विज्ञान

वैज्ञानिकों को उलझाया मंगल ग्रह की मकड़ियों, नहीं पाया फिजिकल सबूत

Apurva Srivastav
26 March 2021 6:29 PM GMT
वैज्ञानिकों को उलझाया मंगल ग्रह की मकड़ियों, नहीं पाया फिजिकल सबूत
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ब्रिटेन और आयरलैंड के वैज्ञानिकों ने ओपन यूनिवर्सिटी मास सिम्यूलेशन चैंबर की मदद से मंगल जैसे हालात बनाए और फिर देखा कि क्या इस प्रक्रिया से ऐसी आकृति बन सकती है।

मंगल ग्रह पर जीवन की खोज तो की ही जा रही है, वहां पाई जाने वाली अजीबोगरीब चीजों के रहस्य को भी सामने लाया जा रहा है। इसी कड़ी में मंगल पर बनी मकड़ियों की आकृति को समझने की ओर वैज्ञानिकों ने एक कदम बढ़ाया है। इन्हें Araneiforms कहा जाता है और ये मंगल की सतह पर ऊंचाई-गहराई से बनते हैं। ये धरती पर कहीं नहीं पाए गए हैं और मंगल पर ये कैसे बने, यह एक पहेली बना हुआ है। वैज्ञानिकों ने अब संभावना जताई है कि कार्बनडायऑक्साइड की बर्फ के बिना पिघले भाप में तब्दील होने (sublimation) के कारण ये बनते हैं।

मंगल की 'मकड़ियां'
ब्रिटेन और आयरलैंड के वैज्ञानिकों ने ओपन यूनिवर्सिटी मास सिम्यूलेशन चैंबर की मदद से मंगल जैसे हालात बनाए और फिर देखा कि क्या इस प्रक्रिया से ऐसी आकृति बन सकती है। इसके लिए कार्बनडायऑक्साइड की बर्फ के टुकड़ों में छेद किए गए और फिर अलग-अलग आकार के दानों पर उन्हें घुमाया गया। इसके बाद चैंबर में दबाव को मंगल की तरह कम किया गया और ब्लॉक्स को सतह पर रखा गया। इसके बाद कार्बनडायऑक्साइड के टुकड़े सब्लिमेट हो गए और जब इन्हें हटाया गया तो पाया गया कि वैसी ही मकड़ी जैसी आकृति गैस के कारण बन गई थी।
कैसे बनती है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे मंगल पर दिखने वाली आकृति को समझा जा सकता है। इस हाइपोथीसिस को काइफर्स हाइपोथीसिस कहा गया है। बसंत के मौसम में सूरज की रोशनी बर्फ से होकर नीचे की सतह को गर्म करती है जिससे बर्फ सब्लिमेट होती है। इससे नीचे दबाव बनता है जो दरारों के रास्ते निकलता है। गैस के निकलने के साथ पीछे मकड़ी सी आकृति रह जाती है। अभी तक इस थिअरी को दशकों से माना जाता रहा है लेकिन इसका फिजिकल सबूत नहीं पाया गया था।
मंगल के बादल
कुछ दिन पहले ही अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Curiosity रोवर से ली गईं आठ नई तस्वीरों में नैविगेशन कैमरे की नजर से पांच मिनट के नजारे देखे गए। ये धरती के बादलों की तरह ही चलते हुए दिख रहे हैं। इन्हें उत्तर कैरोलीना स्टेट यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट पॉल ब्राइर्न ने शेयर किया है। ये बादल भले ही धरती जैसे बादलों की तरह दिख रहे हों, मंगल का वायुमंडल बहुत पतला है और इसलिए, ये अलग तरह से बने होंगे। मंगल का सिर्फ यही मौसम धरती जैसा नहीं है लेकिन खास है। 2008 में फीनिक्स लैंडर ने सतह पर बर्फ गिरती थी। यह बर्फ दिखने में धरती जैसी है लेकिन यह असल में कार्बनडायऑक्साइड से बनी है जैसे, ड्राई आइस।


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