विज्ञान

वैज्ञानिकों ने की बड़ी ख़ोज, मिस्र में मिला ब्रह्मांड में हुए सबसे बड़े विस्फोट का सबूत

Tulsi Rao
21 May 2022 12:51 PM GMT
वैज्ञानिकों ने की बड़ी ख़ोज, मिस्र में मिला ब्रह्मांड में हुए सबसे बड़े विस्फोट का सबूत
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लगभग 10 साल तक शोध जारी रखने के बाद वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की एक बहुत ही रहस्यमयी दुनिया का सबूत मिला है। यह सबूत पूरे ब्रह्मांड में हुए सबसे बड़े विस्फोट या सुपरनोवा में से पैदा हुआ है। यह मिस्र के रेगिस्तानों में पड़ा हुआ था, जिसके रासायनिक गुण वैज्ञानिकों को हैरान कर रहे हैं। क्योंकि, उन्होंने ऐसा कभी देखा नहीं था। खैर, करीब 10 साल जरूर लग गए, लेकिन शोधकर्ताओं ने अब जाकर पता लगा लिया है कि 'हाइपेटिया' नाम का यह सबूत या किसी चट्टान का सूक्ष्म टुकड़ा आया कहां से है और ब्रह्मांड में यह सब कैसे हुआ?

ब्रह्मांड के सबसे बड़े विस्फोट का सबूत मिला
2013 की बात है कि शोधकर्ताओं ने ऐलान किया था कि उन्हें दक्षिण-पश्चिम मिस्र से एक चमकीला कंकड़नुमा चट्टान का टुकड़ा मिला है, जो पृथ्वी से बाहरी दुनिया का है। दो साल तक रिसर्च के बाद यह बात सामने आई थी कि वह कंकड़ न तो किसी धूमकेतु का हिस्सा है और ना ही किसी उल्का पिंड का टुकड़ा है। जब यह पत्थर का टुकड़ा पाया गया था, तब से करीब 10 साल बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि दरअसल, इसका नाम 'हाइपेटिया' है, जो कि एक सुपरनोवा विस्फोट का प्रमाण है।
कंकड़ के फोरेंसिक विश्लेषण मिला प्रमाण
कंकड़ के फोरेंसिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह सुपरनोवा विस्फोट का पृथ्वी पर पहला ठोस सबूत हो सकता है। सुपरनोवा ब्रह्मांड के सबसे बड़े विस्फोटों में से एक है, जो कि उस समाप्त हो रहे तारे के कारण होता है, जिसका द्रव्यमान सूर्य के मुकाबले कम से कम पांच गुना ज्यादा है। यह शोध इकारस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। मिस्र के रेगिस्तान में मिले पत्थर की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने हमारी पृथ्वी के बनने के शुरुआती दौर से लेकर, सूरज के निर्माण और हमारे सौर मंडल के बाकी ग्रहों की उत्पत्ति को एक टाइमलाइन में जोड़ा है, तब अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचे हैं।
क्या सौर मंडल से कोई नाता है ?
दक्षिण अफ्रीका की जोहान्सबर्ग यूनिवर्सिटी के जान क्रैमर्स ने एक बयान में कहा है, 'एक तरह से हम कह सकते हैं कि हमने 'सक्रिय' सुपरनोवा Ia विस्फोट को 'पकड़ा' है, क्योंकि विस्फोट से गैस के परमाणु आसपास मौजूद धूल के बादल में उलझ गए थे, जिससे आखिरकार हाइपेटिया के मूल पत्थर का निर्माण हुआ।' कुल मिलाकर शोधकर्ताओं का यह कहना है कि मिस्र में मिला यह दुर्लभ पत्थर हमारे सौर मंडल का तो नहीं ही है, यह तब का है जब हमारा सौर मंडल अस्तित्व में भी नहीं आया था।
सुपरनोवा के बाद क्या हुआ ?
जब ब्रह्मांड में तारे में हुए सबसे बड़े विस्फोट (सुपरनोवा) में से एक, धीरे-धीरे ठंडा पड़ा तो उसमें बचे गैस के परमाणु धूल के बादलों से चिपकने लगे। लाखों वर्षों में यह गैस ठोस चट्टानों में बदल गए, जो कि हमारे सौर मंडल के निर्माण के शुरुआती समय के दौरान हुआ हो सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह सब हमारे सौर मंडल के ठंडे, बाहरी हिस्से में ओर्ट क्लाउड में या कूपर-बेल्ट में हुआ था।
पृथ्वी पर कैसे आया 'हाइपेटिया' ?
समय के साथ वह मूल चट्टान धरती की ओर बढ़ना शुरू हुआ। लेकिन, पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के समय की गर्मी और दक्षिण-पश्चिमी मिस्र के विशाल रेतीले रेगिस्तान के दबाव के प्रभाव के चलते मूल चट्टान चकनाचूर हो गया और माइक्रो-डायमंड का निर्माण हुई। यानी जो टुकड़ा 10 साल पहले मिस्र में मिला था, वह एक नमूना भर हो सकता है और पता नहीं इस तरह के कितने 'पारलौकिक' पत्थर दुनिया में कहां-कहां बिखरे पड़े होंगे।
कैसे पता चला कि 'हाइपेटिया' सौर मंडल से बाहरी दुनिया का है ?
दरअसल, शोधकर्ताओं ने 'हाइपेटिया' में निकल फॉस्फाइड का पता लगाया है, जैसा खनिज पहले अपने सौर मंडल के किसी भी वस्तु में नहीं पाया गया था। इसी तरह की कई अविश्वसनीय विसंगतियों ने वैज्ञानिकों को सौर मंडल से बाहरी दुनिया के संबंध के बारे में सोचने को मजबूर किया। क्रैमर्स के मुताबिक, 'हम देखना चाहते थे कि क्या कंकड़ में किसी तरह का सुसंगत रासायनिक पैटर्न है?'
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कैसे हुआ ब्रह्मांड का सबसे बड़ा विस्फोट ?
'हाइपेटिया' की असमान्य केमिस्ट्री ने वैज्ञानिकों की इसमें दिलचस्पी बढ़ा रखी थी। इस टाइप Ia सुपरनोवा विस्फोट के बारे में शोधकर्ताओं का अनुमान है कि एक बहुत ही विशाल लाल तारा,एक छोटे सफेद तारे पर गिरा। इसकी वजह से सफेद तारे में ब्रह्मांड के सबसे बड़े विस्फोट की तरह का धमाका हो गया और जिसका नतीजा धरती पर 'हाइपेटिया' के रूप में देखने को मिला।


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