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विज्ञान
वैज्ञानिकों ने 'किलिंग मशीन' डायनासोर को पहचाना, धरती पर ढाई करोड़ साल पहले मचायी थी तबाही
Deepa Sahu
8 March 2021 3:39 PM GMT
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वैज्ञानिकों ने धरती पर ढाई करोड़ साल पहले तबाही मचाने वाले एक डायनासोर की पहचान की है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: वॉशिंगटन: वैज्ञानिकों ने धरती पर ढाई करोड़ साल पहले तबाही मचाने वाले एक डायनासोर की पहचान की है। यह डायनासोर देखने में आज के किसी हिप्पो के बराबर था, लेकिन ताकत और स्पीड के मामले में इसका कोई मुकाबला नहीं था। यह अकेले अपने दम पर उस जमाने के सभी डायनासोरों पर भारी पड़ता था। वैज्ञानिकों ने इसे एन्तेओसोरस नाम दिया है। इसका शरीर भारी और सिर बहुत ही बड़ा था।
इसके जबड़ों में थी गजब की ताकत
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, इस जानवर की खोपड़ी के ताजा विश्लेषण से वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि यह तेजी से किसी भी चीज को काट सकता था। इसके जबड़ों में गजब की ताकत और पैरों में स्पीड थी। जिससे वह अपने शिकार को तेज गति से दौड़ाकर पकड़ लेता था। गति और शक्ति के इस घातक संयोजन के कारण उस जमाने के हर जानवर जिसमें डायनासोर भी शामिल थे वे इससे डरा करते थे।
अफ्रीकी महाद्वीप पर था एकछत्र राज
इस स्टडी में बताया गया है कि आज से करीब 3 करोड़ साल से लेकर ढाई करोड़ साल तक इस जीव का अफ्रीकी महाद्वीप पर एकछत्र राज था। एन्तेओसोरस सरीसृप परिवार से संबंधित थे, जिसमें छिपकिली, मगरमच्छ और लिजार्ड जैसे जीव आते हैं। ये डायनासोर से भी पुराने शिकारी थे। इन्हें डिनोसेफेलियन के रूप में जाना जाता था। डिनोसेफेलियन जानवरों के एक बड़े समूह का भी हिस्सा थे, जिन्हें थैपिड्स कहा जाता था। इसमें सभी स्तनधारियों के पूर्वज शामिल होते हैं।
अंडों से पैदा होते थे ये जानवर
दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में विटवेटर्स्रैंड (विट्स यूनिवर्सिटी) के इवोल्यूशनरी स्टडीज इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ शोधकर्ता लियन बेनोइट ने कहा कि डिनोसेफेलियन स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र पर हावी होने वाली पहली शाकाहारी और मांसाहारी प्रजातियों में से थे। अध्ययन के अनुसार, ये जानवर जमीन पर रखे अंडों से पैदा होते हैं और लंबे समय तक मां के शरीर के अंदर बनाए एक खोल में रहते थे।
नए शोध ने पुराने स्टडीज को किया खारिज
उन्होंने दावा किया है कि अपने भारी सिर के जरिए ये शिकार भी किया करते थे। एन्तेओसोरस का कंकाल इतना विशाल था कि शोधकर्ताओं ने पहले अनुमान लगाया कि यह एक धीमी गति से चलने वाला जानवर था। जो संभवत घात लगाकर अपने शिकार पर हमला करता होगा। लेकिन इस स्टडी से यह खुलासा हुआ है कि यह जानवर अपने बनावट के कारण तेजी से चलने में सक्षम था।
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