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विज्ञान
वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला, एक कोशिका अपनी मौत को दे सकती है धोखा
jantaserishta.com
18 Jan 2022 2:46 AM GMT
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शिकागो: शरीर की कोशिकाएं कई तरीकों से मर सकती हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने ऐसी कोशिकाएं भी खोजी हैं, जो अपनी मौत को भी धोखा दे सकती हैं. आमतौर पर कोशिकाएं संक्रमण के समय में खुद को विस्फोट करके मार लेती हैं. ताकि दूसरी कोशिकाओं तक संक्रमण न जाए. यह पूरे शरीर को बचाने के लिए दी गई कुर्बानी होती है. आइए समझते हैं शरीर की इस जटिल प्रक्रिया को बेहद सरल और सामान्य भाषा में...
जब कोशिकाएं संक्रमण से शरीर के बाकी हिस्सों को बचाने के लिए खुद को विस्फोट (Cell Dies By Detonating) करके उड़ाती हैं. तब इस प्रक्रिया को पाइरोप्टोसिस (Pyroptosis) कहते हैं. इससे संक्रमित कोशिका तो मर जाती है, लेकिन आस-पड़ोस की कोशिकाएं संक्रमण से कुछ देर के लिए बच जाती हैं. मरने वाली कोशिका मरते-मरते खतरे का सिग्नल छोड़ती है, जिसे साइटोकाइन्स (Cytokines) कहते हैं. यह प्रक्रिया बेहद तेज और गंदी होती है, लेकिन यह पूरे शरीर को नई बीमारी से बचाती है.
शिकागो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के बायोइंजीनियर गैरी मो कहते हैं यह प्रक्रिया बेहद तेजी से होती है. कोशिका गुब्बारे की तरफ फूलती है, साइटोकाइन्स सिग्नल भेजती है. इसके बाद मर जाती है. पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि पाइरोप्टोसिस वन-वे प्रक्रिया है. यानी अगर आप इस रास्ते पर चले गए उससे वापस नहीं आ सकते. लेकिन ऐसा नहीं है.
गैरी मो और उनके साथियों ने हाल ही में स्टडी के दौरान पाया कि कोशिकाओं में पाइरोप्टोसिस की वन-वे प्रक्रिया को पलटने का अंदरूनी मैकेनिज्म भी होता है. जिससे उस कोशिका की मौत फिर किसी दिन के लिए तय हो जाती है. या अगले कुछ घंटों के बाद. यानी कोशिका अपनी मौत को धोखा देकर कुछ और समय जीवित रह सकती है. यह स्टडी Nature Communications जर्नल में प्रकाशित हुई है.
इस स्टडी से गैरी मो और उनकी टीम के वैज्ञानिक अब यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि पाइरोप्टोसिस की प्रक्रिया को कैसे पलटा जा रहा है. क्या इससे कैंसर की कोशिकाओं को खत्म किया जा सकता है. या फिर इम्यून कोशिकाओं द्वारा छोड़े जाने वाले साइटोकाइन्स तूफान को रोका जा सके. ताकि कोशिकाएं संक्रमण की वजह को खत्म करने के साथ-साथ अपनी ही साथी या शरीर की अन्य कोशिकाओं को खत्म न करें.
जैसे ही किसी कोशिका को यह संदेश मिलता है कि अब तुम्हें पाइरोप्टोसिस शुरु करना है. उसके अंदर मौजूद एक खास तरह का प्रोटीन गैसडरमाइन्स (Gasdermines) सक्रिय हो जाता है. इस प्रोटीन के सूक्ष्म कण मिशन पर निकलते हैं. आपस में एक बंधन बनाकर कोशिका की बाहरी परत में एक छेद करते हैं. ताकि कोशिका के अंदर के हिस्से छेद से बाहर निकल जाएं. ये ठीक वैसा ही है, जैसे डूबते जहाज से सामान कम करके उसे कुछ समय के लिए बचाया जा सके.
डूबते जहाज के नीचे अगर छेद हो जाए तो वह ज्यादा देर तक पानी में तैरता नहीं रह सकता. लेकिन अगर उसका वजन कम किया जाए तो वह ज्यादा समय में डूबता है. ठीक यही काम मरने वाली कोशिका के साथ गैसडरमाइन्स प्रोटीन करते हैं. अगर यह प्रक्रिया रुकती है तो कोशिका में पानी भरने लगता है और फूले हुए गुब्बारे की तरह फट जाती है. गैरी मो कहते हैं कि आप इस खतरनाक प्रक्रिया को इन उदाहरणों से समझ सकते हैं. लेकिन पाइरोप्टोसिस को रोकने के लिए कोशिकाओं के अंदर ही एक पॉज बटन होता है. जो इसे रोक देता है.
गैरी मो कहते हैं कि पाइरोप्टोसिस एक बेहद जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई हिस्से काम करते हैं. गैरी ने इस प्रक्रिया को समझने के लिए लाइट रेस्पॉन्सिव गैसडरमाइन्स प्रोटीन की प्रक्रिया को देखा. जब वो पाइरोप्टोसिस की वजह से खत्म हुई कोशिका को देख रहे थे तब उन्हें कैल्सियम आयंस की बढ़ोतरी मिली. कोशिकाओं की बाहरी परत के चारों तरफ कैल्सियम की मात्रा थोड़ी ज्यादा होती है. लेकिन तभी उन्होंने देखा कि कोशिका में गैसडरमाइन्स द्वारा बनाया गया छेद बंद होने लगा है. कैल्सियम आयंस का बहाव रुक गया है.
कोशिका यह निर्धारित करती है कि उसे कितने कैल्सियम आयंस की जरूरत है. जैसे ही उसे लगता है कि अब मात्रा ज्यादा हो रही है, वह गैसडरमाइन्स द्वारा बनाए गए छिद्र को बंद कर देती है. यानी पाइरोप्टोसिस की प्रक्रिया रुक जाती है. सरल भाषा में कहे तो कोशिका का मरना टल जाता है. इसके बाद उस कमजोर छेद के पास कोशिका फैट वाली परत बनाती है. ताकि वह कुछ देर जिंदा रह सके और यह छिद्र खुले नहीं. जितनी मोटी फैट की परत उतनी ज्यादा जिंदगी. ऐसा लगता है कि अचानक से डूबते हुए जहाज का निचला हिस्सा सही हो गया. जहाज अब कुछ देर के लिए समुद्र में डूबेगा नहीं.
ओरेगॉन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी की इम्यूनोलॉजिस्ट इसाबेला रॉश कहती हैं कि किसी कोशिका द्वारा उसकी बाहरी परत में किए गए छेद को बंद करना हैरान करने वाली घटना है. इसका मतलब ये है कि गैसडरमाइन्स कोशिका की किस्मत का अकेले फैसला नहीं करते. कुछ ऐसे तत्व और हैं जो कोशिका को मरने से बचाते हैं. जो पाइरोप्टोसिस की प्रक्रिया को रोकते हैं. अब गैरी मो और उनकी टीम को यह पता करना होगा कि कोशिका किस तत्व की वजह से अपनी मौत को धोखा देने में सफल होती है.
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