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वैज्ञानिकों ने खोज निकाली उड़ने वाली छिपकली, दावा किया है 16 करोड़ साल पुरानी

jantaserishta.com
23 Feb 2022 10:55 AM GMT
वैज्ञानिकों ने खोज निकाली उड़ने वाली छिपकली, दावा किया है 16 करोड़ साल पुरानी
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एडिनबर्ग: जुरासिक काल यानी डायनासोरों के साम्राज्य का समय. उस समय के एक उड़ने वाले डायनासोर का जीवाश्म हाल ही में स्कॉटलैंड (Scotland) के आयल ऑफ स्काई (Isle of Skye) में समुद्र तट के किनारे खोजा गया. यह एक टेरोसॉर (Pterosaur) प्रजाति का डायनासोर था. 8 फीट बड़े विंगस्पैन वाले इस डायनासोर को शैतान जैसा नाम दिया गया है. नाम है- जार्क स्कीएनएक (Dearc sgianthanach).

जार्क स्कीएनएक (Dearc sgianthanach) का दो मतलब होता है. पहला 'पर वाली छिपकली' (Winged Reptile). दूसरा स्काई से आई छिपकली (Reptile from Skye). जार्क स्कीएनएक जुरासिक काल के समय का टेरोसॉर है. जुरासिक कॉल यानी 20.13 करोड़ साल से लेकर 14.50 करोड़ साल तक.
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में इवोल्यूशन और पैलियोंटोलॉजी के प्रोफेसर स्टीव ब्रुसेट ने कहा कि जार्क स्कीएनएक (Dearc sgianthanach) जुरासिक काल के समय का सबसे बड़ा उड़ने वाला डायनासोर था. टेरोसॉर क्रिटेशियस काल (Cretaceous Period) से बहुत पहले का जीव है. वह तब पक्षियों के साथ आसमान में प्रतियोगिता कर रहा था.
असल में जार्क स्कीएनएक (Dearc sgianthanach) कोई डायनासोर नहीं था. यह असल में पहला ऐसा कशेरुकीय जीव (Vertebrate) था, जिसने उड़ने की क्षमता हासिल की थी. उड़ने का काम टेरोसॉर ने पक्षियों से 5 करोड़ साल पहले ही हासिल कर लिया था. सबसे पुराने टेरोसॉर का जो रिकॉर्ड दर्ज है वो 23 करोड़ साल पुराना है. यह ट्राइएसिक (Triassic Period) का था.
सबसे बड़े टेरोसॉर का जो रिकॉर्ड है. उसका नाम था क्वेटजालकोटलस (Quetzalcoatus). इसका विंगस्पैन 36 फीट लंबा था. यह किसी छोटे विमान के आकार का था. यह बात करीब 7 करोड़ साल पहले की थी. टेरोसॉर को उड़ने के लिए कम वजन की जरूरत थी. साथ ही हल्की हड्डियों की भी. इसलिए इसके जीवाश्म आसानी से नहीं मिलते. क्योंकि हड्डियां जल्दी गल जाती थीं.
यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में पैलियोंटोलॉजी की प्रमुख शोधकर्ता और डॉक्टोरल कैंडिडेट नतालिया जैगीलेस्का ने बताया कि उड़ान के लिए जरूरी है कि आपकी हड्डियां अंदर से खोखली हो. हड्डियों की दीवारें पतली हों. टेरोसॉर के पास ये सारी खासियतें थीं. इसलिए यह बेहद नाजुक होते थे. इनके जीवाश्म ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रहने लायक नहीं थे. क्योंकि ये हल्के थे. नाजुक थे. लेकिन हमें एक जीवाश्म मिला है.
नतालिया ने कहा कि यह जीवाश्म करीब 16 करोड़ साल पुराना है. संपूर्ण है. इसके मछली पकड़ने वाले नुकीले दांत आज भी सुरक्षित हैं. इसकी हड्डियों के देखकर लगता है कि यह जीवाश्म यानी टेरोसॉर पूरी तरह से विकसित होने से पहले मारा गया था. कंप्यूटेड टोमेग्राफी सीटी स्कैन करके जब पता किया गया तो पता चला कि जार्क स्कीएनएक (Dearc sgianthanach) के आंखों का हिस्सा बहुत बड़ा था. उसकी दृष्टि बहुत मजबूत और ताकतवर थी.
नतालिया ने बताया कि स्कॉटलैंड का इलाका काफी ज्यादा नमी वाला है. यह समुद्र का पानी भी गर्म है. इसलिए टेरोसॉर यहां पर प्राचीन समय में मछलियां और स्क्विड्स खाने आते होंगे. उनके तेज दांत और नुकीले पंजे इस काम में उनकी मदद करते रहे होंगे. इस जीवाश्म को यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में जियोसाइंसेस के पूर्व डॉक्टोरल स्टूडेंट एमीलिया पेनी ने खोजा था.
जार्क स्कीएनएक (Dearc sgianthanach) के इस जीवाश्म को नेशनल म्यूजियम स्कॉटलैंड्स में रखा जाएगा. इसके खनन में नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी की तरफ से फंडिंग की है. इस खोज पर रिसर्च रिपोर्ट हाल ही में करेंट बायोलॉजी नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई है.
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