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विज्ञान
वैज्ञानिकों ने दिया सनसनीखेज बयान, आने वाले समय में इस रहस्यमयी ग्रह पर रह पाएंगे इंसान
jantaserishta.com
22 March 2022 9:32 AM GMT
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नई दिल्ली: वैज्ञानिकों का मानना है कि वो ये बात जानते हैं कि रहस्यमयी एलियन ड्वार्फ प्लैनेट सेरेस (Ceres) पर जीवन संभव है. वह एलियन जीवन को सपोर्ट कर रहा है या भविष्य में कर सकता है. यह सेरेस नाम का बौना ग्रह मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच की एस्टेरॉयड बेल्ट में स्थित है.
वैज्ञानिकों को हैरानी इस बात से है कि यह रहस्यमयी एलियन ड्वार्फ प्लैनेट सेरेस (Ceres) इस एस्टेरॉयड बेल्ट के बीच में कैसे पहुंच गया. पुरानी स्टडीज कहती हैं कि इस ग्रह पर नमक भरपूर मात्रा में है. जिसकी वजह से यहां पर भविष्य में किसी समय जीवन संभव जरूर होगा.
न्यूयॉर्क पोस्ट में प्रकाशित खबर के अनुसार ड्वार्फ प्लैनेट सेरेस (Ceres) अपने आसपास के अन्य ग्रहों से इसलिए भी अलग है क्योंकि यहां पर अमोनिया की मात्रा काफी ज्यादा है. वह भी सतह के ऊपर. आमतौर पर एस्टेरॉयड्स की सतह पर ऐसा कुछ नहीं होता. सौर मंडल से बाहर कुछ ऐसे ग्रह मिले हैं, जिसकी सतह पर अमोनिया मिलता है. लेकिन वह भी उसके निर्माण के शुरुआती समय में.
वैज्ञानिकों का मानना है कि ड्वार्फ प्लैनेट सेरेस (Ceres) का निर्माण सौर मंडल के ठंडे इलाके में हुआ होगा. जब सौर मंडल के ग्रह अपनी-अपनी स्थितियों को अंतरिक्ष में सुधार रहे होंगे तब यह घूमते-घूमते एस्टेरॉयड बेल्ट में आ फंसा होगा. यह एस्टेरॉयड बेल्ट में मौजूद काफी बड़ा पत्थर है. इसकी रेडियस 476 किलोमीटर है.
ड्वार्फ प्लैनेट सेरेस (Ceres) किसी भी एस्टेरॉयड जैसा नहीं लगता. इसका व्यवहार, मौसम, सतह सबकुछ प्लूटो (Pluto) जैसा लगता है. इसलिए वैज्ञानिक इस पर और अध्ययन करना चाहते हैं. NASA खुद इस समय ड्वार्फ प्लैनेट्स में काफी ज्यादा रुचि दिखा रहा है.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने Dawn स्पेसक्राफ्ट को सेरेस की स्टडी के लिए भेजा था. उसने देखा कि वहां पर काफी ज्यादा पत्थर, पानी और बर्फ है. कुछ वैज्ञानिकों का यह भी दावा है कि ड्वार्फ प्लैनेट सेरेस (Ceres) एस्टेरॉयड बेल्ट में ही बना होगा. इसलिए वहीं पर टिका हुआ है. वहां से ये बाहर नहीं निकल पाया.
नई स्टडी को प्री-प्रिंट डेटाबेस arXiv में प्रकाशित किया गया है. इस स्टडी में यह बताया गया है कि हमारा सौर मंडल कितना ज्यादा असंभावित चीजें करता है. ऐसे काम जो कभी किसी ने न सोचे हों, न देखे हों. क्योंकि किस ग्रह का निर्माण कैसे हुआ. कब हुआ कहां हुआ...इन सवालों का जवाब खोजने में कई बार वैज्ञानिक भी परेशान हो जाते हैं.
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