विज्ञान

वैज्ञानिकों को मिले संकेत! Earth Magnetic Field का कैसे उपयोग करते हैं पक्षी

Triveni
25 Jun 2021 6:47 AM GMT
वैज्ञानिकों को मिले संकेत! Earth Magnetic Field का कैसे उपयोग करते हैं पक्षी
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लंबे समय से वैज्ञानिक इस रहस्य से पर्दा उठाने की प्रयास कर रहे हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क|लंबे समय से वैज्ञानिक इस रहस्य से पर्दा उठाने की प्रयास कर रहे हैं कि प्रवासी पक्षी (Migratory Birds) इतनी लंबी दूरी का रास्ता तय कर अपनी सही दिशा कैसे खोज लेते हैं. इस दिशा में उन्हें एक अहम सफलता मिली है जिसने उन्हें इस गुत्थी को सुलझाने के और करीब ला दिया है. वैज्ञानिकों ने रॉबिन चिड़िया (Robin Birds) का अध्ययन कर ऐसे सुराग हासिल किए जो बताते हैं कि पक्षी पृथ्वी (Earth) की मैग्नेटिक फील्ड का संवेदन कैसे करते हैं. जबकि इंसानों को इसके लिए कुतुबनुमा यानि (Magnetic compass) की जरूरत होती है. इस तरह से पक्षियों के पास जीता जागता जिंदा कुतुबनुमा होता है, माना जा सकता है.

नेचर में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक पक्षियों (Birds) की आंखों में ऐसा रसायन होता है जो चुंबकत्व (Magnetism) के प्रति संवेदनशील होता है. यह रसायन ही शोधकर्ताओं के मत को सिद्ध कर सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर पीटर होर का कहना है कि पक्षी पृथ्वी की मैग्नेटिक (Earth Magnetic Field) को देख सकते हैं. शोधकर्ताओं यह भी कहना है कि अभी तक यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है, लेकिन वे अपनी पड़ताल से बहुत उत्साहित हैं.
प्रोफेसर होर ने बीबीसी न्यूज को बताया, "हमें लगता है कि हमने वह अणु पहचान लिया है जो छोटे प्रवासी गाने वाले पक्षियों (birds) को पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) की दिशा पहचानने में मदद करते हैं. वे बेशक ऐसा कर सकते हैं और उस जानकारी का उपयोग अपने नेविगेशन (Navigation) के लिए करते हैं जब वे हजारों किलोमीटर की लंबी यात्रा पर निकलते हैं. दशकों तक वैज्ञानिक इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि कैसे पक्षी, समुद्री कछुए, मछलियां और यहां तक कि कुछ कीड़े भी पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड का संवेदन कर पाते हैं और अपना रास्ता खोजने के लिए उसका उपयोग भी कर पाते हैं. (तस्वीर: shutterstock)
यूरोपीय रॉबिन (Robin Brid) इस तरह के अध्ययन के लिए प्रिय विषय रहा है. इसके बारे में कहा जाता है कि यह पक्षियों का जीता जागता कुतुबनुमा (Compass) है और यह पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड (Earth Magnetic Field) का उपयोग कर अपनी दिशा बदल सकता है. इसकी आंख के रेटिना में एक अणु है जिसे क्रिप्टोक्रोम कहते हैं. ऑक्सफोर्ड की टीम ने लैबोरेटरी में इस अणु के शुद्ध रूप का अध्ययन किया और यह जानने का प्रयास किया कि क्या यह एक मैग्नेटिक सेंसर के उद्देश्य को पूरा कर सकता है. (तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं ने पाया कि क्रिप्टोक्रोम (Cryptochrom) में ऐसे रेडिकल्स बनाने की क्षमता है जिनमें उच्च मैग्नेटिक (Magnetic) संवेदनशीलता होती है. रेडिकल वह अणु या परमाणु हो सकता है जो रासायनिक रूप से बहुत ही तेजी से प्रतिक्रिया कर सकता है. प्रोफेसर होर ने बताया कि जो प्रणाली उन्होंने पड़ताल के लिए अपनाई उनमें चुंबकीय संवेदी रासायनिक प्रतिक्रियाओं का उपयोग किया गया था जो रॉबिन पक्षी (Robin Birds) की आंखों के अंदर यानि रैटीना पर पड़ने वाले प्रकाश से शुरू हुई थीं. (तस्वीर: shutterstock)
प्रोफेसर होर ने बताया, "यह संभव लगता है, और मैं इस समय यही कहूंगा कि ये विशेष रासायनिक प्रतिक्रियाएं पक्षियों (Birds) को पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field of Earth) की दिशाएं बताने का काम करती हैं. और इस तरह से वे इनके लिए एक कुतुबनुमा (Compass) की तरह काम करती हैं. ऐसा माना जाता है कि रेटीना पर प्रकाश पड़ने से इलेक्ट्रॉन क्रिप्टोक्रोम के अणु के अंदर ही गतिविधि करते हैं जिससे कम समय के लिए एक उच्च ऊर्जा वाला रैडिकल पैदा होता है जो माइक्रोस्कोपिक मैग्नेट की तरह काम करता है. (तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं ने इसके साथ चेताया भी है कि इस मामले में सही प्रणाली और अणु सुनिश्चित करने से पहले काफी कुछ किया जाना बाकी है. लेकिन इसगे बाद भी वे इस तथ्य से खुश हैं कि रॉबिन पक्षी (Robin Bird) में एक अणु चुंबकीय तौर पर ज्यादा संवेदी है. जबकि मुर्गियों जैसे पक्षियों में नहीं हैं जो प्रवासी पक्षी (Migratory Bird) नहीं हैं. रॉबिन यूके के बागीचों में दिखाई देना वाला पक्षी है जो सर्दियों में दिखाई देता है, लेकिन कुछ रॉबिन गर्मियों के आने पर हजारों किलोमीटर का सफर कर स्कैंडीनेविया और रूस के इलाके में चले जाते हैं. (तस्वीर: shutterstock)


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