विज्ञान

वैज्ञानिकों को मिली वेस्टा बौने ग्रह से शुरुआती सौरमंडल की यह अहम जानकारी

Deepa Sahu
11 Oct 2021 6:31 PM GMT
वैज्ञानिकों को मिली वेस्टा बौने ग्रह से शुरुआती सौरमंडल की यह अहम जानकारी
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वेस्टा (Vesta) नाम का बौना ग्रह (Dwarf Planet) वैज्ञानिकों को सौरमंडल के बारे में काफी जानकारी दे सकता है.

वेस्टा (Vesta) नाम का बौना ग्रह (Dwarf Planet) वैज्ञानिकों को सौरमंडल के बारे में काफी जानकारी दे सकता है. वैज्ञानिकों ने वेस्टा से उल्कापिंडों का आकंड़ों का उपयोग कर सौरमंडल के बारे में अहम जानाकारी हासिल की है और "खोए हुए मेंटल की समस्या" (Missing Mantle Problem) का समाधान निकाल लिया है. इससे उन्हें सौरमंडल के निर्माण के समय के बारे में कुछ पता चला है. वेस्टा का निर्माण इसी समय के दौरान हुआ था और तब से वह अप्रभावित है जिससे उस समय की जानकारी उसमें कैद हो कर रह गई थी.

डेविस की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने दो शोधपत्रों में यह जानकारी दी है. पिछले महीने नेचर कम्यूनिकेशन्स और नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इन शोधपत्रों में हमारी जानकारी को सौरमंडल (Solar System) के निर्माण के समय 20 लाख साल बाद के समय तक ले जाने का काम किया है. क्योंकि इस तरह के पिंडों के अलावा पृथ्वी (Earth), चंद्रमा (Moon) या किसी और ग्रह पर ऐसी जानकारी नहीं मिल सकती है, क्योंकि उनमें तब से काफी बदलाव आ चुके हैं.
वेस्टा (Vesta) क्षुद्रग्रह की पट्टी (Asteroid Belt) का दूसरा सबसे विशाल पिंड है जो 500 किलोमीटर बड़ा है. यह इतना बड़ा है कि यह पृथ्वी, चंद्रमा और मंगल की तरह विकसित हुआ है. सौरमंडल (Solar System) के शुरुआती समय में ये सभी पिघली चट्टानों की गेंद के समान थे जो टकरावों से गर्म हो गए थे. इनकी क्रोड़ में लोहे और लोहे जैसे तत्व जैसे रेनियम, ऑस्मियम, इरीजडियम, प्लैटीनियम, जिन्हें साइडरोफाइल कहते हैं, बैठ गए थे. जिससे इनके मेंटल में ऐसे तत्वों की कमी हो गई थी. ग्रहों के ठंडे होने पर मेंटल के ऊपर ठोस पर्पटी बनी और बाद में उल्कापिंडों से पर्पटी पर लोहे और अन्य तत्व पहुंचे.
ज्यादातर पृथ्वी (Earth) जैसे बड़े ग्रह मेंटल प्रकार के ग्रह हैं. यानि उनमें मेंटल प्रकार की चट्टाने हैं. ऐसी चट्टाने क्षुद्रग्रह और उल्कापिंडों में कम है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डेविस कॉलेज ऑफ लैटर्स एंड साइंस में अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस के प्रोफेसर किंग झू यिन बताते हैं कि जब हम उल्कापिंडों (Meterorites) को देखते हैं को हमारे पास क्रोड़ पदार्थ होता है, हमारे पास पर्पटी की सामग्री होती है, लेकिन हमें मेंटल का कुछ नहीं दिखता है. ग्रह वैज्ञानिक इसे ही "खोए हुए मेंटल की समस्या" (Missing Mantle Problem) कहते हैं.
नेचर कम्यूनिकेशन शोधपत्र में शोधकर्ताओं ने तीन हाल ही में खोजे उल्कापिंडों (Meteorites) की व्याख्या की जिनमें मेंटल चट्टान (Mantle Rocks) थी जिसे अल्ट्रामैफिक्स कहते हैं. इसमें ओलिवाइन खनिज एक बड़े घटक के रूप में होता है. शोधकर्ताओं ने इनके आइसोटोप का सटीक विश्लेषण किया जिससे उन्होंने वेस्टा (Vesta) या फिर उसी प्रकार के पिंड से आने वाले उल्कापिंडों की पहचानने के संकेत विकसित कर लिए.


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