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सौरमंडल (Solar System) में नौवें ग्रह को ढूंढना वैज्ञानिकों के लिए परेशान करने वाला विषय बना हुआ है
सौरमंडल (Solar System) में नौवें ग्रह को ढूंढना वैज्ञानिकों के लिए परेशान करने वाला विषय बना हुआ है. अगस्त 2006 में प्लूटो से उसके ग्रह होने का दर्जा छीन लिया गया और उसे ड्वार्फ ग्रह घोषित किया गया. उस समय किसी ने भी नहीं सोचा था कि उसके बाद 9वें ग्रह की तलाश में 15 साल का वक्त लग जाएगा. लेकिन अब वैज्ञानिकों को 9वें ग्रह के प्रारंभिक सबूत मिले हैं.
'प्लेनेट 9' के बारे में शुरुआती थ्योरी आस-पास की वस्तुओं पर इसके कथित गुरुत्वाकर्षण खिंचाव पर आधारित है. लेकिन अभी तक ग्रह की मौजूदगी के कोई सबूत नहीं मिले हैं. वहीं, अब एक ताजा अनुमान में बताया गया है कि हमारे सौरमंडल में तथाकथित 9वां ग्रह पहले की तुलना में करीब और देखने योग्य है.
इससे पहले, ये अनुमान लगाया गया था कि 'प्लेनेट 9' 18,500 सालों में सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाता है. वहीं, नए रिसर्च में बताया गया है कि ये 7,400 साल में एक चक्कर लगाता है. इससे पता चलता है कि ये ग्रह पृथ्वी और सूर्य के करीब हो सकता है.
नई रिसर्च को कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के माइक ब्राउन और कॉन्स्टेंटिन बैटगिन ने किया है. नेशनल जियोग्राफिक से बातचीत में ब्राउन ने दावा किया कि प्लेनेट 9 की खोज होने में अभी कुछ साल बाकी है.
गुरुत्वाकर्षण मूल्यांकन के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये ग्रह पृथ्वी से छह गुना बड़ा हो सकता है. लेकिन अभी तक इस बात सहमित नहीं बन सकी है कि ये ग्रह हमारी पृथ्वी की तरह चट्टानी है या फिर नेपच्यून जैसी भारी घनी गैसों का मिश्रण है.
अगर सच में 'प्लेनेट 9' मौजूद होता है और इसकी मौजूदगी के पुख्ता सबूत मिल जाते हैं तो ये सौरमंडल के बारे में हमारी समझ को बदल देगा. साथ ही सौरमंडल में मौजूद ग्रहों की संख्या 9 हो जाएगी. हमारे सौरमंडल में जोड़ा जाने वाला आखिरी ग्रह नेप्च्यून था, जिसकी खोज 1846 में की गई थी.
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