विज्ञान

वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता, जीएम वायरस के जरिये दृष्टिहीन व्यक्तियों को मिलेगी उनकी खोई हुई आंखों की रेशनी

Nilmani Pal
24 Oct 2020 10:26 AM GMT
वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता, जीएम वायरस के जरिये दृष्टिहीन व्यक्तियों को मिलेगी उनकी खोई हुई आंखों की रेशनी
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अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दृष्टिहीन चूहों पर सफल आजमाइश के बाद यह दावा किया है। उन्होंने मनुष्य पर जेनेटिकली मॉडिफाइड वायरस के परीक्षण की तैयारियां तेज कर दी हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक वायरस की जेनेटिक संरचना में बदलाव कर आंखों का नूर लौटाना मुमकिन है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दृष्टिहीन चूहों पर सफल आजमाइश के बाद यह दावा किया है। उन्होंने मनुष्य पर जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) वायरस के परीक्षण की तैयारियां तेज कर दी हैं।

टेक्सास की 'नैनोस्कोप फर्म' में शीर्ष वैज्ञानिक सुब्रत बटब्याल ने बताया कि चूहों में जीन थेरेपी से मिली सफलता के बाद हम मानव परीक्षण करके यह समझना चाहते हैं कि द्विध्रुवी कोशिकाओं के माध्यम से मिलने वाले संकेत किस तरह दृष्टि की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, इनसानों में परीक्षण से हमें यह पता लगेगा कि इलाज के बाद आंखों की दृष्टि क्या किसी तेज गति वाली वस्तु को तुरंत पहचान पाने में सक्षम है।

जीन थेरेपी का कमाल-

-दृष्टिहीन चूहों की आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक जीन थेरेपी का इस्तेमाल किया। इसके जरिये आंख में एक लाइट सेंसरिंग प्रोटीन विकसित हुआ, जो उसके पिछले हिस्से में मौजूद विशेष कोशिकाओं में दृष्टि क्षमता विकसित करता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस थेरेपी से चूहों में सुरक्षा से संबंधित कोई समस्या नहीं दर्ज की गई। उनके रक्त या ऊतकों की जांच से शरीर में सूजन पैदा होने जैसे कोई संकेत नहीं मिले।

लाइट सेंसरिंग प्रोटीन का कमाल

जेनेटिक मॉडिकेशन (जीएम) तकनीक से ऐसा वायरस तैयार किया जाता है, जो ऊतकों के लिए हानिकारक नहीं। इस वायरस को इंजेक्शन के जरिये आंख में प्रतिरोपित किया जाता है। रेटिना में पहुंचकर यह वायरस एक खास लाइट सेंसरिंग प्रोटीन पैदा करता है, जो 'एमसी010पीएसआईएन' नाम से जाना जाता है। इस प्रोटीन के कारण आंखों की द्विध्रुवी कोशिकाएं क्षतिग्रस्त फोटोरिसेप्टर में सुधार करती हैं और रोशनी बहाल हो जाती है।

20 फीट की दूरी तक देख सकेंगे दृष्टिहीन

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस प्रयोग के सफल नतीजे मिलने पर दृष्टिहीन मरीजों के लिए 20 फीट की दूरी पर मौजूद वस्तुओं को देखना संभव होगा, जबकि सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति 60 फीट तक देख सकता है। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि अगर किसी दृष्टिहीन इनसान की देखने की क्षमता में इतना भी सुधार होता है तो यह उपचार एक मूल्यवान विकल्प बन जाएगा। वायरस का मानव परीक्षण साल के अंत में शुरू करने की योजना है।

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