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वैज्ञानिकों ने की खोज, माया सभ्यता के दौरान ज्वालामुखी ने उगली थी चट्टानें, प्राचीन बिल्डरों ने बनाया था पिरामिड

Rani Sahu
22 Sep 2021 2:32 PM GMT
वैज्ञानिकों ने की खोज, माया सभ्यता के दौरान ज्वालामुखी ने उगली थी चट्टानें, प्राचीन बिल्डरों ने बनाया था पिरामिड
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माया सभ्यता के दौरान हुए एक ज्वालामुखी विस्फोट ने बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापित कर दिया था

माया सभ्यता के दौरान हुए एक ज्वालामुखी विस्फोट ने बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापित कर दिया था। लेकिन ये लोग कुछ ही सालों बाद वापस लौट आए और फिर से बस्तियां बसाने लगे। करीब 1500 साल पहले माया बिल्डरों ने एक विशालकाय पिरामिड का निर्माण किया था। यह पिरामिड उस चट्टान से बनाया गया जो एक ऐतिहासिक ज्वालामुखी विस्फोट से बाहर निकली थी। यह ज्वालामुखी विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इसने धरती के तापमान को प्रभावित कर दिया था। हाल ही में हुई एक खोज में वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया।

तापमान पर ज्वालामुखी ने डाला असर

करीब 539 ईस्वी के आसपास अमेरिका के अल सल्वाडोर के सैन एंड्रेस में Ilopango caldera ज्वालामुखी में एक भयानक विस्फोट हुआ था। यह मध्य अमेरिका में पिछले 10,000 सालों में सबसे बड़ा विस्फोट था। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस विस्फोट को Tierra Blanca Joven के नाम से जाना जाता था। ज्वालामुखी से बड़ी मात्रा में लावा बहकर बाहर आया जो कई मील दूर तक फैल गया। इस विस्फोट ने मध्य अमेरिका के वातावरण में इतनी राख फैला दी थी कि इससे उत्तरी गोलार्ध की जलवायु में ठंड बढ़ गई थी।
विस्फोट के कुछ सालों बाद लौटे लोग
ज्वालामुखी के विनाशकारी विस्फोट के कारण वैज्ञानिकों का अनुमान था कि लोगों ने माया बस्तियों को कई सदियों के लिए छोड़ दिया था और कहीं दूसरी जगह जाकर बस गए थे। लेकिन Campana माया पिरामिड इस बात का सबूत है कि लोग यहां बहुत जल्दी लौट आए थे। उन्होंने विस्फोट के कुछ दशक बाद ही इस पिरामिड का निर्माण किया। यह खोज कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय में पुरातत्वविद Akira Ichikawa ने की है।
निर्माण में इस्तेमाल की खास चट्टानें
यह पिरामिड जैपोटिटन घाटी में ज्वालामुखी से करीब 25 मील (40 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। जांच में सामने आया कि माया बिल्डरों ने पिरामिड के निर्माण में Tephra चट्टान का इस्तेमाल किया, जो ज्वालामुखी विस्फोट से निकली थी। Ichikawa ने कहा कि यह इस बात का पहला सबूत है कि माया पिरामिड के निर्माण में ज्वालामुखी से बाहर निकले मलबे का इस्तेमाल किया गया था। यह माया सभ्यता में ज्वालामुखी के अध्यात्मिक महत्व को भी दिखाता है।


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