विज्ञान

वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी! वैश्विक तापमान में ऐसे हो रही बढ़ोतरी, 30 गुना ज्यादा घातक होंगी हीटवेव्स

Tulsi Rao
25 May 2022 4:31 AM GMT
वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी! वैश्विक तापमान में ऐसे हो रही बढ़ोतरी,   30 गुना ज्यादा घातक होंगी हीटवेव्स
x

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले कुछ महीनों में भारत ने झुलसा देने वाली गर्मी देखी. वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) में आई विनाशकारी गर्मी और हीट वेव्स (Heat waves) जलवायु परिवर्तन (Climate Change) की वजह से ही हैं. उन्होंने कहा कि इन दोनों देशों ने जो देखा, वह इन इलाकों के भविष्य की महज एक झलक है.

हाल ही में किए गए एक शोध को प्रकाशित करते हुए वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मार्च और अप्रैल में दक्षिण एशिया की घातक हीटवेव्स 30 गुना और घातक हो सकती हैं.
दिल्ली में खुद को तेज गर्मी से बचाने के लिए ओवर ब्रिज की झांव का सहारा
उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में अप्रैल में तापमान, लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. गर्मी की वजह से दोनों देशों में करीब 90 लोगों की मौत भी हुई. मार्च में भारत में रिकॉर्ड तापमान देने वाली हीटवेव ने गेहूं की फसल को भी बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है.
वैश्विक तापमान बढ़ा तो और बढ़ेंगी हीटवेव
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के वैज्ञानिकों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के बिना, इस तरह की हीटवेव्स को 'असाधारण रूप से दुर्लभ' कहा जाएगा. अब, औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म है. साथ ही, दक्षिण एशिया में इस तरह की हीटवेव होने की संभावना 30 गुना ज्यादा है. अगर वैश्विक तापमान बढ़ता रहा तो ये हीटवेव और भी ज्यादा बढ़ सकती हैं.
अहमदाबाद में तेज गर्मी से सड़क पर बिछा कोलतार पिघल गया और व्यक्ति की चप्पल उसमें फंस गई
बढ़ सकती है लू से मरने वालों की संख्या
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे की हाइड्रोक्लाइमेटोलॉजिस्ट अर्पिता मंडल का कहना है कि एक 2C गर्म दुनिया में, जो घटनाएं 100 साल में एक बार घटती थीं, वह अब 5 साल में एक बार हो सकती हैं.
रेड क्रॉस रेड क्रिसेंट क्लाइमेट सेंटर (Red Cross Red Crescent Climate Centre) की क्लाइमेट रिस्क एडवाइज़र रूप सिंह का कहना है कि दक्षिण एशिया के लोग कुछ हद तक गर्म तापमान के आदी हैं. लेकिन जब यह 45C या उससे ज्यादा हो जाता है, तो नियमित गतिविधियों को अंजाम देना काफी मुश्किल होता है. जैसे दैनिक वेतन भोगी मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले और निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों पर इसका ज्यादा असर होता है. उनका यह भी कहना है कि विशेषज्ञों को आशंका है कि लू से मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है.


Next Story