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अनंत अंतरिक्ष की खोज में लगे वैज्ञानिकों के हाथ एक अनमोल खजाना लगा है। वैज्ञानिकों को सोमालिया में दो साल पहले गिरे एक 14 टन के उल्कापिंड से 2 नई धातुएं मिली हैं जो धरती पर पहले कभी नहीं देखे गए। इस आसमानी चट्टान को जांच के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बार्टा भेजा गया था। ऐसी मान्यता है कि एक तीसरी धातु भी मिली है। दोनों ही धातुओं को elaliite और elkinstantonite नाम दिया गया है। इसके अलावा इन धातुओं के बारे में अन्य विवरण नहीं दिया गया है।
इस उल्कापिंड का नाम 'इल अली' है और इसे 'Iron, IAB complex श्रेणी का करार दिया गया है। इस श्रेणी में 350 उल्कापिंड रखे गए हैं। यह धरती पर मिला नौवां सबसे बड़ा उल्कापिंड है। इस उल्कापिंड का नाम उस कस्बे के नाम पर दिया गया है जहां यह मिला है। यही नहीं जिन धातुओं की खोज हुई है, उनमें से एक का नाम भी कस्बे के नाम पर रखा गया है। वहीं दूसरी धातु का नाम लिंडी इलकिंस के नाम पर रखा गया है जो एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हैं और नासा के साइकी मिशन से जुड़े हैं।
उल्कापिंड बहुत ज्यादा चुंबकीय क्षमता वाला
नासा खरबों डॉलर की धातुओं से भरे साइकी ऐस्टरॉइड पर एक प्रोब भेजना चाहती है ताकि इस बात के साक्ष्य जुटाए जा सकें कि सौर सिस्टम के ग्रहों का निर्माण हुआ। यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बार्टा के प्रफेसर क्रिस हर्ड ने एक बयान जारी करके कहा कि जब भी आप एक नई धातु की खोज करते हैं, इसका मतलब है कि वहां भूगर्भीय स्थितियां, चट्टानों का रसायन अलग है जो पहले पाया गया है। यह उसे रोमांचक बनाता है। इस खास उल्कापिंड में दो नई धातुओं की खोज हुई है जो विज्ञान के लिए नई हैं।
हर्ड ने कहा कि कई और धातुओं की खोज हो सकती है, अगर शोधकर्ता उल्कापिंड से और ज्यादा नमूने हासिल करते हैं। यह उल्कापिंड कस्बे से बाहर गिरा था और इसकी पहली बार खोज ऊंट चराने वालों ने की थी। यह उल्कापिंड बहुत ज्यादा चुंबकीय क्षमता वाला है और इसके जैसा कुछ भी हमारे ग्रह पर नहीं मिला था। हर्ड जब इस उल्कापिंड को वर्गीकृत कर रहे थे तभी उनका ध्यान इस ओर गया। वैज्ञानिक अब इन धातुओं का परीक्षण कर रहे हैं।