विज्ञान

वैज्ञानिकों ने पहली बार दिखा सुपरमासिव ब्लैक होल का पुरातन पूर्वज

Rani Sahu
15 April 2022 2:32 PM GMT
वैज्ञानिकों ने पहली बार दिखा सुपरमासिव ब्लैक होल का पुरातन पूर्वज
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ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति (Origin of Uinverse) के अध्ययन में लगे वैज्ञानिकों अब पुरातन समय के पिंडों के संकेत मिल रहे हैं

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति (Origin of Uinverse) के अध्ययन में लगे वैज्ञानिकों अब पुरातन समय के पिंडों के संकेत मिल रहे हैं. ये वे पिंड हैं जो ब्रह्माण्ड के निर्माण शुरू होने के समय या उसके थोड़े ही समय बाद बने थे. हाल ही में खगोलविदों ने ऐसी गैलेक्सी की खोज की जिसकी पृथ्वी पर पहुंचने वाली रोशनी ने 13 अरब साल से भी ज्यादा समय का सफर किया था. अब वैज्ञानिकों को एक सुपरमासिव ब्लैक होल का पुरातन पूर्वज (Ancestor of Supermassive Black Hole) मिला है जो खगोलीय सुबह (Cosmic Dawn) के समय का पिंड है यानि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के कुछ ही समय बाद का है. इस पिंड में गैलेक्सी और क्वेजार के बीच में स्थित है.

खगोलीय सुबह के समय का जन्म
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के नील बोर इंस्टीट्यूट और डेनमार्क की तकनीकी यूनिवर्सिटी के खगोलभौतिकविदों ने खुलासा किया है कि यह पिंड बिग बैंग की घटना के केवल 75 करोड़ साल बाद पैदा हुआ था. चूंकि बिग बैंग की घटना 13.8 अरब साल पहले हुई थी. कहा जा रहा है कि यह पिंड खगोलीय सुबह के समय पैदा हुआ था.
एक बहुत बड़ी चुनौती और पहेली बन गया है ये
नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि शुरुआती ब्रह्माण्ड में सुपरमासिव ब्लैक होल की उत्पत्ति और विकास कैसे हुआ यह जानना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि यह क्वेजार जितना चमकीला पिंड बिग बैंगके केवल 70 करोड़ साल बाद ही अस्तित्व में है जिसका मतलब है कि यह बिग बैंग के पहले ही बना सका होगा. इससे साफ है कि खगोलविदों को किसी अहम जानकारी का अभाव है.
बहुत तेजी से तारों का निर्माण
नासा के मुताबिक सुपरमासिव ब्लैक होल सूर्य के बार से अरबों नहीं तो कम से कम करोड़ों गुना ज्यादा भारी होंगे जो विशालकाय गैलेक्सी के केंद्र या उसके आसपास स्थित होते हैं. इस पिंड का नाम GNz7q दिया गया है जो एक ऐसी गैलेक्सी में स्थित है जो हमारी मिल्की वे गैलेक्सी से 1600 गुना ज्यादा तेजी से तारों का निर्माण कर रही है. इसमें तारों से खगोलीय धूल बनकर गर्म हो रही हैजिससे इससे इंफ्रारेड तरंगों की चमक निकल रही है. इससे यह खगोलीय सुबह के दौर का सबसे चमकीला पिंड बन गया है.
क्वेजार और सुपरमासिव ब्लैक होल
खगोलविदों को यह रहयमयी पिंड तब मिला जब वे हबल स्पेस टेसीस्कोप के आंकड़ों का अध्ययन कर रहे थे. उन्होंने कहा था कि इस रहस्यमयी खोज का संबंध एक खास तरह के क्वेजार से संबंधित है जो गैलेक्सी के केंद्र या उसके आसपास मिलते हैं. चमकीले क्वेजार को सुपरमासिव ब्लैक होल से शक्ति मिलती है जिनका भार करोड़ों से लेकर अरबों सौर सूर्य के बराबर होता है.
इतनी जल्दी कैसे बन गए ऐसे पिंड
वैज्ञानिकों को लिए यह रहस्य गहरता जा रहा है कि ब्रह्माण्ड की शुरुआत में सुपरमासिव ब्लैक होल इतनी जल्दी कैसे बन गए हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि ये ब्लैक होल तेजी से विकसित होने की प्रक्रिया से गुजरे होंगे. इससे गलैक्सी से धूल भरे जटिल पिंड बने होंगे जो एक चमकीले और गठीले पिंड में बदल गए होंगे.
Rani Sahu

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