विज्ञान

वैज्ञानिकों ने एक बाह्यग्रह खोजा है,जिससे ग्रह निर्माण की अवस्था को समझने में मिलेगी मदद

Kajal Dubey
7 April 2022 3:46 AM GMT
वैज्ञानिकों ने एक बाह्यग्रह खोजा है,जिससे ग्रह निर्माण की अवस्था को समझने में मिलेगी मदद
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सौरमंडल में ग्रह निर्माण की कोई एक प्रक्रिया नहीं है. ग्रह कई तरह से विकसित होते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सौरमंडल में ग्रह निर्माण की कोई एक प्रक्रिया (Process of Formation of Planets) नहीं है. ग्रह कई तरह से विकसित होते हैं. पृथ्वी के बारे में माना जाता है कि यह सौरमंडल में मौजूद धूल गैस और अन्य पदार्थ के सिमटते हुए एक ग्रह में बदली थी जिसमें अरबों साल का समय लगा था. लेकिन हमारे ही सौरमंडल के गुरु (Formation of Jupiter) और शनि ग्रह ही इस तरह से नहीं बने थे और वे कैसे बने थे यह एक रहस्य ही है. लेकिन हाल ही में हबल टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) से ली गई एक तस्वीर इस रहस्य को सुलझा सकती है.

अभी बन ही रहा है ये ग्रह
हबल स्पेस टेलीस्कोप के जरिए ली गई तस्वीर में वैज्ञानिकों एक विशाल ग्रह का पता चला है जिसे वे "अभी गर्भ में ही है" वाला ग्रह कह रहे हैं. हमारे गुरू ग्रह से नौ गुना भारी यह ग्रह अपने निर्माण प्रक्रिया की शुरुआती अवस्था में ही है. हबल ने इस ग्रह के केंद्र में इसके निर्माण की तीव्र और प्रचंड प्रक्रिया पर प्रकाश डालने का काम किया है.
युवा है इसका तारा
यह ग्रह अपने युवा तारे का पास विकसित हो रहा है जो खुद करीब 20 लाख वर्ष पुराना ही है. यह ग्रह अभी अपना आकार ले रहा है. इस प्रक्रिया को तश्तरी अस्थिरता कहता है जिसके तहत तारे चारों ओर एक विशालकाय डिस्क ठंडी हती है और गुरुत्व की वजह से वह तेजी से एकयादो ग्रह के भार वाले टुकड़ो में टूट जाती है.
अपने तारे से बहुत दूर
AB Aurigae b नाम का यह गुरु जैसा ग्रह अपने तारे से 8.6 अरब मील की दूरी पर चक्कर लगा रहा है. यह दूरी सूर्य और प्लूटो के बीच की दूरी के दो गुना है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह दूरी बहुत ज्यादा है और इसमें गुरु जैसे ग्रह केलिए क्रोड़ एक्रीशन बनाना बहुत ही मुश्किल होता है. इससे शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि तश्तरी अस्थिरता की वजह से यह ग्रह इतनी दूरी पर बना होगा.
कितनी दूर है यह
वैज्ञानिकों ने इस ग्रह की खोज हबल टेलीस्कोप के अवलोकनों के साथ ही निष्क्रिय हवाई ज्वालामुखी की चोटी के पास स्थित सुबारू टेलीस्कोप का उपयोग कर की थी. वैज्ञिनिकों ने पाया कि यह ग्रह एक विस्तारित होती गैस और धूल की डिस्क के अंदर है जिसके पदार्थ से यह बन रहा है. यह ग्रह पृथ्वी से 508 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है.
स्पष्ट तस्वीर के लिए
ग्रह निर्माण की प्रक्रिया से गुजरने वाले पिंड को प्रोटोप्लैनेट कहते हैं. आमतौर पर ऐसी स्थिति एक तारे के पास एक ही पिंड की होती है. लेकिन ग्रह का निर्माण की प्रक्रियाएं या तरीके अलग अलग हो सकते हैं. अच्छी बात यह है कि यह डिस्क इस तरह से झुकी है कि पृथ्वी से इसे अच्छे से देखा जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इस ग्रह की साफ तस्वीर के लिए हबल जैसे टेलीस्कोप की जरूरत थी.
ग्रह के निर्माण में गुरुत्वाकर्षण की महती भूमिका होती है, क्योंकि तातरों के निर्माण के दौरान बचे अवशेष ही अंत में गुरुत्व के जरिए एक जगह जमा हो कर ग्रह का निर्माण करते हैं. वैज्ञानिकों को पूरा विश्वास है कि गुरु ग्रह के जैसे ग्रहों के निर्माण की शुरुआती दिनों को समझने से खगोलविदों को हमारे सौरमंडल के गुरु के निर्माण के इतिहास की जानकारी मिल सकेगी.


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