयरवील लगे थे। हैंडल घुमाने से ब्रह्मांड घूमता पता चलता था। लंदन के साइंस म्यूजियम में मकैनिकल इंजिनियरिंग के क्यूरेटर रह चुके माइकल राइट ने इसका रेप्लिका तैयार किया था लेकिन यह कैसे काम करता है, यह समझा नहीं जा सका।
क्या-क्या मिला?


साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में UCL की टीम ने बताया है कि कैसे उन्होंने राइट के काम, निर्देशों का इस्तेमाल और प्राचीन यूनानी फिलोसॉफर परमेनिडीस की गणित की मदद से नए गीयर तैयार किए जिनसे ग्रहों और दूसरे ऑब्जेक्ट्स की चाल को दिखाया जा सकता है। इस हल से मेकनिजम के सभी गीयर फिट हो जाते हैं। टीम के मुताबिक इसकी मदद से चांद, सूरज और सभी ग्रह दिखाए जाते थे। हालांकि, इसके मुताबिक सूरज और दूसरे ग्रह धरती का चक्कर काटते थे, ऐसे में सूरज को केंद्र में रखकर उनका रास्ता ढूंढना मुश्किल होता। इसके अलावा एक 'ड्रैगन हैंड' भी खोजा गया जो ग्रहण दिखाता होगा।

अभी बाकी हैं कई सवाल...



रिसर्चर्स का मानना है कि इससे ऐंटीकायथेरा को समझना आसान हो सकता है। हालांकि, अभी यह पुष्ट नहीं है कि ये डिजाइन सही है या नहीं या इसे प्राचीन तकनीक के साथ बनाया जा सकता है या नहीं। इसे बनाने के लिए जिस खास हिस्से की जरूरत रही होगी उसे प्राचीन यूनानी लोगों ने कैसे बनाया होगा, यह अभी समझा नहीं जा सका है। अभी यह भी नहीं पता है कि आखिर इसका इस्तेमाल मुख्यत: किसलिए करते थे। अगर उनके पास इतना ज्ञान था तो वे और क्या-क्या करते थे?

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