विज्ञान

गौर से देखिए! स्नो लेपर्ड की तस्वीर ली गई, आप भी देखें

jantaserishta.com
28 Jun 2022 6:14 AM GMT
गौर से देखिए! स्नो लेपर्ड की तस्वीर ली गई, आप भी देखें
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DEMO PIC | न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

ध्रुव जयशंकर ने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर साशा फोन्सेका (Sascha Fonseca) की तस्वीर शेयर की है. साशा ने स्नो लेपर्ड की कई तस्वीरें ली हैं, जिसे उन्होंने अपनी वेबसाइट पर साझा किया है. इन तस्वीरों के साथ उन्होंने अपने अनुभव भी लिखे. उन्होंने कहा कि 2018 में उन्होंने स्नो लेपर्ड प्रोजेक्ट शुरू किया था. तीन साल बाद यानी 2020 में वे तेंदुए की तस्वीरें लेने में कामयाब हुए.

उन्होंने कहा कि भारत में लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियों पर उन्होंने कई सर्द रातें बिताईं, साथ ही ऊंचाई पर कई बर्फीले तूफानों का सामना किया. उन्होंने पहाड़ों पर कई जानवरों की तस्वीरें लीं है. लेकिन उन्हें यकीन नहीं हुआ, जब उन्होंने स्नो लेपर्ड को सामने देखा. ऐसा पहली बार हुआ था. एक नहीं बल्कि एक ही रात में दो-दो स्नो लेपर्ड दिखाई पड़े.
साशा की ली गई तस्वीरें बेहद खूबसूरत हैं. निसंदेह इन सफेद तेंदुओं को हम में से बहुत से लोगों ने पहले कभी नहीं देखा होगा. स्नो लेपर्ड भारत की 5 'बड़ी बिल्लयों' रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाटिक लायन, भारतीय तेंदुआ और क्लाउडेड लेपर्ड में से एक है.
इस तेंदुए को देखना बहुत मुश्किल है. समुद्र तट से 2700 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई वाले हिमालय और ट्रांस हिमालय क्षेत्रों में पाए जाते हैं. कई सालों से अवैध शिकार से इनके संरक्षण में आई कमी और वन्य जीव कम होने के कारण ये मानव आवास के करीब आ गए.
भारत में हर एक स्नो लेपर्ड 150-200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है, शिकार के घनत्व की कमी को देखते हुए इस प्रजाति के भले के लिए, संरक्षित इलाकों का विस्तार किए जाने की ज़रूरत है.
प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड (Project snow leopard) का मकसद है इन स्नो लेपर्ड्स को बचाना. भारत में दुनिया के 10 प्रतिशत स्नो लेपर्ड पाए जाते हैं. ये इन पांच राज्यों- जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पाए जाते हैं, जो इसके वैश्विक आवास का केवल 5 प्रतिशत है.
इनके विकास और संरक्षण के लिए, भारत के पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड कमेटी ने 2009 में प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड की शुरुआत की थी. भारत में प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजक्ट एलिफेंट प्रचलित हैं, जिन्हें 1973 में शुरू किया गया था.
स्नो लेपर्ड, भेड़िए की तरह शीर्ष शिकारी हैं. यह प्रोजेक्ट सिर्फ स्नो लेपर्ड को संरक्षित करने के लिए नहीं, बल्कि प्रोजक्ट टाइगर के साथ इसे अंब्रैला स्पिशीज़ माना जाता है. इसके संरक्षण के साथ दूसरी प्रजातियों का भी संरक्षण होता है.
भारत के तीन नेशनल पार्क हैं जहां स्नो लेपर्ड को देखा जा सकता है. ये जगह हैं- किब्बर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी- हिमाचल प्रदेश, उल्ले घाटी- लद्दाख और हेमिस नेशनल पार्क-हिमाचल प्रदेश.


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