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अंतरिक्ष (Space) से पृथ्वी (Earth) पर बहुत तरह के विकिरण (Radiation) पहुंचते हैं.
अंतरिक्ष (Space) से पृथ्वी (Earth) पर बहुत तरह के विकिरण (Radiation) पहुंचते हैं. इसमें प्रकाश (Light) के अलावा गामा विकरणों और एक्सरे विकिरणें ही नहीं बल्कि रेडियो तरंगें (Radio Waves) भी आती हैं. हर तरह की तरंगें अलग तरह की जानकारी दे सकती हैं. इसीलिए रेडियो टेलीस्कोप (Radio Telescope) का भी अपना महत्व है. हाल ही में स्क्वायर किलोमिटर ऐरे ऑबजर्वेटरी, स्काओ (SKAO) काउंसिल ने दुनिया के सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप को स्थापित करने का फैसला किया है.
क्यों खास होते हैं रेडियो टेलीस्कोप
रेडियो टेलीस्कोप आम ऑप्टिकल टेलीस्कोप की कमी को पूरा करते हैं. वे दिखाई न देने वाली गैसे की पहचान कर सकते हैं. इसलिए ब्रह्माणड की धूल की वजह से दिखाई ने पाने वाले अंतरिक्षीय पिंडों के बारे में काफी कुछ जानकारी हासिल कर सकते हैं. नासा के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रेडियो खगोलविज्ञान का उपयोग आम हुआ और तब से यह बहुत अहम उपकरण हो गया है.
तो फिर यह टेलीस्कोप क्यों
पिछले साल के अंत में प्योते रिको में स्थित एरिसबो रेडियो टेलिस्कोप नष्ट हो गया था. यह दुनिया का दूसरा एकल डिश रेडियो टेलीस्कोप था. 1963 में निर्मित यह टेलीस्कोप अपने शक्तिशाली राडार की वजह से जाना जाता था. इसके जरिए वैज्ञानिक ग्रहों, क्षुद्रग्रह आदि का अवलोकन करते हैं. इस रेडियो टेलीस्कोप की कई खोजों में अहम भूमिका रही है जिनमें सुदूर गैलेक्सियों में प्रीबायोटिक अणुओं की खोज, पहला बाह्यग्रह और पहला मिली सेंकेंड पल्सर शामिल है.
कितना खर्चा आएगा इसमें
SKA टेलीकोप अफ्रीका और ऑस्ट्रलिया में स्थापित किया जाएगा औरयह दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप होगा. इसके संचालन, रखरखाव और निर्माण स्काओ के द्वारा किया जाएगा. इसका निर्माण एक दशक में पूरा हो जाएगा और इसमें कुल 1,8 अरब पाउंड का खर्चा आएगा.
रेडियो टेलीस्कोप (Radio Telescope) से बहुत सारी ऐसी जानकारी मिलती है जो ऑप्टिकल टेलीस्कोप (Optical Telescope) से नहीं मिलती.
इन सवालों के जवाब के तलाश
इस टेलीस्कोप के जरिए वैज्ञानिक कई सवालों के जवाब ढूंढने की उम्मीद कर रहे हैं. इसमें ब्रह्माण्ड की शुरुआत, पहले तारे का निर्माण का समय, गैलेक्सी का जीवन चक्र, सुदूर अंतरिक्ष हमारी गैलेक्सी और उसके बाहर तकनीकी रूप से सक्रिय सभ्यता की खोज, गुरुत्वाकर्षण तरंगों के उद्गम स्थल की पड़ताल जैसे सवाल शामिल होंगे.
कैसे हासिल होंगे लक्ष्य
नासा के मुताबिक टेलीस्कोप अपने वैज्ञानिक लक्ष्यों की पूर्ति ब्रह्माण्ड में तटस्थ हाइड्रोजन के मापन, हमारी गैलेक्सी मिल्की वे में मौजूद पल्सर से मिलने वाले संकेतों के सटीक समय के मापन और लाखों गैलेक्सी के उच्च रेडशिफ्ट की पड़ताल के जरिए करेगा.
नए रेडियो टेलीस्कोप (Radio Telescope) से ब्रह्माण्ड के बहुत से रहस्यों को सुलझाने में मदद मिल सकेगी.
क्या है यह SKAO
स्काओ SKAO एक नया अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो रेडियो खगोलविज्ञान के लिए बहुत सारे देशों ने बनाया है. इसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, भारत, इटली, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रिका, स्वीडन, नीदरलैंड और यूके शामिल हैं. अभी तक SKA का विकास में अभी दुनिया के सबसे शक्तिशाली रेडियो टेलिस्कोप ऑस्ट्रिलया स्कावयर किलोमीटर ऐरे पाथफाइंडर (ASKAP) के नतीजों का उपयोग किया जाएगा. इसे ऑस्ट्रेलिया की CSIRO विज्ञान संस्था संचालन करेगी.
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रेडियो टेलीस्कोप के लिए एक बड़े एंटीना की जरूरत होती है जिससे वह उन रेडियो तरंगों को पकड़ता जो अंतरिक्ष के पिंडों से पैदा होती है. ये तरंगे दिन और रात में कभी भी पकड़ी जा सकती है. लेकिन बहुत दूर से आने के कारण ये तरंगे काफी कमजोर होती है. इसके अ
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