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- शुक्र ग्रह पर...
हवाई में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलीस्कोप की मदद से अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने सबसे पहले फॉस्फीन की खोज की और उसके बाद चिली में स्थित एटाकामा लार्ज मिलीमीटर/सब मिलीमीटर ऐरे रेडियो टेलीस्कोप की मदद से इसकी पुष्टि की. जर्नल नेचर एस्ट्रोनॉमी में छपे इस शोध के मुख्य लेखक और कार्डिफ यूनिवर्सिटी के खगोल विज्ञानी जेन ग्रीव्स कहते हैं, "मैं बहुत ही आश्चर्यचकित था. वास्व में मैं दंग रह गया."
पृथ्वी के बाहर जीवन की तलाश वैज्ञानिक लंबे समय से कर रहे हैं और इसकी तलाश के लिए वैज्ञानिक खोज और टेलीस्कोप की मदद ले रहे हैं ताकि उन्हें "बायो सिग्नेचर" मिल सके, जो हमारे सौर मंडल और उससे आगे के अन्य ग्रहों और चांद पर जीवन के अप्रत्यक्ष संकेत दे.
शोध की सह-लेखिका क्लारा साउसा-सिल्वा कहती हैं, "हमें जो भी शुक्र के बारे में पता है, वह फॉस्फीन का सबसे मुमकिन स्पष्टीकरण है, जैसा कि काल्पनिक हो सकता है, यह जीवन है." साउसा-सिल्वा कहती है, "यह महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर यह फॉस्फीन गैस है और जीवन है तो इसका मतलब है कि हम अकेले नहीं है." वे इस खोज के बारे में आगे कहती हैं, "इसका मतलब है जीवन खुद बहुत सामान्य होना चाहिए और हो सकता है कि आकाशगंगा में कई और ग्रह हो सकते हैं जहां जीवन हो."
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक एलन डफी ने इस खोज पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि यह पृथ्वी के अलावा किसी अन्य ग्रह पर जीवन की मौजूदगी होने का सबसे रोमांचक संकेत है. जिस तरह से मंगल ग्रह पर वैज्ञानिक जीवन की संभावनाओं को देख रहे हैं उस तरह से शुक्र ग्रह पर वे ध्यान नहीं देते आए हैं.
फॉस्फीन-एक फास्फोरस का कण और तीन हाइड्रोजन के कणों से मिलकर बनता है, यह इंसान के लिए बहुत जहरीला होता है. शुक्र का वायुमंडल बहुत ही जहरीला है और वहां का तापमान 471 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, इतना गर्म की सीसा भी पिघल जाए.