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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | फाइल फोटो
अलबामा: 26 सितंबर 2022. यह तारीख अपनी डायरी या गूगल कैलेंडर में नोट कर लीजिए. क्योंकि 59 वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति (Jupiter) धरती के नजदीक आ रहा है. इस तारीख को बृहस्पति ग्रह सूरज से ठीक उलटी दिशा में होगा. पृथ्वी से दिखाई देगा. बृहस्पति की दिशा बदलने की इस स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में अपोजिशन (Opposition) कहते हैं.
बृहस्पति ग्रह के लिए अपोजिशन एक सामान्य प्रक्रिया है. हर 13 महीने में एक बार होता है. हर साल पृथ्वी और बृहस्पति एक बार एकदूसरे के नजदीक आते हैं. लेकिन इस बार 25 सितंबर और 26 सितंबर को जो घटना हो रही है, वह दुर्लभ है. यह 59 वर्षों में पहली बार हो रहा है कि जब पृथ्वी और बृहस्पति ग्रह एकदूसरे के बेहद करीब होंगे. जिसकी वजह से आपको आसमान में बृहस्पति ग्रह एक बड़े चमकदार तारे की तरह दिखाई देगा. अगर आसमान साफ रहा तो आप टेलिस्कोप की मदद से इसके चंद्रमा और इस गैसीय ग्रह को आराम से देख सकेंगे.
अलबामा स्थित NASA के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में रिसर्च एस्ट्रोफिजिसिस्ट एडम कोबेलस्की ने कहा कि 26 सिंतबर तो खास दिन है. लेकिन उसके पहले और बाद में कुछ दिनों तक बृहस्पति ग्रह को खुली आंखों से एक चमकदार तारे की तरह देखा जा सकता है. बस मौसम अच्छा, आसमान काला और प्रदूषण मुक्त होना चाहिए. चंद्रमा के बाद सबसे ज्यादा चमकदार वस्तु जो दिखाई दे, समझ लीजिए कि वो बृहस्पति ग्रह है.
धरती सूरज का चक्कर 365 दिन में लगाती है. बृहस्पति 4333 दिन में सूरज का एक चक्कर लगाता है. यानी धरती 12 साल के बराबर. 25 और 26 सितंबर 2022 को धरती से बृहस्पति ग्रह की दूरी 59 करोड़ किलोमीटर रहेगी. जबकि आमतौर पर अधिकतम दूरी 96 करोड़ किलोमीटर रहती है. इससे पहले हमारी धरती के इतने पास बृहस्पति ग्रह अक्टूबर 1963 में आया था. नजदीक आने का मतलब है वैज्ञानिकों के लिए बेहतर मौका ज्यादा रिसर्च करने के लिए. तारों को देखने वाले एस्ट्रोनॉमर्स और शौकिया लोगों के लिए यह हफ्ता बेहद खास रहेगा.
एडम कोबेलस्की ने बताया कि अगर आपके पास अच्छी दूरबीन या टेलिस्कोप है, तो आप बृहस्पति ग्रह की मुख्य रेखा, तीन चार रेखाएं या फिर उसके साथ घूमने वाले चंद्रमाओं को देख पाएंगे. महान वैज्ञानिक गैलिलियों ने बृहस्पति के चंद्रमाओं को 17वीं सदी में खोजा था. देखा भी था. बृहस्पति ग्रह के पास 79 चंद्रमाएं हैं. जिनकी संख्या बढ़ भी सकती है. इनमें जो सबसे बड़े हैं- वो हैं लो (IO), यूरोपा (Europa), गैनीमेडे (Ganymede) और कैलिस्टो (Calisto). ये सभी चंद्रमा बृहस्पति के चारों तरफ घूमते हुए चमकते बिंदु की तरह दिखाई देंगे.
एडम कोबेलस्की ने कहा कि यूरोपा (Europa) पर बर्फ के समुद्र हैं. इसलिए ऐसा लगता है कि वहां पर पानी हो सकता है. अगर पानी है तो जीवन भी हो सकता है. इसकी जांच करने के लिए यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper) की लॉन्चिंग 2024 में होगी. उससे पहले बाकी के चीन चंद्रमाओं की जांच करने के लिए अप्रैल 2023 में स्पेसक्राफ्ट भेजा जाएगा. यह बृहस्पति ग्रह के सभी बर्फीली चंद्रमाओं की जांच करेगा.
बृहस्पति ग्रह के पास एक बड़ा सा विशालकाय लाल धब्बा है. इसे ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot) कहते हैं. इस स्पॉट का व्यास 16 हजार किलोमीटर है. यह सौर मंडल का सबसे बड़ा तूफान है. जिसके अंदर 430 से 685 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से हवा चल रही है. नासा के जूनो स्पेसक्राफ्ट ने इस तूफान की जांच की तो हैरान रह गए वैज्ञानिक. क्योंकि इस तूफान की गहराई बहुत ज्यादा है. यानी धरती के समुद्र की गहराई से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन तक.
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