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अवसाद दुनियाभर में एक बड़ी समस्या बन चुका है और कोरोनाकाल में इसके स्तर में तेजी से इजाफा हुआ है।
अवसाद दुनियाभर में एक बड़ी समस्या बन चुका है और कोरोनाकाल में इसके स्तर में तेजी से इजाफा हुआ है। आमतौर पर मनोचिकित्सक मरीज से बातचीत कर इसका स्तर जांचते हैं और इलाज करते हैं। मगर अब इंडियाना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका इजाद किया है।
दरअसल, अब ब्लड टेस्ट से अवसाद के स्तर का पता चल सकेगा। 10 हजार भारतीय युवाओं पर जीओक्यूआईआई नामक हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म के एक सर्वे में पता चला है कि 26 प्रतिशत लोग हल्के अवसाद, 11 प्रतिशत लोग डिप्रेशन की मॉडरेट श्रेणी में, जबकि 6 प्रतिशत लोग इसके गंभीर स्तर से ग्रसित हैं।
सर्वे में शामिल 59 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें कोई काम करने में खुशी नहीं हो रही। इसके अनुसार विशेषज्ञों ने खून में 26 बायोमार्कर्स की पहचान की है, इनमें 12 बायोमार्कर्स सीधे अवसाद से संबंधित हैं। अध्ययन के निष्कर्ष मॉलेक्यूलर साइकाइट्री जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।
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