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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) के वैज्ञानिकोंने आलू से दलिया तैयार करने की विधि ईजाद की है। मीठा या नमकीन दलिया बनाने के लिए किसी भी किस्म का आलू उपयोग में लाया जा सकेगा। वैज्ञानिकों को पांच माह के शोध के बाद सफलता मिली है।
अब अगर आलू की पैदावार ज्यादा होती है और किसानों को सही दाम नहीं मिलते हैं तो दलिया बनाकर बाजार में बेचकर अच्छी कमाई की जा सकती है इस दलिया में न्यूट्रीशियन वैल्यू भी बनी रहती है। अभी तक खाने वाले आलू की किस्में विधायन के लिए उपयोग में नहीं लाई जाती हैं। इनमें स्टार्च ज्यादा होता है। गेहूं से एलर्जी के कारण परेशान लोगों के लिए आलू का दलिया बेहतर विकल्प रहेगा।सीपीआरआई के जालंधर केंद्र के फूड टेक्नोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक डा. अरविंद जसवाल ने बताया कि आलू से दलिया बनाने की विधि में करीब पांच माह का समय लगा है। आलू को छिलके के साथ उपयोग करके दलिया बनाया जाता है।
आलू के टुकड़े इतने छोटे किए जाते हैं कि सूखने के बाद गेहूं के दलिया से भी छोटा हो जाता है। अब आलू से दलिया तैयार करने की यूनिट लगाकर व्यवसाय भी कर सकेंगे। देश के बेरोजगार स्टार्ट अप योजना के तहत आलू से दलिया बनाने की यूनिट पचास हजार से दो लाख रुपये निवेश करके लगा सकते हैं। दलिया बनाने के लिए आलू को सूखना पड़ता है और इसे केमिकल प्रोसेस से गुजारा जाता है ताकि आलू के टुकड़े काले न पड़ें। किसी भी किस्म के आलू से दलिया बनाया जा सकता है। पहले भोज्य आलू को विधायन के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता था।
सीपीआरआई के जालंधर केंद्र के फूड टेक्नोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक डा. अरविंद जसवाल ने बताया कि आलू से दलिया बनाने से उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जिनको गेहूं से एलर्जी होती है। ये लोग आलू के दलिया से पौष्टिक व्यंजन बना सकते हैं। आलू से दलिया का यूनिट लगाकर बेरोजगार स्वावलंबी बन सकते हैं।