विज्ञान

वैज्ञानिकों ने खोजा फंगस जो मंगल पर भी जिंदा रह सकता है , इंसानों के मिशन को कितना खतरा?

Nilmani Pal
22 Feb 2021 6:09 PM GMT
वैज्ञानिकों ने खोजा फंगस जो मंगल पर भी जिंदा रह सकता है , इंसानों के मिशन को कितना खतरा?
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धरती पर पाए जाने वाले कुछ सूक्ष्मजीवी (microbes) मंगल की सतह पर भी जीवित रह सकते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायॉलजी जर्नल में छपी स्टडी से स्पेस मिशन्स के दौरान सूक्ष्मजीवियों से होने वाले खतरे को जानने में मदद मिलेगी। GAC से स्टडी की लीड रिसर्चर मार्टा फिलीपा कॉर्टेसाओ ने बताया है कि बैक्टीरिया और फंगस को मंगल जैसी कंडीशन्स में सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया है। इसके लिए जरूरी एक्सपेरिमेंटल उपकरणों को साइंटिफिक बलून के सहारे धरती के वायुमंडल की stratosphere परत तक ले जाया गया। उन्होंने बताया कि कुछ सूक्ष्मजीवी, खासकर ब्लैक मोल्ड फंगस के स्पोर इस ट्रिप के दौरान जिंदा रहे। तेज अल्ट्रावॉइलेट रेडिएशन के असर के बावजूद यह नतीजे देखे गए।

मंगल पर न पहुंचाएं खतरा

संयुक्त लीड रिसर्चर कैथरीना सीम्स ने बताया है कि दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज में वैज्ञानिकों के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वहां जो उन्हें मिला है वह कहीं धरती से ही तो नहीं पहुंचा। भविष्य में लंबे वक्त के लिए ऐस्ट्रनॉट्स को मंगल पर भेजे जाने का प्लान है। इसलिए भी यह जानना जरूरी है कि कहीं किसी ऐसे सूक्ष्मजीव से उनकी सेहत को खतरा न हो जो मंगल पर भी जीवित रह सकता हो। उनका कहना है कि सूक्ष्मजीवियों की मदद खाना पैदा करने कैसे काम में भी आ सकती है जो धरती से दूर अहम होगा।
कैसे बनाए गए मंगल जैसे हालात?
मंगल की सतह के कई तत्व धरती पर मिलना मुश्किल है लेकिन धरती की सतह से 12 किमी ऊपर से शुरू होकर 50 किमी तक जाने वाली stratosphere की परत मंगल से काफी समान होती है। एक्सपेरिमेंट के दौरान यहां मंगल की तरह प्रेशर था। इस बॉक्स में दो सैंपल लेयर्स थीं जिसमें से नीचे की परत रेडिएशन से बची रही। इससे रेडिशन के असर को बाकी कंटीशन्स से अलग समझा जा सकता है। ऊपर की लेयर पर हजारों गुना ज्यादा UV रेडिएशन हो सकता है जिससे खाल जल सकती है।


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