विज्ञान

वैज्ञानिकों ने बताया अंतरिक्ष में तैर रही है रहस्‍यमय चट्टान का 'सच'

Gulabi
18 March 2021 4:52 PM GMT
वैज्ञानिकों ने बताया अंतरिक्ष में तैर रही है रहस्‍यमय चट्टान का सच
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वर्ष 2017 में धरती के बेहद पास से एक रहस्‍यमय विशाल स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट गुजरा था

वर्ष 2017 में धरती के बेहद पास से एक रहस्‍यमय विशाल स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट गुजरा था। इस स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट की उत्‍पत्ति और पहचान अभी तक वैज्ञानिकों के लिए रहस्‍य बनी हुई है। पिछले दिनों हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रफेसर ऐवी लोएब का दावा था कि 19 अक्टूबर, 2017 को देखी गई स्पेस रॉक Oumuamua या संदेशवाहक दरअसल एलियन्‍स का प्‍लेन था। इस दावे के बीच अब वैज्ञानिकों के एक और दल ने बताया है कि यह रहस्‍यमय चट्टान एक ऐसे प्रक्षेपपथ से गुजर रही थी जिससे साफ पता चलता है कि यह किसी दूसरे सोलर सिस्‍टम से आई थी। इसके साथ ही अब पहली बार तारों के मध्‍य के एक ऑब्‍जेक्‍ट की वैज्ञानिकों ने पहचान करने में सफलता हासिल की है। आइए जानते हैं क्‍या है पूरा मामला....

