विज्ञान

वैज्ञानिकों ने सौर मंडल के बाहर खोजे दो नए ग्रह, इतने दूर कि धरती तक रोशनी को पहुंचने में लगते हैं 63 साल

Tulsi Rao
30 April 2022 6:09 PM GMT
वैज्ञानिकों ने सौर मंडल के बाहर खोजे दो नए ग्रह, इतने दूर कि धरती तक रोशनी को पहुंचने में लगते हैं 63 साल
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारा ब्रह्मांड इतना बड़ा है कि अभी वैज्ञानिक इसे पूरी तरह खोज भी नहीं पाए हैं। लेकिन वैज्ञानिकों अभी तक ये पता लगाने में कामयाब रहे हैं कि सौर मंडल की ही तरह कई और गैलेक्सी भी हैं। हमारी गैलेक्सी में ही कई ग्रह प्रणालियां हैं। 63 प्रकाश वर्ष दूर स्थित बीटा पिक्टोरिस ग्रह प्रणाली (Beta Pictoris planetary system) को लेकर शोधकर्ता आकर्षित होते रहे हैं। अब खगोलविदों ने हमारी मिल्की वे गैलेक्सी के बाहर स्थित 30 धूमकेतु की खोज की है जो सूर्य की ही तरह बीटा पिक्टोरिस स्टार की परिक्रमा करते हैं।

लगभग 40 साल पहले बीटा पिक्टोरिस को खोजा गया था। यह गैस और धूल से बने एक मलबे की डिस्क से घिरा हुआ है। जिसने दो ग्रहों को जन्म दिया है। जो बीटा पिक्टोरिस की परिक्रमा कर रहे हैं। इसे देख कर वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं, क्योंकि हमारा सौर मंडल 4.5 अरब वर्ष पुराना है, जबकि बीटा पिक्टोरिस 20 मिलियन साल पुराना है, जो काफी युवा है। इसके जरिए वैज्ञानिक ग्रहों के बनने के दौरान की प्रक्रिया को समझ सकते हैं।
3-14 किलोमीटर बड़े हैं धूमकेतु
वैज्ञानिकों ने 1987 की शुरुआत में धूमकेतु का पता लगाया था जो हमारे सूर्य की ही तरह दिखने वाले तारे का चक्कर लगा रहे हैं। एक अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च टीम ने NASA के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट से बीटा पिक्टोरिस सिस्टम का 156 दिनों तक अवलोकन किया। धूमकेतु खोजने के साथ ही रिसर्चर्स उनके साइज का पता लगाने में कामयाब रहे। इन धूमकेतुओं का आकार हमारे सौर मंडल में पाए जाने वाले धूमकेतुओं की ही तरह है। वैज्ञानिकों ने पाया कि इनका आकार लगभग 3 से 14 किलोमीटर के वृत्त का है। पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने किसी अन्य सोलर सिस्टम के धूमकेतुओं के आकार का पता लगाया है।
धूमकेतु से आया है पृथ्वी का पानी
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक हमारे सोलर सिस्टम में पाए जाने वाले कॉमेट का आकार अंतरिक्ष में घूमती अन्य चीजों की टक्कर से बदलता रहा है। ग्रह निर्माण की शुरुआत में उल्कापिंड और धूमकेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर मिलने वाले पानी का कुछ हिस्सा धूमकेतु के बर्फ से ही आया है। इसलिए वैज्ञानिक ज्यादा उत्साहित हैं कि आखिर ये दो नए ग्रहों पर किस तरह का प्रभाव डालेगा।जनता से रिश्ता वेबडेस्क।


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