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लियोनार्डो डा विंसी ने हेलीकॉप्टर या शुरुआती प्लेन के मॉडल जैसे उपकरण की कल्पना इनके बनने के 400 साल पहले ही कर ली थी। कई बार विज्ञान इंसान की इन कल्पनाओं को सच भी कर दिखाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| लियोनार्डो डा विंसी ने हेलीकॉप्टर या शुरुआती प्लेन के मॉडल जैसे उपकरण की कल्पना इनके बनने के 400 साल पहले ही कर ली थी। कई बार विज्ञान इंसान की इन कल्पनाओं को सच भी कर दिखाता है जैसा प्लेन और हेलीकॉप्टर्स के संदर्भ में हुआ। आइए जानते हैं 125 साल पहले बीती सदी की ऐसी ही कुछ कल्पनाओं के बारे में जिन्हें उस समय के चित्रकारों ने कैनवास पर सजाया। क्या पता निकट भविष्य में ये सच भी हो जाएं।
125 साल पहले ही कर ली थी उडऩे वाली कारों-बसों की कल्पना
पंख (1900-1901) - फ्रांसीसी कलाकार जीन-मार्क कोटे ने कुछ पोस्टकाड्र्स चित्रित किए थे जिसमें उन्होंने साल 2000 में दुनिया कैसी होगी, यह दर्शाया थाा। इसमें कुछ कार्ड्स पर पंख लगे मानवों को आगे बुझाते हुए दिखाया गया था।
125 साल पहले ही कर ली थी उडऩे वाली कारों-बसों की कल्पना
उडऩे/तैरने वाली कार (1882) कलाकार और इलस्ट्रेटर अल्बर्ट रोबिडा ने अपनीे एक तस्वीर में साल 2000 में उड़ने वाली कारों और आकाश में तैरती टॉरपीडो जैसे वाहनों की कल्पना की थी।
125 साल पहले ही कर ली थी उडऩे वाली कारों-बसों की कल्पना
न्यूक्लियर कार, टैंक और ट्रेंस (1950) इस दशक में जब परमाणु शक्ति सामने आ चुकी थी हमारे ज्यादातर ट्रांसपोर्टेशन का यही आधार था। उस समय फोर्ड कंपनी ने भी फोर्ड न्यूक्लिऑन के नाम से आणविक ऊर्जा पर चलने वाली एक कार का मॉडल बनाया था। इतना ही नहीं कुछ अन्य देशों में टैंक, ट्रेन और ऐसे ही अन्य वाहनों को भी न्यूक्लियर शक्ति से चलाने का सपना देखा गया था।
125 साल पहले ही कर ली थी उडऩे वाली कारों-बसों की कल्पना
व्हेल बस (1900) इस तरह की कल्पनाओं से भी कलाकारों, इंजीनियरों और इनोवेटर्स ने उस दौर में सार्वजनिक परिवहन की कल्पना की थी।
125 साल पहले ही कर ली थी उडऩे वाली कारों-बसों की कल्पना
उड़ने वाली सबमरीन (1930) जूल्स वर्न की यह कल्पना एक हवाई जहाज के जैसी सबमरीन है जो पानी के अंदर और हवा दोनों जगह चल सकती हो। सोवियत इंजीनियर, बोरिस उशाकोव इसे जिंदगी भर बनाने में जुटे रहे। हालांकि 1961 में डोलाल्ड रीगन नाम के एक अमरीकी इंजीनियर ने ऐसा जहाज बना लिया था जो पानी के अंदर भी चल सकता था। 1964 में इसके परीक्षण में यह पानी के अंदर 2 मीटर गहराई में चलने के बाद सतह पर आ गया और इसके बाद टेक-ऑफ कर आसमान में 33 फीट की ऊंचाई तक उडऩे में कामयाब रहा। 2008 में अमरीकी सेना की रिसर्च विंग डार्पा ने एक फ्लाइंग सबमरीन बनाने के लिए fund जुटाने की भी घोषणा की थी।
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