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शुक्र ग्रह को लेकर चौंकाने वाली खबर, जीवन है संभव, क्योंकि...
jantaserishta.com
22 Dec 2021 4:56 AM GMT
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नई दिल्ली: शुक्र ग्रह पर जीवन संभव है! ये दावा कर रहे हैं वो वैज्ञानिक जिन्होंने इस ग्रह के बादलों में जीवन का आधार खोजा है. क्योंकि शुक्र ग्रह के बादलों में अमोनिया की मौजूदगी ऐसे कई घटनाओं को संचालित कर रही है, जिससे यह ग्रह रहने योग्य बन सकता है. इसके पीछे वजह ये है कि शुक्र पर जिस भी तरह का जीवन है, वह ऐसे रसायनिक प्रक्रियाओं को जन्म दे रहे हैं, जो एसिडिक वातावरण को रहने योग्य बना रहे हैं.
शुक्र ग्रह (Venus) के ऊपरी वायुमंडल में ऐसे कई अजीबो-गरीब बदलाव हो रहे हैं, जिनकी वजह से वैज्ञानिक परेशान है. इसे लेकर एक हाइपोथीसिस हाल ही में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित हुई है. इस हाइपोथीसिस को कार्डिफ यूनिवर्सिटी, MIT और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर बनाया है.
शुक्र ग्रह के बादलों में अमोनिया की मौजूदगी 1970 में ही कर ली गई थी. लेकिन हैरानी की बात ये है कि शुक्र ग्रह पर ऐसी कोई अजैविक (Inorganic) प्रक्रिया नहीं हो रही है, जिससे वहां पर अमोनिया का निर्माण हो. नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि शुक्र ग्रह के ऊपरी वायुमंडल पर हो रहे रसायनिक प्रक्रियाओं से पता चलता है कि अगर अमोनिया मौजूद है तो वह ऐसे रिएक्शन करेगा, जिससे सल्फ्यूरिक एसिड (Sulphuric Acid) का असर खत्म हो जाएगा.
अगर इसी तरह शुक्र ग्रह पर अमोनिया की मात्रा बढ़ती रही तो एक समय ऐसा आएगा कि वहां के बादलों का pH लेवल कम होकर - 11 से 0 हो जाएगा. जब बादलों में अम्लीयता यानी एसिडिटी कम होगी तो जीवन के बढ़ने की संभावना ज्यादा हो सकती है. क्योंकि धरती पर कुछ जीव ऐसे हैं जो खुद अमोनिया पैदा करते हैं. इसका मतलब ये है कि ऐसे जीव शुक्र पर विकसित हो सकते हैं और वो ग्रह की अम्लीयता को खत्म करने में मदद कर सकते हैं.
कार्डिफ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर और इस स्टडी के सह-लेखक डॉ. विलियम बैंस ने कहा कि हमें यह पता है कि धरती पर एसिडिक वातावरण में भी कुछ जीव पनप सकते हैं. शुक्र ग्रह के बादलों से ज्यादा अम्लीय अभी तक कुछ सोचा नहीं गया है. लेकिन वहां पर भी कुछ ऐसा है जो अमोनिया का निर्माण कर रहा है. अगर अमोनिया इन बादलों की एसिडिटी को खत्म कर दे तो जीवन संभव है. शुक्र ग्रह पर रहने योग्य वातावरण बन सकता है.
इस स्टडी को करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि शुक्र ग्रह पर जीवन की उत्पत्ति किसी जैविक वजह से नहीं होगी. लेकिन यह किसी अजैविक (Non-Biological) स्रोत से हो सकती है, जैसे बिजली के गिरने से या फिर ज्वालामुखी के फटने से. MIT के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ, एटमॉस्फियरिक एंड प्लैनेटरी साइंसेस की प्रोफेसर सारा सीगर ने कहा कि शुक्र ग्रह पर अमोनिया होना ही नहीं चाहिए था. क्योंकि उसका वातावरण इसके हिसाब का नहीं है.
सारा ने कहा कि अमोनिया के साथ बेहद कम मात्रा में हाइड्रोजन जुड़ा होता है. अगर शुक्र ग्रह के अम्लीय वातावरण में जिन गैसों की गणना की गई है, उनके अलावा कोई अन्य गैस मिलती है, तो वह जीवन के संकेत की तरफ इशारा करती है. अगर अमोनिया शुक्र ग्रह पर पैदा हो रहा है तो इसका मतलब ये है कि वहां पर जीवन संभव है. यह भी संभव है कि वहां पर पानी की मात्रा भी हो लेकिन किसी अलग रूप में.
दो महीने पहले एक स्टडी आई थी, जिसमें कहा गया था कि शुक्र ग्रह (Venus) पर जीवन न कभी था, न ही भविष्य में संभव होगा. एक नई स्टडी में वैज्ञानिकों ने यह खुलासा किया है. अब अगर कोई एलियन की खोज करना चाहता है तो उसे शुक्र ग्रह से अपना ध्यान हटाना होगा, क्योंकि वहां कि गर्मी में किसी भी प्रकार का जीवन संभव नहीं है. पिछले कुछ सालों में अंतरिक्ष विज्ञानियों का ध्यान शुक्र ग्रह की ओर ज्यादा गया है. हमारे सौर मंडल में सूर्य के बाद यह दूसरा ग्रह है. शुक्र पर जीवन की संभावना की तलाश कई दशकों से की जा रही थी, लेकिन यह संभव नहीं है.
शुक्र ग्रह पर सूर्य की गर्मी सबसे ज्यादा पड़ती है. इसलिए यहां पर जीवन संभव नहीं है. लेकिन कुछ पुरानी स्टडीज में यह अंदाजा लगाया गया था कि प्राचीन समय में जब यह ग्रह बना तब यहां पर बड़े महासागर रहे होंगे. जीवन के लिए उपयुक्त जलवायु भी रहा होगा. लेकिन ऐसा सैकड़ों अरबों साल पहले रहा होगा. हालांकि, अब की स्टडी में यह बात स्पष्ट तौर पर कह दी गई है कि शुक्र ग्रह पर जीवन न संभव था, न ही कभी होगा.
शुक्र ग्रह (Venus) इस समय नर्क है. यहां की सतह हड्डी की तरह सूखी और जलवायु सूरज की तरह गर्म है. इतनी गर्म है कि यह लीड (Lead) को भी पिघला दे. लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का मानना था कि शुक्र पर जीवन था, जो आज भी वहां कहीं न कहीं होगा जरूर. हो सकता है कि यह जीवन शुक्र ग्रह की सतह से 50 किलोमीटर ऊपर उड़ते बादलों में हो. जहां पर तापमान और दबाव एक समान हो, जैसा कि धरती पर है. लेकिन नई स्टडी इन सभी अंदाजों पर पानी फेर दिया.
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