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वैज्ञानिक हैरान-परेशान! सूरज पर धरती से तीन गुना बड़ा धब्बा देखा गया, होगा ये?

jantaserishta.com
23 Jun 2022 10:20 AM GMT
वैज्ञानिक हैरान-परेशान! सूरज पर धरती से तीन गुना बड़ा धब्बा देखा गया, होगा ये?
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

पासाडेना: वैज्ञानिकों ने सूरज पर धरती से तीन गुना बड़ा धब्बा देखा है. यह धब्बा पिछले 24 घंटे में दोगुना बड़ा हो गया है. आशंका है कि इससे मध्यम दर्जे का सौर तूफान आ सकता है. जिसकी वजह से वैज्ञानिक परेशान हैं. क्योंकि अगर सौर तूफान आया तो कई सैटेलाइट प्रभावित हो सकते हैं. जीपीएस, टीवी संचार और रेडियो का काम बाधित हो सकता है.

SpaceWeather.com के लेखक टोनी फिलिप्स ने बुधवार (22 जून 2002) को लिखा की तेजी से बढ़ने वाले इस धब्बे का आकार केवल 24 घंटों में दोगुना हो गया है. इससे पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड पर असर पड़ सकता है. धब्बे की वजह से धरती के दोनों ध्रुवों पर रंगीन रोशनी वाला अरोरा (Aurora) देखने को मिल सकता है.
टोनी फिलिप्स ने कहा कि यह धब्बा अगर सौर तूफान पैदा करता है, तो वह कम से कम M Class का होगा. इन दिनों सूरज काफी सक्रिय रहा है. इस वजह से जियोमैग्रेटिक तूफान (Geomagnetic storms) आ रहे हैं. जिसे वैज्ञानिक भाषा में (M class) एम-क्लास और (X class) एक्स-क्लास के फ्लेयर्स बोलते हैं. यह सबसे मजबूत वर्ग की फ्लेयर्स भेज रहा है, क्योंकि इस समय सूरज एक्टिव है. जो अगले 8 सालों तक रहेगा. इस वजह से सौर तूफानों के आने की आशंका बनी रहेगी.
सूरज पर बने धब्बे से कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection- CME) होता है. यानी सूर्य की सतह पर एक तरह का विस्फोट. इससे अंतरिक्ष में कई लाख किलोमीटर प्रति घंटे की गति से एक अरब टन आवेषित कण (Charged Particles) फैलते हैं. ये कण जब धरती से टकराते हैं तब कई सैटेलाइट नेटवर्क, जीपीएस सिस्टम, सैटेलाइट टीवी और रेडियो संचार को बाधित करते हैं.
जब सूरज के किसी हिस्से में दूसरे हिस्से की तुलना में गर्मी कम होती है, तब वहां पर धब्बे बन जाते हैं. ये दूर से छोटे-बड़े काले और भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं. एक धब्बा कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकता है. धब्बों अंदर के अधिक काले भाग को अम्ब्रा (Umbra) और कम काले वाले बाहरी हिस्से को पेन अम्ब्रा (Pen Umbra) कहते हैं.
आमतौर पर, सीएमई ज्यादा हानिकारक नहीं होते हैं. लेकिन नासा (NASA) हर समय सूर्य की निगरानी करता हैं. इसके अतिरिक्त, नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन समय-समय पर सूर्य का चक्कर लगाते हुए उसकी सेहत की जानकारी देता रहता है. साथ ही सूर्य द्वारा बनाए गए धब्बों और अंतरिक्ष मौसम को बेहतर ढंग से समझ सकें.
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