विज्ञान

शुक्र ग्रह पर जीवन खोज रहे वैज्ञानिकों को लगा झटका, सामने आई बादलों से जुड़ी ये बड़ी खबर

Gulabi
30 Jun 2021 8:37 AM GMT
शुक्र ग्रह पर जीवन खोज रहे वैज्ञानिकों को लगा झटका, सामने आई बादलों से जुड़ी ये बड़ी खबर
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वैज्ञानिकों को लगा झटका

Life on Venus Planet: वैज्ञानिकों ने मंगल से इतर शुक्र ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को लेकर खोज शुरू की थी, जिसमें उम्मीद मुताबिक परिणाम मिलते नहीं दिख रहे. सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह शुक्र पर जीवन की संभावनाओं से वैज्ञानिकों ने इनकार कर दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रह पर मौजूद बादलों में पर्याप्त पानी की कमी है (Life on Venus Planet Earth). जिसके चलते ये किसी भी जीव के रहने योग्य नहीं है. बेलाफेस्ट की क्वींस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने वैज्ञानिक खोजों से संबंधित डाटा देखा है, जिससे ये जानकारी सामने आई है.

खोज में पता चला है कि किसी भी जीव के जीवित रहने के लिए जितने पानी की जरूरत होती है, शुक्र ग्रह के वातावरण में उससे भी 100 गुना कम पानी है. यह धरती जैसा ही स्थलीय ग्रह है लेकिन इसकी सतह का तापमान लगभग 867°F (464°C) और दबाव हमारी धरती से 92 गुना अधिक है (Life on Venus Atmosphere). इसे धरती का जुड़वां दुश्मन भी कह दिया जाता है. हालांकि वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि ये ग्रग 700 मिलियन साल पहले रहने योग्य था, लेकिन बाद में इसमें रहस्यमयी तरीके से बदलाव आ गया.
रहने लायक नहीं है शुक्र
आज का शुक्र ग्रह दूसरी दुनिया का ऐसा स्थान बन गया है, जहां भयंकर गर्मी, भारी वायुमंडलीय दबाव और अमलीय बादल पाए जाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रह के बादलों में सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदों का एक उच्च स्तर है, जो 'जल से संबंधित गतिविधि' को कम कर देता है. शोध के लेखक डॉक्टर जॉन ई हैल्सवर्थ ने कहा, 'हमारे शोध में जल संबंधित गतिविधि पर ध्यान दिया गया. हमें पता चला कि यहां पानी के मॉलिक्यूल्स (Water Molecules) की एफ्फेक्टिव कॉन्सन्ट्रेशन जरूरत से ना केवल कम है बल्कि 100 गुना नीचे है.'
फॉस्फीन गैस से जगी थी उम्मीद
इससे पहले बीते साल प्रकाशित एक रिसर्च में ये दावा किया गया था कि ग्रह पर फॉस्फीन गैस है, जिसे जीवन की संभावनाओं के सबूत के तौर पर देखा गया था (Study on Venus). लेकिन अब इस नए शोध ने उस दावे को भी खारिज कर दिया है. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि बृहस्पति ग्रह पर जीवन की संभावनाएं हैं. यहां के बादलों में उतना पानी मौजूद है, जितना किसी जीव के रहने योग्य माना जाता है. इसके साथ ही यहां के बादलों में बेहतर तापमान और पानी से संबंधित गतिविधि भी है. जिसकी वैज्ञानिकों ने उम्मीद नहीं की थी.
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