विज्ञान

वैज्ञानिकों ने विकसित किया खास कैमरा, गहरे अंधेरे में भी निकाल सकता है पूरी रंगीन तस्वीर

Gulabi Jagat
9 April 2022 8:07 AM GMT
वैज्ञानिकों ने विकसित किया खास कैमरा, गहरे अंधेरे में भी निकाल सकता है पूरी रंगीन तस्वीर
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इंसान कुत्तों और मधुमक्खियों की तरह सूंघ नहीं सकता. न ही चमगादड़ों की तरह सुन सकता है, लेकिन
इंसान कुत्तों और मधुमक्खियों की तरह सूंघ नहीं सकता. न ही चमगादड़ों की तरह सुन सकता है. लेकिन देखने की क्षमता बेहतर है. इसके बावजूद हम अंधेरे में नहीं देख सकते. न तो अल्ट्रावायलेट, न ही इंफ्रारेड रेंज में. बस इतना अंदाजा लगा सकते हैं कि अंधेरे में कुछ है. हम अंधेरे में देख नहीं सकते लेकिन इंफ्रारेड कैमरा बना सकते हैं. जो अंधेरे में फोटो खींच सकता है.
इरविन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला ऐसा कैमरा (Artificial Intelligence Camera - AI Camera) विकसित किया है, जो घोर अंधेरे में भी पूरी रंगीन फोटो निकाल सकता है. जर्नल PLOS ONE में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक कुछ नाइट विजन सिस्टम इंफ्रारेड लाइट्स का उपयोग करते हैं, जो इंसान देख नहीं सकते. इसकी तस्वीरों को रेंडर करके डिजिटल डिस्प्ले लायक बनाया जाता है. ये फोटो मोनोक्रोमैटिक तस्वीर होती हैं जो दिखने वाले स्पेक्ट्रम के अनुसार ढाली जाती हैं.
असल में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने जिस कैमरे को विकसित किया है, वह अपनी एल्गोरिदम की वजह से रात के अंधेरे में भी फोटो खींच सकता है. वैज्ञानिकों ने इसके लिए विशेष प्रकार का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकसित किया, जो न्यूरल नेटवर्क की तरह काम करता है. यह एक डीप लर्निंग एल्गोरिदम है जो इंसानी दिमाग के सीखने की प्रक्रिया के आधार पर काम करता है.
इंसानी दिमाग इंफ्रारेड और दिखने वाले स्पेक्ट्रम को अलग करके यह फैसला करता है कि क्या दिख रहा है और क्या नहीं. यही काम यह कैमरा भी करता है. स्टडी पेपर में रिसर्चर्स ने लिखा है कि उन्होंने कॉन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क को यू-नेट जैसा आर्किटेक्चर दिया है. यानी यह काफी तेजी से सटीक तस्वीरें बनाता है. ऐसा पहली बार हुआ है कि न दिखने वाले नीयर-इंफ्रारेड इल्यूमिनेशन को इंसानी विजिबल स्पेक्ट्रम में बदला जा रहा है.
यूनिवर्सिटी ऑफ सरे में सेंटर ऑफ विजन, स्पीच एंड सिग्नल प्रोसेसिंग (CVSSP) के डायरेक्टर प्रो. एड्रियन हिल्टन ने कहा कि जब इस नए कैमरे से अंधेरे की तस्वीरें ली गई. उन्हें वापस रीकंस्ट्रक्ट किया गया तो वो बेहतरीन निकली. उदाहरण के लिए जैसे इंसानी शक्ल की फोटो में कई प्रकार के ग्रेन्स दिखते हैं. इसके रंगों का विश्लेषण बहुत तेजी से नहीं किया जा सकता. क्योंकि चेहरे पर अरबों की संख्या में रंगों का मिश्रण होता है.
प्रो. एड्रियन ने बताया कि अगर AI को फलों से भरा कटोरा देखने के लिए ट्रेंड किया जाए तो वह अकेला केला देखकर किसी भी तरह का फैसला नहीं ले पाएगा. वह कन्फ्यूज हो जाएगा. उसे रंगों और आकारों की ट्रेनिंग देनी होगी. यह तभी इंटेलिजेंट और ऑब्जेक्टिव बन सकता है, जब उसे उसकी सही ट्रेनिंग दी जाए.

प्रो. एड्रियन ने कहा कि AI Camera शुरुआती स्टेज में है. उसपर और स्टडी करने की जरूरत है. उसे और विकसित करने की जरूरत है. टेक्नोलॉजी का उपयोग भविष्य में रंगों का इवैल्यूएशन करने के लिए किया जा सकता है. अंधेरे की तस्वीरें बेहतरनी तरीके से निकालने में किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए न्यूरल नेटवर्क को ट्रेंड करने की जरूरत है. या फिर उसे उसी तरह से बनाने की जरूरत है.
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