विज्ञान

बीज के पौधे तक बदलने के लिए जिम्मेदार जीन का वैज्ञानिकों ने लगाया पता

Gulabi
19 July 2021 9:09 AM GMT
बीज के पौधे तक बदलने के लिए जिम्मेदार जीन का वैज्ञानिकों ने लगाया पता
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जीन का वैज्ञानिकों ने लगाया पता

18 जून (भाषा) भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल के अनुसंधानकर्ताओं ने पौधों में ऐसे मुख्य जीन की पहचान की है जिससे उसमें एक प्रोटीन का पता चला है जो किसी पौधे में बीज के विकास को नियंत्रित करता है।

पत्रिका 'प्लांट साइकोलॉजी' में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि अनुसंधानकर्ताओं ने इस जीन की प्रकृति और इससे जुड़े प्रोटीन तथा पौधे के शुरुआती विकास में इनकी भूमिका के बारे में बताया। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, किसी नमी, तापमान, हवा और प्रकाश समेत उचित पर्यावरणीय परिस्थितियों में बीज का अंकुरण जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई जैव रासायनिक, शारीरिक और रूपात्मक बदलाव शामिल हैं। कई पौधों में अंकुरण का पहला कदम पहली भ्रूणीय पत्ती का विकास है जिसे बीजपत्र कहा जाता है। बीजपत्र उस कोमल अंकुर की रक्षा करते हैं जो पौधे के ऊपरी हिस्से में विकसित होगा और इसके निकलने का समय महत्वपूर्ण है।
आईआईएसईआर, भोपाल के जैविक विज्ञान विभाग के असोसिएट प्रोफेसर सौरव दत्ता ने कहा, ''प्रतिकूल परिस्थितियां जैसे कि असामयिक बारिश से बीजपत्र समय से पूर्व पैदा हो सकता है जिससे कोमल शाखा को नुकसान पहुंच सकता है और पौधे की वृद्धि रुक सकती है। यह उन वजहों में से एक है जिसके कारण अप्रत्याशित मौसम परिस्थितियों के चलते किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं।''
उन्होंने कहा, ''फसलों को बर्बाद होने से बचाने के लिए बीजपत्र के खुलने के समय को नियंत्रित करना कारगर हो सकता है। यह ज्ञात है कि ब्रासीनोस्टीरॉयड (बीआर) नाम का हार्मोन अंधेरे में बीजपत्र को खोलने के लिए जिम्मेदार होता है और प्रकाश से बीजपत्र को खुलने में मदद मिलती है जबकि प्रकाश और बीआर के बीच के आणविक विनियमन को अभी तक अच्छे तरीके से समझा नहीं गया था।''
आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों ने पाया कि बीबीएक्स32 नामक जीन में जिस प्रोटीन का पता चला है वह प्रकाश के संकेत को नकारात्मक रूप से नियंत्रित करता है और सरसों परिवार से संबंधित अरबीडोप्सिस पौधे में बीजपत्र को खोलने में बीआर संकेतक को बढ़ावा देता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि ऐसे नियंत्रण से कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों से पौधों को बचाने में मदद मिल सकती है और इससे अधिक पैदावार हो सकती है।
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