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वैज्ञानिकों ने खोजी अगली महामारी, यहां फैलने की आशंका

Gulabi
4 May 2021 2:00 PM GMT
वैज्ञानिकों ने खोजी अगली महामारी, यहां फैलने की आशंका
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कोरोना महामारी से दुनिया इतनी डरी हुई है कि अब साइंटिस्ट्स ने अगली महामारी क्या होगी उसका पता लगा लिया है

कोरोना महामारी से दुनिया इतनी डरी हुई है कि अब साइंटिस्ट्स ने अगली महामारी क्या होगी उसका पता लगा लिया है. साथ ही ये भी पता लगाया है कि ये महामारी किस देश, किस जीव से फैलने की आशंका है. साइंटिस्ट्स ने ये भी बताया कि कैसे अगली महामारी को टाला जा सकता है. इस बार महामारी ब्राजील के अमेजन जंगलों, वहां मौजूद चमगादड़ों, बंदरों और चूहों की प्रजातियों में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस से फैल सकती है. आइए जानते हैं वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में क्या खोजा है?


ब्राजील के मानौस (Manaus) स्थित फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ अमेजोनास के बायोलॉजिस्ट मार्सेलो गोर्डो और उनकी टीम को हाल ही में कूलर में तीन पाइड टैमेरिन बंदरों की सड़ी हुई लाश मिली. किसी ने इस कूलर की बिजली सप्लाई बंद कर दी थी. जिसके बाद बंदरों के शव अंदर ही सड़ गए. मार्सेलो और उनकी टीम ने बंदरों से सैंपल लिए और उसे फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक लेकर गए. यहां पर उनकी मदद करने के लिए जीव विज्ञानी अलेसांड्रा नावा सामने आईं. उन्होंने बंदरों के सैंपल से पैरासिटिक वॉर्म्स, वायरस और अन्य संक्रामक एजेंट्स की खोज की

अलेसांड्रा ने बताया कि जिस तरह से इंसान जंगलों पर कब्जा कर रहे हैं, ऐसे में वहां रहने वाले जीवों में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और पैथोजेन्स इंसानों पर हमला करके संक्रमण फैला रहे हैं. ठीक ऐसा ही हुआ चीन में. वहां से जो वायरस निकले उनकी वजह से मिडल ईस्ट सिंड्रोम (MERS) फैला. वहीं से SARS फैला, अब वहीं से कोरोना वायरस निकला, जिसने पिछले करीब दो साल से पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है.
ब्राजील के मानौस के चारों तरफ अमेजन के जंगल हैं. कई सौ किलोमीटर तक फैले हुए. मानौस में 22 लाख लोग रहते हैं. दुनियाभर में मौजूद 1400 चमगादड़ों की प्रजातियों में से 12 फीसदी सिर्फ अमेजन जंगल में रहते हैं. इसके अलावा बंदरों और चूहों की कई ऐसी प्रजातियां भी रहती हैं, जिन पर वायरस, पैथोजेन्स और बैक्टीरिया या पैरासाइट रहते हैं. ये कभी भी इंसानों में आकर बड़ी महामारी का रूप ले सकते हैं. इन सबके पीछे है शहरीकरण, सड़कें बनाना, डैम बनाना, खदान बनाना और जंगलों को काटना.
फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक (Fiocruz Amazônia Biobank) के साइंटिस्ट जैसे अलेसांड्रा और उनकी टीम के लोग हमेशा इस बात का पता करते रहते हैं कि किस जंगली जीव से कौन सा पैथोजेन इंसानों में प्रवेश कर सामान्य स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों को बिगाड़ सकता है. जानवरों से इंसानों में आने वाली बीमारियों को जूनोसेस (Zoonoses) कहते हैं. आपको बता दें कि मानौस में कोरोना वायरस के दो बड़ी और खतरनाक लहर आ चुकी है. जिसकी वजह से इस शहर में अब तक 9000 लोगों की मौत हो चुकी है. अलेसांड्रा नावा और उनकी टीम ने लॉकडाउन और संक्रमण के खतरे के चलते पिछले एक साल से फील्ड सर्वे नहीं किया है, ताकि यह पता चल सके जंगल में किसी जीव में कौन सी नई बीमारी पनप रही है.
ब्राजील के कोरोनावायरस वैरिएंट P.1 की उत्पत्ति मानौस शहर से ही हुई थी. ये कोरोना वायरस वैरिएंट इतना खतरनाक है कि ये इम्यूनिटी को धोखा दे सकता है. फियोक्रूज अमेजोनिया बायोबैंक ब्राजीली सेना के पूर्व होटल में चल रहा है. इस लैब के फ्रिजों में 100 से ज्यादा जंगली जीवों के शरीर के तरल पदार्थ, मल, खून, ऊतक आदि रखे हैं. यहां पर करीब 40 से ज्यादा प्रजातियों के जीवों के अंग-अवशेष भी हैं. जिनमें ज्यादातर बंदर, चमगादड़, चूहे और स्तनधारी जीव हैं. अलेसांड्रा नावा का कहना है कि अगली महामारी इन्हीं जीवों के शरीर में रहने वाले बैक्टीरिया, वायरस आदि से फैलने की आशंका है.
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