विज्ञान

सालों से इस खोज में जुटे हैं वैज्ञानिक, क्या हमारे धरती के जुड़वा भाई की तलाश होगी पूरी

Apurva Srivastav
27 May 2021 10:31 AM GMT
सालों से इस खोज में जुटे हैं वैज्ञानिक, क्या हमारे धरती के जुड़वा भाई की तलाश होगी पूरी
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ग्रहों को 'पृथ्वी 2.0' और 'पृथ्वी के जुड़वा भाई' जैसे नाम दिए जाते हैं

मानव जाति जिस दिन ब्रह्मांण (Universe) के किसी कोने में मौजूद दूसरी दुनिया की अगर एक धुंधली तस्वीर को कैमरे में कैद कर लेती है और वहां जीवन के सबूत मिल जाते हैं तो ये बहुत बड़ी खोज होगी. इस खोज से मानव जाति का पूरा इतिहास ही बदल जाएगा और ब्रह्मांड में हमारी स्थिति में भी बदलाव होगा. इस तरह के ग्रहों को लंबे समय से खोजने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसे कुछ ग्रहों की पहचान भी हुई है, लेकिन क्या वहां जीवन मौजूद है, अभी इसके सबूत नहीं हैं. इन ग्रहों को 'पृथ्वी 2.0' और 'पृथ्वी के जुड़वा भाई' जैसे नाम दिए जाते हैं.

हालांकि, अभी हमें इस तरह के एक्सोप्लैनेट की झलक नहीं मिल पाए, जहां जीवन की मौजूदगी हो. ऐसा इसलिए है क्योंकि हो सकता है जिन ग्रहों को अभी हम बेजान मान रहे हैं, वो भविष्य में जाकर पृथ्वी जैसे हो जाएं. गौरतलब है कि करोड़ों साल पहले पृथ्वी भी ऐसे ही ग्रहों की तरह थी. बता दें कि एक्सोप्लैनेट वे ग्रह होते हैं, पृथ्वी की तरह किसी तारे का चक्कर लगा रहे होते हैं. इन ग्रहों पर पानी और बादल की मौजूदगी होती है. इसके अलावा, ये अपने सौरमंडल के हैबिटेबल जोन में स्थित होते हैं.
अगर हमारे ज्ञान से परे का जीवन मिला तो क्या हम इसे जीवन मानेंगे?
मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में NASA के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में एक एस्ट्रोनोमर और खगोल विज्ञानी गिआडा अर्ने ने कहा कि जिन ग्रहों को पृथ्वी जैसा माना जा रहा है, हो सकता है कि वो वर्तमान में मौजूद पृथ्वी से पूरी तरह अलग हों. उन्होंने कहा, मान लीजिए कहीं पर ऐसा जीवन मौजूद हो, जिसे हम जीवन मानते भी नहीं हैं. ऐसे में क्या हम जीवन को ऐसे पहचानेंगे जैसे हम इसे नहीं जानते? इस तरह सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है, जिसे हम सदियों से पूछते आ रहे हैं. क्या हम इस ब्रह्मांण में अकेले हैं?
ग्रहों पर जीवन को निर्धारित करता है समय
जब हम पृथ्वी जैसे किसी दूसरे ग्रह की तलाश करते हैं तो हमें ग्रहों के विकास के चरण को समझना होता है. एक ऐसा पथरीला ग्रह भी हो सकता है, जिस पर अभी जीवन ने पनपना शुरू किया हो, लेकिन उसका वातावरण नारंगी धूल की चपेट में है. ठीक करोड़ों साल पुरानी पृथ्वी की तरह. हमारी पृथ्वी लाखों सालों तक रहने लायक नहीं थी. हमें ऐसे कई ग्रह अब तक मिल चुके हैं, जो कुछ इसी तरह के हैं, जहां का तापमान या तो बहुत अधिक है या फिर बहुत ही ठंडा है. ऐसे में ये भी माना जा सकता है कि आने वाले वक्त में इन ग्रहों पर जीवन हो सकता है. लेकिन इसमें कितना वक्त लगेगा, ये अभी कोई नहीं बता सकता है.
इन ग्रहों पर कुछ हद जीवन की संभावना
मंगल ग्रह को लेकर कहा जाता है कि एक समय ये गर्म और नमी वाला ग्रह रहा होगा, जिस पर जीवन की मौजूदगी होगी. लेकिन अब ये शुष्क, ठंडा और बेजान हो चुका है. इसके अलावा, बृहस्पति ग्रह का यूरोपा चांद भी संभावित जीवन वाले उपग्रह के तौर पर देखा जाता है. माना जाता है कि इसकी बर्फीली सतह के नीचे जीवन मौजूद है. शनि ग्रह के एन्सेलेडस चांद को लेकर भी यही बात कही जाती है. शनि के ही एक अन्य चांद टाइटन पर भी जीवन की मौजूदगी के सबूत दिखते हैं, क्योंकि वहां झीलों और नदियों के सबूत हैं. लेकिन नदियों में पानी की जगह मीथेन और ईथेन का मिक्सचर बहता है.
अब तक चार हजार एक्सोप्लैनेट की हुई खोज
वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा में 4000 एक्सोप्लैनेट की मौजूदगी की पुष्टि की है. इनमें से अधिकतर ग्रह पृथ्वी के आकार वाले चट्टानी हैं. आने वाले सालों में ऐसे हजारों ग्रहों के ढूंढ़े जाने की उम्मीद है. लेकिन इन ग्रहों पर जाकर बसने में तभी लाभ होगा, जब इनकी गुणवत्ता पृथ्वी से मेल खाती हो. यानी कि इनका आकार पृथ्वी के बराबर हो, सूर्य जैसे तारों का चक्कर लगाती हो और इस पर एक दिन हमारे एक दिन के बराबर हो. अब देखना ये है कि ऐसे ग्रह की खोज करने में हमें कितना वक्त लगने वाला है.


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