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वैज्ञानिकों ने ग्रेविटेशनल माइक्रोलेंसिंग तकनीक से खोजा, अब तक सबसे छोटा 'दुष्ट ग्रह'
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आमतौर पर माना जाता है कि ग्रह (Planet) किसी तारे (Star) का चक्कर ही लगाने वाले पिंड हो सकते हैं. लेकिन सुदूर अंतरिक्ष में किसी तारे के सिस्टम से दूर ग्रह पाए जाते हैं जिन्हें निष्कासित या दुष्ट ग्रह (Rouge Planet) कहा जाता है. जब हमारे खगोलविद किसी तारे, गैलेक्सी (Galaxy) या फिर अन्य खगोलीय पिंड का अध्ययन करते हैं तो उन्हें अंतरतारकीय स्थानों (Interstellar space) में ऐसे ग्रह दिख जाते हैं. ऐसा ही एक पृथ्वी (Earth) के आकार का निष्कासित ग्रह खगोलविदों ने खोजा है जो अब तक का खोजा गया सबसे छोटा दुष्ट ग्रह माना जा रहा है.
आकार ने बनाया खास
इस निष्कासित ग्रह की खोज वरसॉ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है. इसे अब तक खोजे गए स्वंतत्र विचरण करने वाले ग्रहों में से सबसे छोटा ग्रह कहा जा रहा है. इसका आकार पृथ्वी और मंगल के बीच का है.
कितने खास होते हैं ये ग्रह
इन ग्रहों की खास बात यही होती है कि ये अंतरिक्ष में स्वतंत्र रहते हैं और किसी तारे से बंधे नहीं होते हैं. किसी ग्रह से निकले हुए ये पिंड इधर उधर भटकते रहते हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह निष्कासित ग्रह हमारी गैलेक्सी के बीच में स्थित हो सकता है.
इस तकनीक का उपयोग
शोधकर्ताओं ने माइक्रोलेंसिंग की तकनीक का उपोयग कर इस तरह के ग्रह के खोज की. इस तकनीक से उन्हें ऐसे ग्रह खोजने में मिली जो दूसरे तरीके से नहीं खोजे जा सकते हैं. उन्होंने इस घटना को उन्होंने 'आज तक के खोजे बहुत ही छोटी टाइम स्केल माइक्रोलेंस' करार दिया.
अब तक खोजे गए ऐसे ग्रह विशालकाय थेवैसे तो अब तक जितने निष्कासित ग्रह खोजे गए हैं उनमें से अधिकतर विशालकाय है जो गुरू ग्रह से दो से 40 गुना ज्यादा भार के होता है. हमारे सौरमंडल का गुरू ग्रह ही पृथ्वी से 300 गुना ज्यादा भारी है. इस लिहाज से इस खोज के बाद वैज्ञानिक अब छोटे निष्कासित ग्रहों की संभावनाओं को तलाशेंगे.वैक्यूम क्लीनर की तरह चीजें नहीं खीचता है ब्लैक होल, विशेषज्ञ ने तोड़े मिथकआसान नहीं इन्हें पकड़नाइस प्रोजेक्ट में शामिल प्रजेमेक म्रोज ने ट्विटर पर समझाते हुए बताया, "दुष्ट ग्रह तारों के चक्कर नहीं लाते है. वे अब तक किसी गर्म तारे गुरुत्वाकर्षण अप्रभावित रहे होते है. वे कोई दिखाई देने वाला विकरण उत्सर्जित नहीं करते इसलिए इन्हें परम्परागत एस्ट्रोफिजिकल तकनीक से नहीं पकड़ा जा सकता है.क्या है माइक्रोलेंसिंगम्रोज ने आगे बताया, " अगर यदि ये ग्रह किसी सुदूर तारे के आगे से गुजरते हैं और इस ग्रह के पीछे तारे हो जाते हैं, जिसे स्रोत कहा जाता है. इसका गुरुत्व इस स्रोत से आने वाले प्रकाश को मोड़ सकता है या फिर बड़ा सकता है. इस वजह से पृथ्वी पर मौजूद अवलोकन करता इस स्रोत में एक अस्थायी चमक देखता है इसे ही हम ग्रैविटेशनल माइक्रोलेसिंग की घटना कहते हैं
आसपास नहीं दिखा तारा
म्रोज बताते हैं कि इस निष्कासित ग्रह का आकार मंगल और पृथ्वी के बीच का हो सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम ने लेंस के पास कोई भी तारा नहीं देखा. लेकिन इस बात को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया जा सकता कि यह किसी तारे का चक्कर लगा रहा हो.
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और शोध की जरूरत
साइंटिफिक अमेरिकन की रिपोर्ट के मुताबिक यह सुनिश्चित किया जाने के लिए और ज्यादा शोध की जरूरत है कि यह वाकई में निष्कासित ग्रह ही है. एक बार इसकी पुष्टि होने पर यह ब्रह्माण्ड को अब तक का खोजा सबसे छोटा स्वतंत्र विचरण करने वाला ग्रह होगा. इस तरह के ग्रहों के अध्ययन से शोधकर्ताओं का यह पता चलेगा कि ये ग्रह कैसे बनते हैं.