विज्ञान

वैज्ञानिकों का बड़ा दावा- ब्लड क्लॉटिंग से बचने के लिए वैक्सीन में किया जा सकता है बदलाव

Gulabi
27 May 2021 12:34 PM GMT
वैज्ञानिकों का बड़ा दावा- ब्लड क्लॉटिंग से बचने के लिए वैक्सीन में किया जा सकता है बदलाव
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कोरोना महामारी से निपटने के सबसे महत्वपूर्ण हथियार वैक्सीन में भी बदलाव किया जा सकता है

कोरोना महामारी से निपटने के सबसे महत्वपूर्ण हथियार वैक्सीन में भी बदलाव किया जा सकता है. एस्ट्राजेनेका कंपनी की बनाई कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद दुनिया के कई देशों से ब्लड क्लॉटिंग यानी रक्त के थक्के जमने की शिकायत सामने आई थी, जिसके बाद कंपनी को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा था. लेकिन जर्मनी के वैज्ञानिकों ने इस परेशानी से निपटने के लिए रास्ता सुझाया है, ताकी वैक्सीन के इस साइड इफेक्ट से बचा जा सके.

जर्मनी के वैज्ञानिकों ने सुझाया ये रास्ता
जर्मनी के गोइथे यूनिवर्सिटी और उल्‍म यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह समस्‍या एडिनोवायरस वेक्‍टर में है. यह एक सामान्‍य वायरस है जिसके जरिए वैक्‍सीन शरीर में प्रवेश कर सकती है. गोइथे यूनिवर्सिटी के एक प्रफेसर डॉक्‍टर रॉल्‍फ मार्सचालेक ने ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्‍स से बातचीत में कहा कि ऑक्‍सफर्ड की कोविशील्‍ड वैक्‍सीन इस‍लिए समस्‍या कर रही है क्‍योंकि यह एडिनोवायरस वेक्‍टर वैक्‍सीन है. ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन में नए वायरस के जेनेटिक मटीरियल का इस्‍तेमाल एडिनोवायरस के जीन्‍स के साथ मिलाकर किया गया है ताकि रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाया जा सके.
ऐसे काम करती है वैक्सीन
हमारी सहयोगी वेबसाइट WION के मुताबिक, डॉक्‍टर रॉल्‍फ ने कहा कि सर्दी का वायरस बदल गया है ताकि यह आपको बीमार नहीं बनाए. इसमें कोरोना वैक्‍सीन के जेनेटिक मटीरियल का कुछ हिस्‍सा भी मिलाया गया है. यह ऐसा हिस्सा होता है जो वायरस का स्पाइक प्रोटीन बनाने का काम करता है. इसी से ऐंटीबॉडी वायरस की पहचान करती है और उसे निष्क्रिय करती है. स्‍पाइक प्रोटीन की मदद से वायरस घुसता है और हमारी कोशिकाओं को संक्रमित करता है. जब वैक्‍सीन को शरीर के अंदर लगाया जाता है तो शरीर प्रोटीन की पहचान कर लेता है और इसके खिलाफ एंटीबॉडी तैयार लेता है. हालांकि इस रिपोर्ट को अभी तक रिव्यू नहीं किया गया है.
इंग्लैंड में सरकार ने निकाला है ये रास्ता
एस्ट्राजेनेका कंपनी की कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले 40 साल से कम उम्र के लोगों में खून के थक्के जमने की शिकायत मिलने के बाद इंग्लैंड की सरकार ने कहा कि लोग किसी भी अन्य कंपनी की वैक्सीन लगवा सकते हैं. ब्रिटिश सरकार ने इसके लिए फाइजर-बायोटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन लगवाने की सलाह दी है. सरकार ने जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन भी न लगवाने की सलाह दी है.
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