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देशभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अस्पतालों से लेकर घरों तक सांसों की जदोजेहद जारी है
देशभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अस्पतालों से लेकर घरों तक सांसों की जदोजेहद जारी है। चारों ओर मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर कोहराम सा मचा है। ऐसे दौर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर ) के युवा वैज्ञानिकों ने बेहद सस्ता ऑक्सीजन कन्संट्रेटर विकसित किया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके जरिए पेशेंट को आसानी से सस्ते दामों में ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सकेगी।
आईआईएसईआर भोपाल के निदेशक प्रो. शिव उमापति ने बताया कि , %ऑक्सीकॉन कन्संट्रेटर उपकरण %ओपन-सोर्स' तकनीक और सामग्री का इस्तेमाल करते हुए विकसित किया गया है। सरकार द्वारा मंजूरी मिलने के बाद इसे गांवों से लेकर शहरों तक लाना-जाना आसान होगा। दरअसल साइज में यह बेहद छोटा है।
ओपन सोर्स तकनीक एक ऐसे सॉफ्टवेयर पर आधारित होती है, जो यूज , डिस्ट्रीब्यूशन और अल्टरेशन के लिये स्वतंत्र होती है और इसकी लागत भी कम होती है। इस तकनीक को आईआईएसईआर के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के एसोसिट प्रोफेसर, असि. प्रोफेसर सुजीत पीवी, मित्रदीप भट्टाचार्य, शान्तनु तालुकदार, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग से असि. प्रोफेसर वेंकटेश्वर राव और असि. प्रोफेसर अर्धेन्धु शेखर गिरी ने मिलकर चार महीने में तैयर किया है। इसकी लागत 20 हजार रुपये आयी है। जबकि मार्केट में ऐस कॉन्सेट्रेटर 60 से 70 हजार रुपये में मिल रहे हैं।
95 फीसदी शुद्ध ऑक्सीजन मिलेगी
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऑक्सीकोन से 93 से 95 फीसदी तक शुद्ध ऑक्सीजन सप्लाई हो सकेगी। इसमें कंप्रेशर होता है, जो बाहर से हवा लेता है और नाइट्रोजन को निकालकर ऑक्सीजन देता है। ऑक्सीकोन ऑक्सीजन की कमी से निपटने में यह बेहद मददगार साबित होगा। ओपन -सोर्स तकनीक और सामग्री का उपयोग करके तैयार किया गया है। यह हर प्रकार के वातावरण के अनुकूल होने के कारण इसे कहीं भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
दाम काम आसान
आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के सिस्टम प्रोटोटाइप पहले से ही बाजार में अलग-अलग कंपनियों के उपलब्ध हैं। लेकिन अन्य कंपनियों के सिस्टम की तुलना में हम सबसे ज्यादा सस्ते दामों में ऑक्सीकोन से ऑक्सीजन उपलब्ध कराएंगे। इसे मार्केट में लाने के लिए दो से तीन कंपनियों से बातचीत चल रही है, ताकि ऑक्सीकोन कॉन्सेट्रेटर का बड़े पैमाने पर निर्माण और वितरण किया जा सके. सरकार से भी इस उपकरण के बारे में लगातार बातचीत जारी है
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