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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लंदन. ब्रिटेन में मशरूम पर हुए एक नए रिसर्च में ये चौंकाने वाली खोज हुई है कि मशरूम आपस में बात भी कर सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि मशरूमों के अपने आसपास के मौसम के बदलाव और संभावित खतरों के बारे में आपस में बातचीत करने की सबसे अधिक संभावना है. एक मशरूम दूसरे मशरूम को आने वाले खतरे के बारे में आगाह कर सकता है. वे दूसरे मशरूम को ये भी बता सकते हैं कि उनको खतरा है और उन्हें चेतावनी देते हैं.
इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने मशरूम की चार प्रजातियों की विद्युत गतिविधि के पैटर्न का विश्लेषण किया. वे बताते हैं कि जब मशरूम बातचीत करते हैं तो उनकी विद्युत गतिविधि में उछाल देखा जाता था. ऐसा माना जाता है कि मशरूम आपस में जानकारी को मायसेलियम (mycelium) नामक अपनी जड़ों के माध्यम से एक-दूसरे तक पहुंचाने का काम करते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड के प्रोफेसर एंड्रयू एडमात्जकी ने पाया कि मशरूमों के शब्दों की औसत लंबाई 5.97 अक्षर थी. अंग्रेजी के औसतन 4.8 अक्षरों के शब्दों की तुलना में मशरूमों की भाषा अधिक जटिल दिखाई देती है. हालांकि ये रूसी भाषा के औसतन छह-अक्षरों के शब्दों से सरल है.
प्रो. एडमात्जकी ने कहा कि रिसर्च के निष्कर्षों से पता चला है कि मशरूम में दिमाग और चेतना भी मौजूद है. रॉयल सोसाइटी के ओपन साइंस जर्नल में उन्होंने लिखा है कि 'ये मानते हुए कि विद्युत गतिविधि का उपयोग मशरूम आपसी संचार करने के लिए करते हैं, हम ये प्रदर्शित करते हैं कि मशरूम के शब्दों की लंबाई मानव भाषाओं से मेल खाती है.' प्रो. एडमात्जकी ने कहा कि 'हमने पाया कि मशरूमों की शब्दावली का आकार 50 शब्दों तक हो सकता है. हालांकि सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों की मुख्य शब्दावली केवल 15 से 20 शब्दों से अधिक नहीं होती है.'
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