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हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की थी कि समय के साथ किसी ब्लैक होल (Black Hole) के आकार का कम होना असंभव है
हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की थी कि समय के साथ किसी ब्लैक होल (Black Hole) के आकार का कम होना असंभव है. वैज्ञानिकों को पहली बार न्यूट्रॉन तारे (Neutron Stars) के ब्लैक होल से टकराने के संकेत मिले हैं. करोड़ों प्रकाशवर्ष दूर हुई इस घटना के संकेतों को अमेरिका और यूरोप में पकड़ा गया है. ये संकेत गुरुत्व तरंगें (Gravitational Waves) ही हैं जिन्हें पकड़ पाना बहुत मुश्किल काम होता है और जो चार साल पहले ही संभव होने शुरू हो सका है. इसकी वजह से वैज्ञानिक ब्लैकहोल विलय जैसी घटनाओं की जानकारी भी हासिल कर सके हैं.
भारतीय योगदान
इस खोज के नतीजे एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटर्स में प्रकाशित हुए हैं. लिगो इंडिया ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जनवरी 2020 में गुरुत्व तरंगों की वेधशालाओं ने GW200105 और GW200115 नाम की दो घटनाओं को पकड़ा था. यह गुरुत्व तरंगों से पकड़ा गया पहला ऐसा जोड़ा है. भारत भी गुरुत्व तरंगों के इस शोधकार्य में लिगो-इंडिया साइंटिफिक कोलैबरेशन (LISC) के जरिए योगदान दे रहा है. इटंरनेशनल सेंटर फॉर थियोरेटिकल साइंस बेंगलुरू के भारतीय वैज्ञानिक शाश्वत कपाड़िया ने इस ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारे के विलय में टकराव की दर की गणना करने में मदद की.
क्या होती हैं गुरुत्वाकर्षण तरंगे
गुरुत्वाकर्षण तरंगें दिखाई नहीं देती. लेकिन वे अंतरिक्ष में एक तरह का व्यवधान होती हैं अल्बर्ट आइंस्टीन ने 100 साल पहले इनकी अवधारणा दी थी. उन्होंने अनुमान लगाया था तारे और ग्रहों एक दूसरे का चक्कर लगाते हैं और इससे वे अंतरिक्ष में हिलोरें पैदा करते हैं जो वैसी ही फैलती हैं जैसे तालाब में पत्थर गिरने से लहरें फैलती हैं.
ब्लैक होल (Black Hole) का आपस में या न्यूट्रॉन तारों का आपस में विलय होते तो पहले बहुत देखा गया है, लेकिन ब्लैक को न्यूट्रान तारा निगलते पहली बार देखा गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इस खास मौकों पर
नासा का कहना है कि ये तरंगे प्रकाश की गति से चलती हैं और रास्ते में आने वाले किसी चीज में सिकुड़न या फैलाव का प्रभाव देती हैं. सबसे शक्तिशाली गुरुत्व तरंगें तब पैदा होती हैं जब किसी तारे में विस्फोट होता है या फिर एक दूसरे का चक्कर लगा रहे दो बड़े तारे या ब्लैक होल आपस में विलय करते हैं.
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पहला मिश्रित टकराव
अब तक वैज्ञानिक या तो ब्लैक होल का विलय देख पाए थे या फिर न्यूट्रॉन तारों का आपस में विलय. यह पहली बार है कि ब्लैक होल न्यूट्रॉन तारे के बीच के टकराव का उन्हें अवलोकन करने का मौका मिला है. अमेरिका की लेजर इटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑबजरवेटरी (LIGO) ने पहले टकराव GW200105 को 5 जनवरी 2020 को अवलोकित किया. जिसमें हमारे सूर्य से बड़ा न्यूट्रॉन तारे को एक ब्लैक होल निगल रहा था. इस ब्लैक होल का भार हमारे नौ सूर्य के बराबर था. इस घटना से तरंगों को पृथ्वी तक पहुंचने में 90 करो साल लगे थे.
इन घटनाओं से वैज्ञानिक बाइनरी तारों (Binary Stars system) के सिस्टम की प्रक्रिया को समझने का भी प्रयास कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
वहीं दूसरे अलग संकेत जो लोग और इटली में स्थित वर्गो ने 10 दिन बाद पकड़े थे. GW200115 नाम के संकेत से पता चला कि यह घटना और भी बड़ी थी. इसमें न्यूट्रॉन तारे का भार तो हमारे सूर्य के भार से आधा अधिक था, लेकिन वह जिस ब्लैक होल से टकराया वह सूर्य से छह ही गुना अधिक भारी था और यह घटना एक अरब प्रकाश वर्ष दूर घटी थी.
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शोधकर्ताओं यह भी जानने का प्रयास कर रहे हैं कि ऐसे विलय होने वाले सिस्टम कैसे अस्तित्व में आते हैं और वे कितनी जल्दी विलय करते हैं और इस तरह की घटनाएं हमारी गैलेक्सी में क्यों नहीं होती दिखती हैं. इन बड़ी घटनों में वैसे तो बहुत बड़ी तादात में प्रकाश भी निकलता है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि बहुत अधिक दूरी होने पर इनका प्रकाश पृथ्वी तक आते आते धुंधला हो जाता है.
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