विज्ञान

अध्ययन में किया दावा, कूड़े-कचरे में छिपे खतरनाक प्लास्टिक कणों के मापने का वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका

Apurva Srivastav
30 May 2021 5:47 PM GMT
अध्ययन में किया दावा, कूड़े-कचरे में छिपे खतरनाक प्लास्टिक कणों के मापने का वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका
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कूड़ा-कचरा में छिपे खतरनाक प्लास्टिक कणों को किस तरीके से मापा जाए इसको लेकर वैज्ञानिकों को समाधान मिल गया है

कूड़ा-कचरा में छिपे खतरनाक प्लास्टिक कणों को किस तरीके से मापा जाए इसको लेकर वैज्ञानिकों को समाधान मिल गया है. हाल ही में किए गए एक अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने अपशिष्ट जल पर शोध किया है. यह अध्ययन एनालिटिकल एंड बायोएनालिटिकल केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित हुआ. दरअसल, माइक्रोप्लास्टिक को मापने का तरीका अलग-अलग होता है इसलिए इस पर अभी तक आम सहमति नहीं बन पाई. प्लास्टिक के चलते लोगों का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है और आने वाली पीढ़ियों पर इसके गहरे असर पड़ने की बात कही जाती रही है.

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय की ओर से किए गए नए अध्ययन में सीवेज से कार्बनिक पदार्थों को हटाने के लिए 'फेंटन रीजेंट' नामक केमिकल सोल्यूशन का उपयोग करके एक मैथड की जांच की है. इसमें यह पाया गया कि परीक्षण के अन्य मौजूदा उपलब्ध तरीकों की तुलना में प्रोसेसिंग टाइम और लागत में महत्वपूर्ण फायदा हुआ है. पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में बायोगेकेमिस्ट्री में सीनियर रिसर्च फेलो, प्रोजेक्ट लीड डॉ फे कौसेरो ने कहा, फेंटन रीजेंट के साथ कई डाइजेशन में कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए कई बार हाइड्रोजन पेरोक्साइड और लौह सल्फाइड के साथ सीवेज मिक्सिंग करना शामिल है. डेन्सिटी सेपरेशन के बाद जहां आप प्लास्टिक को बाकी सभी चीजों से अलग करते हैं तो यह एक क्लीनर सैंपल प्रदान करता है ताकि माइक्रोप्लास्टिक के आकार और प्रकार को बहुत कम हस्तक्षेप के साथ निर्धारित किया जा सके.
छोटे आकार के कारण छूट जाते हैं कण
विश्वविद्यालय की रेवलूशन प्लास्टिक इनिशिएटिव के निदेशक प्रोफेसर स्टीव फ्लेचर ने कहा, "पर्यावरण में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा का कुछ अंदाजा होना संभावित हानिकारक प्रभावों को समझने और रोकने की कुंजी है, जोकि उभरते प्रदूषकों की इस नई श्रेणी में पृथ्वी पर हो सकती है. प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में उनके मानकीकरण के साथ मजबूत, सरल और विश्वसनीय प्रोटोकॉल की आवश्यकता महत्वपूर्ण है.'
अध्ययन ने माइक्रोप्लास्टिक्स का पता लगाने को सब-हंड्रेड-माइक्रोन साइज में टारगेट किया गया है, जो अक्सर छोटे आकार के कारण छूट जाते हैं. ये स्वास्थ्य के लिए बेहत खतरनाक साबित हो सकते हैं. कण के इस आकार को लेकर पिछले वेस्टवॉटर रिसर्च से सीमित डेटा उपलब्ध है. इस मैथड की वैल्यू को दिखाने के लिए रॉ सीवेज, अंतिम अपशिष्ट और कीचड़ के सैंपलों को दो अलग-अलग आकारों और प्रकार के माइक्रोप्लास्टिक के साथ मिलाया गया.
सैंपल प्रोसेसिंग कम लगता है समय
अध्ययन में पाया गया कि फेंटन रीजेंट विधि के साथ कई डाइजेशन ने अतिरिक्त माइक्रोप्लास्टिक्स की अच्छी रिकवरी दिखाई. माइक्रोप्लास्टिक के सेपरेशन के लिए आवश्यक विभिन्न चरणों को ध्यान में रखते हुए सैंपल प्रोसेसिंग में समय एक सीमित कारक है. बड़ी संख्या में सैंपलों का विश्लेषण करते समय वर्तमान में उपलब्ध अन्य मैथड की तुलना में फेंटन रीजेंट का उपयोग करते हुए मल्टिपल डाइजेशन एक सस्ती और समय-कुशल प्रक्रिया है. डॉ कौसेरो ने कहा कि इस अध्ययन में इस्तेमाल की जाने वाली फेंटन रीजेंट विधि में माइक्रोप्लास्टिक्स के मापन के लिए एक बहुत ही आवश्यक मानकीकरण लाने की बड़ी क्षमता है.


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