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वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया,जहां पत्थर भी बन जाते हैं भाप

Deepa Sahu
13 Nov 2020 2:51 PM GMT
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया,जहां पत्थर भी  बन जाते हैं भाप
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वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया,जहां पत्थर भी बन जाते हैं भाप

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया है जहां पर लावा का समुद्र है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया है जहां पर लावा का समुद्र है. वहां हवाएं सुपरसोनिक गति से चलती हैं. यानी 1236 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ज्यादा. वहां के वायुमंडल में पत्थर भी भाप बन जाते हैं. हैरानी की बात ये है कि यह ग्रह अपनी धरती से आकार में आधा है. इस ग्रह को खोजा गया था साल 2017 में लेकिन इसके बारे में तीन साल के अध्ययन के बाद अब ये निष्कर्ष निकाले गए हैं.

इस एक्सोप्लैनेट का नाम है K2-141b. यह धरती की तरह ही अपने तारे के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है. जैसे हमारी धरती सूरज का चक्कर लगाती है. इस ग्रह का दो तिहाई हिस्सा लगातार गर्म रहता है. उबलता रहता है. यहां इतनी गर्मी है कि यहां पर मौजूद पत्थर भी पिघल कर भाप बन गए हैं. इस अध्ययन की रिपोर्ट रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में हाल ही प्रकाशित हुई है.

कनाडा के मैकगिल यूनिवर्सिटी के खगोल विज्ञानी निकोलस कोवन ने कहा कि धरती समेत सभी पथरीले ग्रह शुरुआत में लावे की तरह पिघले हुए समुद्र से भरे हुए थे. धीरे-धीरे करके ये गर्म लावा शांत होता गया. मजबूत पत्थर जैसा बन गया. हो सकता है कि धरती की तरह ही इस ग्रह पर भविष्य में जीवन संभव हो.

वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन इसलिए किया ताकि इस ग्रह के वातावरण और वायुमंडल के बारे में जानकारी इकट्ठा कर सकें. K2-141b ग्रह को केपलर स्पेस टेलिस्कोप और स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप से देखा गया. उसके बाद इसके वायुमंडल, सतह, वातावरण का अध्ययन किया गया.

साइंटिस्ट अपने अध्ययन से ये पता करने में सफल हुए कि यह ग्रह अपने तारे के बेहद नजदीक है. यानी इसके सूरज से इसे बहुत ज्यादा ऊर्जा मिलती है. शायद इसी वजह से इसकी सतह लावे के समुद्र में बदली हुई है. ये लावे के समुद्र सैकड़ों किलोमीटर लंबे और दर्जनों किलोमीटर गहरे हो सकते हैं.

जब साइंटिस्ट ने इसके वायुमंडल का अध्ययन किया तो पता चला कि यहां पर सुपरसोनिक गति से हवाएं चल रही हैं. यानी हवा की गति 1200 किलोमीटर से बहुत ज्यादा है. इसकी सतह पर पत्थर हैं. गर्मी और तेज हवा के कारण इसके पत्थर भाप बन चुके हैं. इन पत्थरों से निकलने वाली धूल वायुमंडल में फैली हुई है.

यहां पर हवा की गति 1.75 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. यानी धरती पर ध्वनि की गति से कई गुना ज्यादा. इस ग्रह के जिस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती वहां पर मौसम ठंडा है. वायुमंडल में हवा के साथ घूम रहे पत्थर बारिश की तरह नीचे गिरते हैं. पूरी सतह पर सिलिका या सिलिकन मोनोऑक्साइड की परत है. यानी सतह चांदी की तरह चमकती है.

धरती पर मौजूद बर्फ के ग्लेशियरों की तरह इस ग्रह पर सॉलिड सोडियम के ग्लेशियर हैं. इस ग्रह का अध्ययन करते समय वैज्ञानिक हैरान थे कि एक ही ग्रह पर इतनी ज्यादा विभिन्नताएं कैसे हो सकती हैं. इसके बाद यह नतीजा निकाला गया ग्रहों के वायुमंडल, वातावरण और सतह का अध्ययन करने के लिए K2-141b ग्रह से बेहतर कुछ नहीं हो सकता.

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