विज्ञान

वैज्ञानिकों ने खोजा खतरनाक पीएफएएस रसायनों को नष्ट करने का बेहतर तरीका

Bharti sahu
19 Aug 2022 3:46 PM GMT
वैज्ञानिकों ने खोजा खतरनाक पीएफएएस रसायनों को नष्ट करने का बेहतर तरीका
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लाइफ स्टाइल के साथ-साथ पर्यावरण में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ती जा रही हैं.

लाइफ स्टाइल के साथ-साथ पर्यावरण में प्रदूषक तत्वों की मात्रा बढ़ती जा रही हैं. ये खतरनाक तत्व औद्योगिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप हवा, मिट्टी, भूजल, झीलों और नदियों में प्रवेश कर रहे हैं, जिस वजह से पर्यावरण दूषित होता जा रहा है. आपको जान कर थोड़ी हैरानी होगी कि नॉनस्टिक पैन जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुओं में उपयोग किए जाने वाले फॉरएवर केमिकल्स (Forever Chemicals) लंबे समय से गंभीर बीमारियों का कारण बने हुए हैं.

एक साइंस जर्नल में प्रकशित शोध से पता चला कि अमेरिका और चीन ने प्रदूषण फैलाने वाले कंपाउंड पीएफएएस को नष्ट करने का एक बेहतर तरीका खोज लिया है. जो लंबे समय से पर्यावरण, पशुओं और मनुष्यों के लिए एक गंभीर खतरा है. शोध के सफल होने के बाद नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ लेखक विलियम डिचटेल ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि यही कारण है कि 'मैं विज्ञान में रूचि रखता हूं, ताकि मैं दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकूं.'
क्या है पीएफएएस ?
पीएफएएस या पॉलीफ्लूरोकाइल पदार्थ पहली बार 1940 के दशक में विकसित किए गए थे. अब ये विभिन्न प्रकार के उत्पादों में पाए जाते हैं. जिनमें नॉनस्टिक पैन, वाटरप्रूफ कपड़े और आग बुझाने वाला फोम शामिल हैं. रसायन विज्ञान में कार्बन-फ्लोराइड बॉन्ड को सबसे मजबूत बॉन्ड माना जाता है. जिस वजह से पीएफएएस को नष्ट करना एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है.
कैसे नष्ट किया जाएगा
पीएफएएस को नष्ट करने के लिए मौजूदा तरीके आसान नहीं हैं. क्योंकि इसके लिए बहुत उच्च तापमान पर भस्मीकरण या अल्ट्रासोनिक तरंगों के साथ उन्हें रेडिएट करना होता है. जबकि जलाने के दौरान भी यह पर्यावरण को धुएं से दूषित करता है. अध्ययन के दूसरे भाग में अणुओं को नष्ट करने के लिए टीम ने उसके कमजोर छोर को पा लिया है. जिसके द्वारा इस कंपाउंड को कम तापमान में भी नष्ट किया जा सकेगा.
पीएफएएस से क्या खतरा है ?
आपको बता दें कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) की हालिया समीक्षा में पीएफएएस जोखिम से जुड़े कई स्वास्थ्य प्रभावों की रूपरेखा तैयार की गई थी. जिनमें कैंसर, लीवर खराब होना, प्रजनन क्षमता में कमी, और अस्थमा और थायराइड रोग का खतरा बढ़ जाना शामिल है.


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