विज्ञान

मंगल पर जीवन की तलाश में जुटे वैज्ञानिक, पर सौर मंडल में मौजूद इस चांद के जमीन के नीचे बहता है समुद्र

Gulabi
26 April 2021 11:21 AM GMT
मंगल पर जीवन की तलाश में जुटे वैज्ञानिक, पर सौर मंडल में मौजूद इस चांद के जमीन के नीचे बहता है समुद्र
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दुनियाभर के वैज्ञानिक मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन की तलाश में जुटे हुए हैं

दुनियाभर के वैज्ञानिक मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन की तलाश में जुटे हुए हैं. NASA का परसिवरेंस रोवर जेजेरो क्रेटर के पास प्राचीन जीवन की तलाश शुरू करने वाला है. वहीं, हमारे सौर मंगल (Solar System) में एक जगह ऐसी है, जहां जीवन की संभावना मंगल ग्रह से ज्यादा है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) के यूरोपा चांद (Europa) की. बृहस्पति के पास कुल 79 चांद है, लेकिन वैज्ञानिकों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा यूरोपा की होती है. इसके पीछे की वजह ये है कि वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा की सतह पर बर्फ के रूप में पानी मौजूद है. इस बात के भी पुख्ता सबूत हैं कि यूरोपा की बर्फ की सतह के नीचे तरल पानी मौजूद है.


साल 1979 में दो वोयजर अंतरिक्ष यान बृहस्पति ग्रह के पास से गुजरे. इस दौरान पहली बार इस बात के सबूत मिले कि यूरोपा पर तरल पानी हो सकता है. फिर गैलीलियो अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष दूरबीनों के जरिए की गई जांच ने वैज्ञानिकों को संकेत दिया कि यूरोपा पर समुद्र की मौजूदगी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा पर 15 से 25 किलोमीटर मोटी बर्फ की चादर बिछी हुई है. फिर इसके नीचे 60 से 150 किलोमीटर गहरा समुद्र मौजूद है. यूरोपा के समुद्र को लेकर माना जाता है कि पृथ्वी के बाद अगर कहीं दूसरी जगह जीवन हो सकता है तो इसके यूरोपा पर होने की संभावना है.

वैज्ञानिकों को क्यों लगता है कि यूरोपा पर मौजूद है जीवन?
किसी भी ग्रह पर जीवन की शुरुआत के लिए तीन चीजें सबसे ज्यादा जरूरी होती हैं- तरल पानी, जरूरी रासायनिक तत्व और एक एनर्जी सोर्स. खगोलविदों का मानना है कि यूरोपा पर प्रचुर मात्रा में पानी और सही रासायनिक तत्व हैं, लेकिन यूरोपा पर एनर्जी सोर्स की पुष्टि करना मुश्किल है. पृथ्वी पर ज्वालामुखियों के पास, गहरे समुद्र और अन्य खतरनाक वातावरण में जीवन को पनपते हुए देखा जाता है. ऐसे में वैज्ञानिकों को लगता है कि अगर पृथ्वी पर ऐसा संभव है तो हो सकता है यूरोपा की बर्फ वाली सतह के नीचे भी जीवन पनप रहा हो. हालांकि, माना जा रहा है कि अगर हमें यूरोपा पर जीवन का सुराग मिल भी गया तो ये सूक्ष्मजीवों या फिर किसी बेहद ही जटिल संरचना के रूप में होगा.

कितना बड़ा है यूरोपा और पृथ्वी से कितनी है इसकी दूरी?
यूरोपा का व्यास 3,100 किलोमीटर है और इसका आकार पृथ्वी के चांद का करीब 90 फीसदी है. ऐसे में अगर हम अपने चांद को यूरोपा से बदल देते हैं तो ये पृथ्वी से हमारे चांद के आकार का ही दिखाई देगा. लेकिन ये ज्यादा चमकदार होगा. यूरोपा की सतह पर बर्फ की मौजूदगी की वजह से ये हमारे चांद की तुलना में 5.5 गुना ज्यादा चमकदार होगा. पृथ्वी से यूरोपा की दूरी लगभग 62.8 करोड़ किलोमीटर है. सूर्य की रोशनी को यूरोपा तक पहुंचने में 45 मिनट का समय लगता है, जबकि पृथ्वी पर ये तकरीबन आठ मिनट में पहुंच जाता है.
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