​'स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट ने Oumuamua ग्रह को टक्‍कर मार दी'
अमेरिकन जिओफिज‍िकल यूनियन जर्नल में प्रकाशित पेपर में स्पेस रॉक Oumuamua को लेकर एक और सिद्धांत दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह ऐस्‍टरॉइड किसी दूसरे सोलर सिस्‍टम के छोटे से ग्रह का टुकड़ा था। एरिजोना स्‍टेट यूनिवर्सिटी के खगोल भौतिकीविद और इस शोध के सह लेखक स्‍टीवन देश्‍च ने कहा कि हमने संभवत: Oumuamua के रहस्‍य का खुलासा कर लिया है। हमने युक्तिपूर्वक यह पहचान कर सके हैं कि यह चट्टान किसी दूसरे ग्रह के प्‍लूटो जैसे ग्रह का एक टुकड़ा थी। देश्‍च और उनके सहलेखकों का मानना है कि करीब 50 करोड़ साल पहले एक स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट ने Oumuamua के मुख्‍य ग्रह को टक्‍कर मार दी थी। इसके बाद Oumuamua स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट का एक टुकड़ा टूटकर हमारे सोलर सिस्‍टम में आ गया होगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि एक बार जब यह स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट सूरज के पास पहुंचा होगा तो उसकी गति बढ़ गई होगी क्‍योंकि सूरज की किरणों ने बर्फ से भरी चट्टान को वाष्‍पीकृत कर दिया होगा। धूमकेतु भी इसी तरह से गति करते हैं और इसे 'रॉकेट इफेक्‍ट' कहा जाता है।
​प्‍लूटो की तरह से नाइट्रोजन बर्फ से हुआ निर्माण!
चूंकि Oumuamua चट्टान के निर्माण का पता नहीं है, इसलिए वैज्ञानिकों ने निष्‍कर्ष निकाला है कि यह स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट संभवत: नाइट्रोजन आइस से बनी होगी। यह कुछ उसी तरह से होगा जैसे प्‍लूटो या नेप्‍यूटन के ग्रह ट्राइटोन की सतह का निर्माण नाइट्रोजन आइस से हुआ है। जब यह चट्टान हमारे सोलर सिस्‍टम के पास आने लगी तब सूरज की किरणों ने इसकी जमी हुई नाइट्रोजन की लेयर को पिघलाना शुरू कर दिया होगा। यह स्‍पेस ऑब्‍जेक्‍ट वर्ष 1995 में पहली बार हमारे सोलर सिस्‍टम में घुसी थी। उस समय इसका किसी को पता नहीं था और परिणाम यह हुआ कि यह करीब 95 फीसदी पिघल गई है और अब यह चांदी में बदल गई है। वर्ष 2017 में जब खगोलव‍िदों को इसके बारे में पता चला तब तक देर हो चुकी थी। यह करीब एक लाख 96 हजार प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती से दूर रहा था। ऐसे में उनके पास Oumuamua के अध्‍ययन के लिए कुछ ही सप्‍ताह थे। कई टेलिस्‍कोप की मदद से उसकी जांच की गई लेकिन बहुत ज्‍यादा जानकारी नहीं मिल पाई। अब यह रहस्‍यमय ऐस्‍टरॉइड धरती से बहुत दूर चला गया है और वर्तमान तकनीक से उसकी जांच संभव नहीं है।
​ऐस्‍टरॉइड या कॉमेट, अभी वैज्ञानिक नहीं कर पा रहे तय
Oumuamua को पहले वैज्ञानिकों ने एक धूमकेतु माना था लेकिन वह न तो बर्फ से बना था और न ही गैस छोड़ता था जैसा कि कॉमेट या धूमकेतु करते हैं। वहीं इसका घूमना, स्‍पीड और परिक्रमापथ को केवल गुरुत्‍वाकर्षण से नहीं बताया जा सकता है, इससे पता चलता है कि यह एक ऐस्‍टरॉइड नहीं है। इस रहस्‍यमय ऑब्‍जेक्‍ट का आकार और प्रोफाइल अब तक देखे गए किसी कॉमेट या ऐस्‍टरॉइड से मेल नहीं खाता है। Oumuamua एक मील लंबा है लेकिन केवल 114 फुट चौड़ा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि Oumuamua की जमी हुई नाइट्रोजन संरचना इसके आकार के बारे में बता सकती है। इस शोध के एक अन्‍य लेखक एलन जैक्‍शन ने कहा कि चूंकि इस चट्टान की बाहरी परत सूरज की रोशनी की वजह से सूख गई है, इसलिए इसका आकार काफी हद तक समतल हो गया है। यह कुछ उसी तरह से है जैसे साबुन होता है, जब उसकी परत घिसती है तो वह समतल हो जाता है।
​क्‍या रहस्‍यमय चट्टान एलियंस का अंतरिक्ष यान थी?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रफेसर ऐवी लोएब का कहना है कि 19 अक्टूबर, 2017 को देखी गई स्पेस रॉक Oumuamua दरअसल एलियन लाइफ का सबूत थी। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के PAN-STARRS1 टेलिस्कोप ने इसे देखा था। सिगार के आकार का ये ऑब्जेक्ट 1.96 लाख मील प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती के करीब से गुजरा था और इसे धूमकेतु या ऐस्टरॉइड माना गया था। हालांकि, ऐवी का कहना है कि यह कोई आम स्पेस रॉक नहीं थी। यह एलियंस का अंतरिक्ष यान था। ऐवी ने बताया कि Oumuamua हर आठ घंटे पर सूरज की एक सी चमक रिफ्लेक्ट करता था। इससे संकेत मिलता है कि वह हर आठ घंटे पर अपने केंद्र पर पूरी तरह घूम लेता था। इससे पहले किसी दूसरे स्पेस ऑब्जेक्ट का आकार ऐसा नहीं पाया गया था। इसकी चमक सामान्य धूमकेतुओं या ऐस्टरॉइड्स से दस गुन ज्यादा थी। सबसे बड़ा दावा जो ऐवी इसके एलियन लाइफ के सबूत के तौर पर देते हैं, वह है सूरज के गुरुत्वाकर्षण का असर। उन्होंने बताया कि सूरज के करीब जाने पर स्पेस ऑब्जेक्ट्स की रफ्तार तेज हो जाती है और दूर जाने पर धीमी। हालांकि, Oumuamua के साथ ऐसा नहीं हो रहा था। उन्होंने यह भी कहा है कि किसी धूमकेतु या ऐस्टरॉइड की तरह Oumuamua की कोई पूंछ नहीं थी और न ही इससे कार्बन के संकेत मिले। इसके चक्कर का जो रास्ता था, वह अपने आप में काफी अजीब था।
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