विज्ञान

शुक्र ग्रह के इस हिस्से की तस्वीर देख चौंके वैज्ञानिक, जानें वजह

Gulabi
26 Feb 2021 3:49 PM GMT
शुक्र ग्रह के इस हिस्से की तस्वीर देख चौंके वैज्ञानिक, जानें वजह
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शुक्र ग्रह का कुछ हिस्सा आमतौर पर पृथ्वी (Earth) से कभी भी दिखाई नहीं देता. लेकिन

शुक्र ग्रह (Venus) का कुछ हिस्सा आमतौर पर पृथ्वी (Earth) से कभी भी दिखाई नहीं देता. लेकिन जब नासा (NASA) के पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) शुक्र ग्रह के ऐसे हिस्से की तस्वीर खींच कर भेजी तो वैज्ञानिकों में इस तस्वीर को लेकर काफी कौतूहल था. यह तस्वीर पार्कर के वाइड फील्ड इमेजर (WISPR) से ली गई है. लेकिन जब वैज्ञानिकों ने इस तस्वीर को देखा तो उन्हें यह तस्वीर उम्मीद से अलग दिखाई दी.

क्या उम्मीद थी वैज्ञानिकों को

यह तस्वीर शुक्र के रात के हिस्से की है. नासा के वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे थे कि इस तस्वीर में घने बादल दिखेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. दरअसल जब भी शुक्र ग्रह की तस्वीर ली जाती है, तो उसमें बादल की वजह से शुक्र की सतह दिखाई नहीं देती है. लेकिन इस तस्वीर में धने बादल दिखाई नहीं दे रहे हैं और शुक्र की सतह साफ दिखाई दे रही है.
क्या काम है पार्कर सोलर प्रोब का
नासा का पार्कर सोलर प्रोब सूर्य पर करीबी नजर रखने के लिए साल 2018 में भेजा गया है. अपने सात साल की यात्रा के दौरान पार्कर शुक्र के गुरुत्व की सहायता से सूर्य के पास जाने के लिए उसके पास से गुजरा था. उसी समय पार्कर ने यह तस्वीर ली थी. पार्कर को सात बार शुक्र के पास से गुजरना है जिससे वह हर बार सूर्य के पास आता जाएगा.


कब ली गई थी यह तस्वीर
पार्कर से पहले सूर्य के इतना करीब कोई भी मानव निर्मित पिंड नहीं पहुंचेगा. सूर्य के पास पहुंचने के बाद उसकी सूर्य से दूरी केवल 40 लाख मील दूर रहेगी. शुक्र ग्रह की यह तस्वीर पार्कर के WISPR ने जुलाई 2020 में ली थी जब पार्कर तीसरी बार शुक्र ग्रह के पास से गुजर रहा था.
क्या दिखा इस तस्वीर में
WISPR की इस तस्वीर में बादलों का पास गहरे रंग का इलाका एफ्रोडाइट टेरा दिखाई दे रहा है जो शुक्र की भूमध्य रेखा के पास का उठा हुआ क्षेत्र है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह क्षेत्र अपने आसपास के इलाके से 30 डिग्री तक ज्यादा ठंडा है. वॉशिंगटन डीसी स्थित यूएस नेवल रिसर्च लैबोरेटरी के WISPR वैज्ञानिक और एस्ट्रोफिजिसिस्ट ब्रायन वुड का कहना है कि WISPR ने शुक्र की सतह की ऊष्मा उत्सर्जन को प्रभावी तरीके से कैद किया है.

क्या हो सकती है इसकी वजह
वुड का कहना है कि तस्वीर वैसी ही है जैसी जापान के वीनस प्रोब ने खींची है जो नियर इंफ्रारेड तरंगों को पकड़ शुक्र का अध्ययन कर सकता है. वहीं इस तस्वीर से पता चलता है कि या तो WISPR की क्षमता उम्मीद से कहीं ज्यादा है. यदि ऐसा है तो पार्कर के जरिए WISPR सूर्य के पास की धूल का अध्ययन मुमकिन है. वहीं कुछ वैज्ञानिकों ने इसे हैरान करने वाला बताया है.
एक वजह यह भी हो सकती है
लेकिन अगर WISPR की संवेदनशीलता ज्यादा नहीं है तो शुक्र की सतह का दिखाई देने का मतलब यह हो सकता है कि शुक्र के बादलों से एक खिड़की खुल गई होगी जिससे एफ्रोडाइट टेरा का क्षेत्र दिखाई दे सका. सच जानने के लिए इस तरह की और तस्वीरें ली जाएंगी और उसका विश्लेषण किया जाएगा. नई तस्वीरें अब अप्रैल में आ सकेंगी.


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